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    National Education Policy 2020: देश को पहली बार मिली राष्ट्रीय ‘छात्र’ नीति

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 14 Aug 2020 09:12 AM (IST)

    National Education Policy 2020 डॉ. सुनील राय (कुलपति यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज यूपीईएस) का कहना है कि देश को पहली बार राष्ट्रीय छात्र नीति मिली है।

    National Education Policy 2020: देश को पहली बार मिली राष्ट्रीय ‘छात्र’ नीति

    देहरादून, जेएनएन। National Education Policy 2020 डॉ. सुनील राय (कुलपति, यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज, यूपीईएस) का कहना है कि इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में निर्मित पांचवीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहली शिक्षा नीति है, जिसका केंद्र बिंदु छात्र हैं। इस लिहाज से इसे राष्ट्रीय छात्र नीति कहना भी गलत नहीं होगा। इससे पहले की चारों शिक्षा नीतियां शिक्षण संस्थानों, पाठ्यक्रमों और शिक्षकों की गुणवत्ता पर केंद्रित थीं।

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    इनसे शिक्षा व्यवस्था में तो सुधार हुआ, लेकिन छात्रों का वास्तविक मूल्यांकन नहीं हो पाया। जिसका परिणाम आज सामने है कि इंजीनियरिंग के बाद भी युवाओं के पास रोजगार नहीं है। नई शिक्षा नीति के मूल में किताबी ज्ञान की जगह कौशल विकास को जगह दी गई है। देश में वर्षो पहले राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की स्थापना के पीछे भी यही सोच थी, लेकिन इससे प्रशिक्षित युवाओं की संख्या के बजाय बेरोजगारी बढ़ी। देश में 10 इंजीनियरिंग कॉलेजों पर 100 पॉलीटेक्निक और एक हजार आइटीआइ तो खोल दिए गए, लेकिन युवा पीढ़ी को कौशल विकास पर केंद्रित नहीं होने दिया गया। जिसका परिणाम यह निकला कि उद्योग जगत को हर वर्ष इंजीनियर तो हजारों की संख्या में मिल जाते हैं, लेकिन कुशल ऑपरेटर मिलना मुश्किल साबित हो रहा है। इन्हीं बुनियादी जरूरतों को नई शिक्षा नीति में केंद्र में रखा गया है।

    स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के ढांचे को अब फाइव प्लस थ्री प्लस थ्री प्लस फोर (5334) प्रारूप में वर्गीकृत किया गया है। इस शिक्षा नीति में मानव विकास से संबंधित सभी आवश्यक तथ्यों को जोड़ा गया है, जो निश्चित ही छात्रों के सर्वागीण विकास में सहायक सिद्ध होंगे। नई शिक्षा नीति बदलती वैश्विक परिस्थितियों में चुनौतियों का सामना करने और उसके समाधान तलाशने में भी सक्षम साबित होगी। कोविड-19 महामारी के पूरी तरह समाप्त होने के बाद बदले विश्व परिदृश्य में अमेरिका, चीन और भारत आर्थिक शक्ति के रूप में सामने आएंगे। ऐसे में कौशल विकास देश की आर्थिकी को मजबूती प्रदान करने में सहायक होगा।

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    दशकों पहले भारतवर्ष को जो विश्वगुरु का गौरव प्राप्त था, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उसे दोबारा प्राप्त करने की नींव रखी गई है। नीति में इस बात पर भी बल दिया गया है कि कैसे देश की युवा पीढ़ी को ग्लोबल स्टूडेंट बनाने के साथ अपनी जड़ों से जोड़े रखा जाए। राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना से देश में गुणवत्तायुक्त अनुसंधान को सही रूप में विकसित व उत्प्रेरित किया जा सकेगा। पहली बार ऑनलाइन शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा और क्लासरूम शिक्षा को एकरूपता दी गई है। इस नीति से भावी पीढ़ी को रुचि के अनुसार पाठ्यक्रम चुनने का अवसर भी मिलेगा।

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