Fake International Call Center : विदेशियों को लगाते थे चूना, शिकार बने लोगों की संख्या के हिसाब से मिलता था इंसेंटिव
Fake International Call Center काल सेंटर के माध्यम से यह गिरोह अब तक कनाडा और अमेरिका के नागरिकों से तकरीबन 50 करोड़ रुपये ठग चुका है। एक कर्मचारी जितने नागरिकों से ठगी करता था उसे उसी हिसाब से इंसेंटिव भी दिया जाता था।

जागरण संवाददाता, देहरादून : Fake International Call Center : देहरादून के पाश क्षेत्र में फर्जी अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर आठ महीने से चल रहा था। एसटीएफ के अनुसार, काल सेंटर के माध्यम से यह गिरोह अब तक कनाडा और अमेरिका के नागरिकों से तकरीबन 50 करोड़ रुपये ठग चुका है। काल सेंटर में 70 प्रतिशत कर्मचारी दिल्ली व अन्य प्रदेशों के रखे गए थे।
आरोपित कंप्यूटर-लैपटाप की तकनीकी खामियों को दूर करने, उसमें एंटी वायरस डालने व अपडेट करने आदि का झांसा देकर कनाडा और अमेरिका के नागरिकों से करोड़ों रुपये की साइबर ठगी करते थे। उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया। आपत्तिजनक साइट सर्च करने पर कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर भी उक्त गिरोह रकम ऐंठता था।
टेलीग्राम एप पर आनलाइन दिया जाता था प्रशिक्षण
विदेशी नागरिकों को फंसाने के लिए कर्मचारियों को उनसे वार्तालाप के लिए बाकायदा स्क्रिप्ट बनाकर दी जाती थी। इससे पहले उन्हें टेलीग्राम एप पर आनलाइन प्रशिक्षण भी दिया जाता था। इसके लिए गिरोह ने टेलीग्राम एप पर अलग-अलग ग्रुप बना रखे थे। एक कर्मचारी जितने नागरिकों से ठगी करता था, उसे उसी हिसाब से इंसेंटिव भी दिया जाता था।
वेतन के साथ अच्छा इंसेंटिव मिलने की वजह से कोई भी कर्मचारी मुंह नहीं खोलता था। छापेमारी में पकड़े गए राघव गुप्ता, यशप्रीत सिंह, लोकेश, करनजीत सिंह, पुरुषोत्तम कुमार, देव अरोड़ा, हर्ष गांगुली, दृश्यत गुलाटी, अब्दुल समी, प्रोफुल मनी और तरुण अग्रवाल काल सेंटर में काम करने के साथ ही नए कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी करते थे।
क्यूआर कोड से मंगवाते थे रुपये
यह गिरोह विदेशी नागरिकों से ठगी की रकम ई-वालेट में क्यूआर कोड भेजकर मंगाता था। एसटीएफ के सूत्रों से पता चला है कि गिरोह के सदस्य दिल्ली के अलावा कनाडा और अमेरिका में भी हैं।
कुछ धनराशि सीधे दिल्ली में मौजूद सदस्यों के पास आती थी तो कुछ कनाडा और अमेरिका में मौजूद सदस्यों के पास। ये सदस्य अपना हिस्सा काटकर शेष धनराशि गिरोह की सरगना मेघा रावत के बैंक खाते में हस्तांतरित कर देते थे। कई बार ठगी की रकम आनलाइन गिफ्ट कार्ड के माध्यम से ली जाती थी।
12 घंटे तक चली छापेमारी
एसटीएफ की टीम ने साइबर थाना पुलिस के साथ बुधवार को देर रात फर्जी काल सेंटर में छापा मारा था। उस समय काल सेंटर के अंदर 300 कर्मचारी काम कर रहे थे। ऐसे में एसटीएफ के साथ साइबर थाने का पूरा स्टाफ दबिश में गया। पुलिस ने बिल्डिंग को चारों तरफ से घेर लिया था। एसटीएफ ने काल सेंटर में तकरीबन 12 घंटे तक जांच-पड़ताल की। इस दौरान गिरोह के प्रमुख सदस्यों के साथ ही वहां मौजूद हर कर्मचारी से पूछताछ की गई।
नोट गिनने को मंगवाई मशीन
छापेमारी के दौरान एसटीएफ को काल सेंटर में रुपयों से भरा थैला मिला। जब रुपये गिने नहीं जा सके तो एसटीएफ ने विशाल मेगामार्ट से नोट गिनने वाली मशीन मंगवाई। इसके बाद नोटों की गिनती हो सकी। बताया जा रहा है कि बुधवार को स्टाफ को वेतन दिया जाना था, उसी के लिए रुपये मंगवाए गए थे। रुपये कहां से आए, एसटीएफ इसकी जांच कर रही है। एसटीएफ इसकी भी पड़ताल कर रही है कि ठगी की धनराशि किस-किसके खाते में आती थी।
चार लाख किराये के भवन में चल रहा था काल सेंटर
काल सेंटर आलीशान भवन में चल रहा था, जिसका हर महीने का किराया चार लाख रुपये है। स्टाफ के खाने की व्यवस्था भी भवन में ही थी। इसके लिए यहां मेस बनाई गई थी, जिसमें 15 कर्मचारी तैनात थे। भवन में आवश्यकता पड़ने पर स्टाफ के ठहरने की भी व्यवस्था बनाई गई थी।
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