Dehradun Crime News: विदेशी नागरिकों से ठगी करने वाले फर्जी अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर का पर्दाफाश, 14 गिरफ्तार, एक करोड़ 26 लाख की नकदी बरामद
उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने साइबर ठगी करने वालों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए देहरादून के एक काल सेंटर से 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों से एक करोड़ 26 लाख रुपये बरामद किए गए हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: कंप्यूटर-लैपटाप की तकनीकी खामियों को दूर करने, उसमें एंटी वायरस डालने व अपडेट करने आदि का झांसा देकर कनाडा और अमेरिका के नागरिकों से करोड़ों रुपये की साइबर ठगी करने वाले गिरोह का उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पर्दाफाश किया है।
पोर्न साइट सर्च करने पर कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर भी ऐंठता था रकम
गिरोह पोर्न साइट सर्च करने पर कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर भी रकम ऐंठता था। यह काम देहरादून के पाश क्षेत्र में फर्जी अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर के माध्यम से किया जा रहा था। एसटीएफ ने काल सेंटर से 14 लोग को गिरफ्तार किया है। इनमें एक महिला भी शामिल है, जोकि गिरोह की सरगना बताई जा रही है।
आरोपित खुद को बताते थे माइक्रोसाफ्ट कंपनी के अधिकारी
विदेशी नागरिकों को झांसे में लेने के लिए आरोपित खुद को माइक्रोसाफ्ट कंपनी का अधिकारी बताते थे। काल सेंटर पर छापे के बीच एक करोड़ 26 लाख रुपये की नकदी, 350 कंप्यूटर व लैपटाप, तीन मोबाइल फोन के अलावा कई इलेक्ट्रानिक उपकरण व कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
300 लोग कर रहे थे काम, हर कर्मचारी को प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपये
एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि फर्जी काल सेंटर देहरादून के न्यू रोड स्थित तिमंजिला भवन में ए-टू-जेड साल्यूशन नाम से संचालित हो रहा था। इस संबंध में काफी समय से शिकायत मिल रही थी। जांच में इसकी पुष्टि होने पर बुधवार देर रात काल सेंटर में छापा मारा गया। गिरोह के सदस्यों से पता चला कि यहां 300 लोग काम कर रहे थे। हर कर्मचारी को वेतन के रूप में प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपये दिए जा रहे थे।
काल सेंटर में तैनात स्टाफ नाम बदलकर करता था बात
गिरोह की सरगना दून निवासी मेघा रावत है। दून का ही विकास गुप्ता गिरोह चलाने में उसकी सहायता करता था। इनका साथी दमन भल्ला मैनेजमेंट का काम देखता था। तीनों पुलिस की गिरफ्त में हैं। काल सेंटर में तैनात स्टाफ नाम बदलकर विदेशी नागरिकों से बात करता था।
ऐसे करते थे ठगी
एसएसपी ने बताया कि गिरोह के सदस्य खुद को माइक्रोसाफ्ट कंपनी का अधिकारी बताकर कंपनी की तरफ से कंप्यूटर व लैपटाप संबंधी सर्विसेज देने के नाम पर विदेशी नागरिकों से संपर्क करते थे। इसके बाद हैकिंग एप के जरिये उनके कंप्यूटर-लैपटाप का एक्सेस लेकर उसमें एंटीवायरस अपडेट करने समेत तकनीकी खामियों को दूर करने का झांसा देकर 500 से 1000 डालर ठग लेते थे। इस दौरान आरोपित कंप्यूटर-लैपटाप के इंटरनेट सर्च इंजन में पोर्न साइट भी डाल देते थे। फिर उन्हें कार्रवाई का खौफ दिखा कर इंटरनेट सर्च इंजन की हिस्ट्री से पोर्न साइट हटाने के लिए भी मोटी रकम ऐंठते थे।
दिल्ली की एजेंसी से मिलता था डाटा
इस गिरोह को विदेशी नागरिकों का डाटा दिल्ली की एक एजेंसी उपलब्ध कराती थी। बताया जा रहा है कि इस एजेंसी ने माइक्रोसाफ्ट कंपनी के नाम से कुछ टोल फ्री नंबर जारी किए हैं, जोकि विदेशी नागरिकों को कंप्यूटर के पापअप में प्राप्त होते हैं। ऐसे में कंप्यूटर-लैपटाप में कोई तकनीकी खराबी आने पर लोग उक्त टोल फ्री नंबर पर संपर्क करते, जिसे देहरादून में फर्जी काल सेंटर में ट्रांसफर कर दिया जाता था। काल सेंटर से बरामद सभी लैपटाप में ‘एक्स लाइट’ नाम का साफ्टवेयर मिला है। इसी साफ्टवेयर के माध्यम से विदेशी नागरिकों से फोन पर बात की जाती थी। एसटीएफ इस एजेंसी के बारे में भी जानकारी जुटा रही है।
इनको किया गया गिरफ्तार
मेघा रावत, विकास गुप्ता, यशप्रीत सिंह, लोकेश, करनजीत सिंह, पुरुषोत्तम कुमार, देव अरोड़ा, हर्ष गांगुली, अब्दुल, प्रोफुल मनी, तरुण अग्रवाल सभी निवासी देहरादून के अलावा दमन भल्ला निवासी लुधियाना, पंजाब, राघव गुप्ता निवासी बुराड़ी नई दिल्ली, दृश्यत गुलाटी निवासी नई दिल्ली।
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