उत्तराखंड में है उत्तर भारत का सबसे पुराना फॉरेस्ट बंगला, ठहर चुकी हैं कई बड़ी हस्तियां; नजारे बेहद खूबसूरत
उत्तराखंड के चकराता बुधेर कनासर मुंडाली और त्यूणी के ऐतिहासिक वन विश्राम गृह ब्रिटिश वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण हैं। समुद्र तल से हजारों मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये बंगले देवदार के घने जंगलों से घिरे हुए हैं और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं। इन बंगलों में ठहरने वाले कई बड़ी हस्तियों ने विजिटर बुक में अपने संदेश लिखे हैं जिनमें इस स्थान के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन मिलता है।

चंदराम राजगुरु, त्यूणी (देहरादून)। चकराता क्षेत्र के बुधेर में उत्तर भारत का सबसे पुराना फॉरेस्ट बंगला है। इसका निर्माण वर्ष 1868 में हुआ था। समुद्र तल से 2510 मीटर की ऊंचाई पर स्थित देवदार के घने जंगलों के बीच बने इस बंगले की खूबसूरती देखते ही बनती है। इसके अलावा देवघार रेंज के त्यूणी स्थित वन विश्राम गृह का निर्माण वर्ष 1872 में कराया गया था।
टोंस व पावर नदी के संगम पर बसे त्यूणी स्थित वन विभाग के इस ब्रिटिश कालीन फॉरेस्ट बंगले में कई बड़ी हस्तियां ठहर चुकी हैं। बंगले में ठहरी देश-विदेश की कई हस्तियों ने विजिटर बुक में जो संदेश लिखें हैं, उसमें इस स्थान के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन मिलता है। ब्रिटिश वायसराय और लेडी वायसराय समेत कई हस्तियां भी इस बंगले की मुरीद थीं।
अपनी प्राकृतिक सुंदरता एवं भव्यता के लिए मशहूर जौनसार बावर के कई रमणीक एवं पर्यटन स्थल देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ब्रिटिश काल में देहरादून से चकराता तक ही सड़क थी। इससे आगे सड़क सुविधा न होने से लोगों को जंगल के रास्ते मीलों दूर पैदल चलना पड़ता था।
अंग्रेज गर्मी के मौसम में अधिकांश समय पहाड़ की इन खूबसूरत वादियों में ही गुजारते थे। तब लोग चकराता से त्यूणी तक डेढ़ सौ किमी दूर जंगल के रास्ते पैदल व घोड़े खच्चरों से ही आते-जाते थे।
ब्रिटिश काल में सीमित संसाधनों के बावजूद अंग्रेजों ने जंगल की खूबसूरत वादियों के बीच चकराता, बुधेर, कनासर, मुंडाली व त्यूणी में फोरेस्ट बंगलों का निर्माण कराया।
चकराता वन प्रभाग के कनासर रेंज में उत्तर भारत का सबसे पुराना फॉरेस्ट बंगला वन विभाग की शोभा बढ़ा रहा है। ब्रिटिश काल में बने फॉरेस्ट बंगलों का वन विभाग ने कुछ समय पहले रेनिवेशन किया है।
समुद्र तल से 912 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ब्रिटिश कालीन त्यूणी बंगले में वर्ष 1924 से लेकर 1952 के बीच देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियां ठहर चुकी है, जिसका उल्लेख वन विभाग के विजिटर बुक में दर्ज है।
फॉरेस्ट बंगले में ठहरने वाले सबसे खास मेहमानों में अप्रैल 1928 में ब्रिटिश वायसराय, अक्तूबर 1930 में लेडी वायसराय विक्टोरिया इरविन, वर्ष 1928 में ब्रिटिश शासन के कमांडर इन चीफ, वर्ष 1937 में टिहरी रियासत के दीवान चक्रधर जुयाल और 1952 में ए ह्यूबर एफएओ एक्सपर्ट शामिल हैं।
पूर्व में क्षेत्र भ्रमण पर आए तत्कालीन मंत्री केदार सिंह फोनिया ने विजिटर बुक में दर्ज इन महान हस्तियों के संदेश को सुरक्षित रखने की सलाह दी। कहा कि वन विभाग को ऐतिहासिक महत्व के पुराने रिकार्ड एवं अभिलेखों को संजोकर रखना चाहिए, ताकि जनजातीय क्षेत्र की विशेषता के बारे में पर्यटकों को पता चल सके।
ब्रिटिश कालीन फॉरेस्ट बंगलों को पर्यटकों की सुविधा के अनुरूप किया गया है रेनोवेट
डीएफओ अभिमन्यु का कहना है कि बुधेर में स्थित उत्तर भारत का सबसे पुराना फॉरेस्ट बंगला बेहद खूबसूरत है। विभाग ने ऐतिहासिक महत्व के ब्रिटिश कालीन पुराने फॉरेस्ट बंगलों को पर्यटकों की सुविधा के अनुरूप रेनोवेट किया गया है। मुंडाली व देववन में जर्जर हो चुके पुराने वन विश्राम गृह का निर्माण कार्य जल्द शुरू कराया जाएगा। फॉरेस्ट बंगलों को सुविधा संपन्न बनाने की दिशा में कवायद चल रही है।
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