जनशक्ति के बूते जंगलों को आग से बचाएगा उत्तराखंड का वन विभाग, क्या है प्लान- कैसे पहुंचेगी तुरंत मदद?
उत्तराखंड के वन विभाग ने जंगलों को आग से बचाने के लिए एक अनूठी पहल की है। विभाग अब जनशक्ति के सहयोग से जंगलों को आग से बचाएगा। इसके लिए वन ग्राम और क्षेत्र पंचायतों के साथ ही महिला और युवक मंगल दलों का सक्रिय सहयोग लिया जा रहा है। सदस्यों को फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ा जा रहा है ताकि आग की सूचना पर नियंत्रण के प्रयास कर सकें।

राज्य ब्यूरो, जागरण। आखिरकार, लंबी प्रतीक्षा के बाद वन विभाग को अहसास हुआ है कि बिना जनसहयोग वनों की आग पर काबू पाना मुश्किल है। इसे देखते हुए विभाग अब जनशक्ति के बूते जंगलों को बचाएगा।
इसके लिए वन, ग्राम व क्षेत्र पंचायतों के साथ ही महिला व युवक मंगल दलों का वह सक्रिय सहयोग लेने जा रहा है। इस क्रम में इनके सदस्यों को फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ा जा रहा है, ताकि कहीं भी आग की आग की सूचना मिलने पर वे ग्रामीणों के सहयोग से अग्नि नियंत्रण के लिए प्रयासों में जुट जाएं।
उत्तराखंड में वनों की आग के लिहाज से सबसे संवेदनशील समय सिर पर है। यह है फायर सीजन (15 फरवरी से मानसून आने तक की अवधि)। इसी सीजन के दौरान राज्य में जंगल सबसे अधिक धधकते हैं और हर साल बड़े पैमाने पर वन संपदा को क्षति पहुंचती है।
इस सबको देखते हुए सरकार ने इस बार वनों को आग से बचाने के लिए जनशक्ति का सक्रिय सहयोग लेने का निश्चय किया। इसी मोर्चे पर वन विभाग फिसड्डी साबित होता आया है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने हाल में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वनों को बचाने के लिए ग्राम वन प्रबंधन समितियों, वन पंचायतों के अलावा ग्राम व क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखों व सदस्यों के साथ ही महिला व युवक मंगल दलों का सक्रिय सहयोग लिया जाए।
इस कड़ी में विभाग ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इन संगठनों के सदस्यों के साथ ही अन्य समूहों को फायर अलर्ट सिस्टम से जोडऩे की कसरत तेज की गई है।
इसके तहत विभागीय कार्मिकों की भांति इन्हें भी मोबाइल पर फायर अलर्ट मिलेगा। मंशा यह है कि अलर्ट मिलते ही क्षेत्र में विशेष में इन संगठनों के लोग आग बुझाने में जुट जाएं।
अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा के अनुसार इस बार ग्रामीणों की अग्नि नियंत्रण में अधिक से अधिक सहभागिता रहेगी। इस कड़ी में ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए गए हैं। ग्रामीणों की ओर से अग्नि नियंत्रण में सक्रिय सहयोग का भरोसा दिलाया गया है।
सात वन प्रभाग ज्यादा संवेदनशील
राज्य में वनों की आग की दृष्टि से सात वन प्रभाग अधिक संवेदनशील हैं। इनमें अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर, पौड़ी, टिहरी व उत्तरकाशी शामिल हैं। इन प्रभागों के क्षेत्रांतर्गत चीड़ वनों की अधिकता है। इसे देखते हुए इन प्रभागों पर विशेष जोर रहेगा।
- 11217 है राज्य में वन पंचायतों की संख्या
- 7832 ग्राम पंचायतें हैं राज्यभर में
- 95 है क्षेत्र पंचायतों की संख्या
- 3895 हैं क्षेत्र पंचायतों में निवर्तमान सदस्य
- 6800 से ज्यादा हैं महिला व युवक मंगल दल
- 5000 से अधिक फायर वाचरों की हो रही तैनाती
वन हमारे अस्तित्व से जुड़ा प्रश्न हैं और इन्हें बचाना सभी का दायित्व है। वनों को आग से बचाने में ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। बेहतर कार्य करने वाली पंचायतों, समूहों के लिए पुरस्कार की व्यवस्था भी की जा रही है।
-सुबोध उनियाल, वन मंत्री, उत्तराखंड
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