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Uttarakhand Excise policy: आबकारी विभाग ने गलतियों से लिया सबक, नीति बनाने पर मंथन

शराब की दुकानों के आवंटित न होने और महंगी शराब के कारण अवैध तस्करी के बढ़ते मामलों से हुए नुकसान से इस बार आबकारी विभाग सबक ले रहा है।

By Edited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 07:55 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 08:58 PM (IST)
Uttarakhand Excise policy: आबकारी विभाग ने गलतियों से लिया सबक, नीति बनाने पर मंथन
Uttarakhand Excise policy: आबकारी विभाग ने गलतियों से लिया सबक, नीति बनाने पर मंथन

देहरादून, राज्य ब्यूरो। आबकारी महकमा इस वर्ष काफी संख्या में शराब की दुकानों के आवंटित न होने और महंगी शराब के कारण अवैध तस्करी के बढ़ते मामलों से हुए नुकसान से सबक ले रहा है। यही कारण है कि विभाग अब अगले माह के पहले पखवाड़े में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए नीति बनाने पर मंथन शुरू करने जा रहा है। इस बार इसमें शराब की अधिक कीमत और दुकानों की आवंटन प्रक्रिया पर विशेष फोकस रहेगा। 

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प्रदेश में इस वर्ष आबकारी विभाग की ओर से जारी की गई नीति में कई खामियां थी। यही कारण रहा कि प्रदेश में कुल 624 दुकानों में से कई दुकानों को शुरुआत में आवेदक ही नहीं मिले। तीन बार किए गए प्रयासों के बावजूद 131 दुकानें ऐसी रही जिनके आवंटन के लिए किसी ने भी आवेदन देने में रुचि नहीं दिखाई। नतीजतन, ये दुकानें खुल ही नहीं पाई। इतना ही नहीं, इस बार सरकार ने प्रदेश में शराब की कीमतों में भी बढ़ोतरी की है। इस समय उत्तराखंड में शराब की कीमत पड़ोसी राज्यों, यानी उत्तर प्रदेश और हिमाचल से कहीं अधिक है। 

इसके चलते प्रदेश में शराब की तस्करी ने जोर पकड़ा है। सस्ती शराब के फेर में शराब के शौकीन इन तस्करों से शराब लेने को तरजीह दे रहे हैं। यहां तक कि अन्य राज्यों की सीमा से सटे क्षेत्रों में लोग दूसरे राज्य से सस्ती शराब खरीद रहे हैं। इससे प्रदेश को राजस्व का नुकसान हो रहा है। आबकारी महकमा इन सारी बातों से वाकिफ है। यही कारण है कि इस बार अभी से अगले वर्ष की आबकारी नीति पर मंथन शुरू किया जा रहा है।

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आयुक्त आबकारी सुशील कुमार ने कहा कि जल्द ही अगले वर्ष की आबकारी नीति को लेकर मंथन किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि इस बार कैसे अधिक से अधिक दुकानों को शराब के लाइसेंस आवंटित किए जा सकें। जिन क्षेत्रों में शराब की अधिक बिक्री है वहां एक से अधिक लाइसेंस देने पर भी विचार किया जाएगा।

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