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Uttarakhand Debt burden: उत्‍तराखंड में बच्चा-बच्चा कर्जदार, हर व्यक्ति पर 66 हजार रुपये की देनदारी

Uttarakhand Debt burden उत्तराखंड में पैदा होने वाला बच्चा भी कर्जदार है। राज्य के हर व्यक्ति पर तकरीबन 66 हजार रुपये से ज्यादा कर्ज है। चालू वित्तीय वर्ष खत्म होने यानी 31 मार्च 2022 तक कर्ज की यह राशि बढ़कर 85486 करोड़ होने जा रही है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 07:05 AM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 07:05 AM (IST)
Uttarakhand Debt burden: उत्‍तराखंड में बच्चा-बच्चा कर्जदार, हर व्यक्ति पर 66 हजार रुपये की देनदारी
राज्य के हर व्यक्ति पर तकरीबन 66 हजार रुपये से ज्यादा कर्ज है।

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। हिमालयी राज्य उत्तराखंड की विकास की उम्मीदों को कर्ज के बोझ ने दबाना शुरू कर दिया है। कोरोना की मार से पैदा तंगहाली के बीच राज्य पर कर्ज बढ़कर 73,478 करोड़ हो चुका है। विषम परिस्थितियों में ढांचागत विकास की ज्यादा लागत की चुनौती से निपटने को लिये जाने वाले कर्ज राशि का बड़ा हिस्सा कर्ज और उसका ब्याज की देनदारी पर खर्च हो रहा है। बीते साल ही कर्ज के ब्याज के रूप में 5475 करोड़ की बड़ी रकम राज्य को चुकानी पड़ी है।

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कर्ज लेकर गैर विकास मदों पर लुट रहा घी

राज्य की हालत उस दरिद्र व्यक्ति सरीखी हो गई है, जिसने ऋण यह सोचकर लिया कि घी पीकर सेहत बनाएगा और फिर आमदनी बढ़ाएगा। हालत उलट हो गए। विकास कार्यों के लिए ली जाने वाली रकम अब तक गैर विकास मदों पर खूब खर्च हुई। आगे भी यही सिलसिला बदस्तूर जारी है। कर्ज का ये घी उत्तराखंड की सेहत तो नहीं बना सका, अलबत्ता आम जन की खुशहाली की उम्मीदों पर गैर जरूरी खर्चों ने कब्जा जमा लिया है। विकास कार्यों के लिए केंद्र पर बढ़ती निर्भरता की बड़ी वजह यह भी है।

जीएसडीपी का 31 फीसद हो चुका है कर्ज

उत्तराखंड में पैदा होने वाला बच्चा भी कर्जदार है। राज्य के हर व्यक्ति पर तकरीबन 73 हजार रुपये से ज्यादा कर्ज है। कर्ज के भंवर में फंस चुके राज्य के सामने विकास कार्यों से ज्यादा धनराशि कर्ज और ब्याज चुकाने पर खर्च करने की नौबत है। राज्य का कर्ज उसके सालाना बजट आकार से ज्यादा भारी-भरकम हो चुका है। कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 25 फीसद तक कर्ज रहने की राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम की सीमा को भी यह 2019-20 में ही लांघ चुका है। अब यह 31 फीसद से ज्यादा हो चुका है। राज्य की आमदनी की तुलना में ये हालत भयावह है।

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आमदनी ढाई गुना, कर्ज का ब्याज साढ़े तीन गुना

वित्तीय वर्ष 2010-11 में राज्य की कर राजस्व के रूप में कुल आमदनी 4405 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 10791 करोड़ रुपये पहुंची है। यह वृद्धि दर 2.45 फीसद या तकरीबन ढाई गुना है। वहीं कर्ज के ब्याज भुगतान की रफ्तार 3.46 गुना बढ़ी है। 2010-11 में यह सिर्फ 1480 करोड़ रुपये थी। 2020-21 में ब्याज की यह देनदारी 5475 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। विकास के मोर्चे पर राज्य को धन के संकट से जूझना पड़ रहा है।

हर साल ऋण और ब्याज के देने होंगे 4499 करोड़ रुपये

कैग की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य को ऋण और ब्याज के रूप में अगले पांच वर्षों यानी 2024-25 तक सालाना 4499.82 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। जाहिर है कि राज्य को ऋण देनदारी पूरी करने के लिए ज्यादा उधार लेना पड़ेगा।

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