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टी-90 टैंक की कमांडर साइट से बच नहीं पाएंगे दुश्मन, जानें- क्या है इसकी खासियत और कब सेना को मिलेगी खेप

देहरादून स्थित इंडिया आप्टेल लि. (आइओएल) पूर्व नाम आर्डनेंस फैक्ट्री ने टी-90 टैंक की कमांडर साइट का विकास किया है। यह साइट पूर्व में रूस की मदद से तैयार की जा रही साइट से न सिर्फ अलग है बल्कि अचूक क्षमता से भी लैस है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 09:15 AM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 03:53 PM (IST)
टी-90 टैंक की कमांडर साइट से बच नहीं पाएंगे दुश्मन, जानें- क्या है इसकी खासियत और कब सेना को मिलेगी खेप
टी-90 टैंक की कमांडर साइट से बच नहीं पाएंगे दुश्मन।

सुमन सेमवाल, देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के अनुरूप हमारी रक्षा अनुसंधान और निर्माण इकाइयां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इस दिशा में देहरादून स्थित इंडिया आप्टेल लि. (आइओएल) पूर्व नाम आर्डनेंस फैक्ट्री ने टी-90 टैंक की कमांडर साइट का विकास किया है। यह साइट पूर्व में रूस की मदद से तैयार की जा रही साइट से न सिर्फ अलग है, बल्कि अचूक क्षमता से भी लैस है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के तहत हाल ही में आयोजित प्रदर्शनी में इस साइट का प्रदर्शन भी किया गया।

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जागरण से टी-90 टैंक की कमांडर साइट की जानकारी साझा करते हुए आइओएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) संजीव कुमार ने कहा कि रूस की मदद से तैयार की जाने वाली कमांडर साइट में इमेज इंटेंसिफायर सिस्टम लगा था। इस माध्यम से सीमा पर निगरानी या दुश्मन पर निगाह रखने के लिए हल्की रोशनी की जरूरत पड़ती थी। रोशनी के चलते कई दफा दुश्मन को हमारे ठिकाने की जानकारी मिल जाती थी। सुरक्षा के लिहाज से इसे पूरी तरह अचूक नहीं माना जा सकता।

आत्मनिर्भर भारत के तहत विकसित की गई साइट में चूक की गुंजाइश नहीं है। वर्तमान की कमांडर साइट को पेलिकन डी-4 थर्मल डिटेक्टर प्रणाली से लैस किया गया है। इसमें निगरानी के लिए किसी तरह की रोशनी की जरूरत नहीं पड़ती। थर्मल डिटेक्टर दुश्मन के शरीर की गर्मी या उनके वाहनों के इंजन की गर्मी को पकड़कर हूबहू आकृति दर्शाता है, जिससे पता लग जाता है कि सीमा पर दुश्मन कहां छिपे हैं।

आठ किलोमीटर है रेंज

सीएमडी संजीव कुमार के मुताबिक कमांडर साइट में आइ-सेफ लेजर और रेंज फाइंडर का प्रयोग भी किया गया है। इसकी मदद से कमांडर साइट आठ किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन की हलचल को पकड़ लेती है और पांच किलोमीटर की दूरी तक स्पष्ट पहचान भी कर लेती है। पहले कमांडर साइट की निगरानी क्षमता महज 700 मीटर थी। वर्तमान की साइट में फायर सिस्टम भी लगाया गया है। इसके जरिये दुश्मन को शूट भी किया जा सकता है।

आइओएल ने शुरू किया निर्माण

टी-90 टैंक की कमांडर साइट के विकास के बाद अब आइओएल ने सेना की मांग के अनुरूप निर्माण भी शुरू कर दिया है। सीएमडी संजीव कुमार के मुताबिक अगले साल तक कमांडर साइट की खेप सेना को उपलब्ध करा दी जाएगी।

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