परिवहन निगम की मंदी ने खोली आंखें, अब करेंगे रिकवरी
मंदी में परिवहन निगम की आंखें भी खुलती दिख रही हैं। निगम को हर माह करीब दो करोड़ रुपये की चपत लगने का अनुमान है अब उसकी त्रुटियां दूर करने का निर्णय लिया गया है।
देहरादून, जेएनएन। पहले से आर्थिक तंगी झेल रहे परिवहन निगम को कोरोना संक्रमण ने और बड़ा झटका दिया है। बसों का संचालन न होने और यात्रियों की कमी के चलते निगम कार्मिकों को लॉकडाउन लागू होने के बाद अप्रैल से वेतन तक नहीं मिल पाया है। मंदी के इस दौर में परिवहन निगम (रोडवेज) की आंखें भी खुलती दिख रही हैं। जिस एसीपी, एमएसीपी के गलत निर्धारण से निगम को हर माह करीब दो करोड़ रुपये की चपत लगने का अनुमान है, अब उसकी त्रुटियां दूर करने का निर्णय लिया गया है। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने सभी मंडलीय प्रबंधकों, उप महाप्रबंधक व डिपो के सहायक महाप्रबंधकों को इस संबंध में पत्र लिखा है।
प्रबंध निदेशक ने पत्र में उल्लेख किया है कि क्षेत्रीय कार्यालय व डिपो में तैनात कार्मिकों के वेतन निर्धारण, एसीपी (एश्योर्ड करियर प्रोगेशन) स्कीम, एमएसीपी (मॉडीफाइड एश्योर्ड करियर प्रोगेशन) स्कीम अनुमन्य करने में गंभीर अनियमितताएं बरती गई हैं। इससे निगम पर दिन प्रतिदिन बोझ बढ़ रहा है। इसके अलावा उन्होंने आर्थिक दंड की रिकवरी, मूल वेतन पर भेजे जाने के बाद भी उसका अनुपालन न किए जाने जैसे मामलों का भी संज्ञान लिया है।
उन्होंने निर्देश दिए कि जिम्मेदार अधिकारी इस आशय का प्रमाण पत्र देंगे कि संबंधित कार्मिक की नियुक्ति से लेकर वर्तमान वेतन निर्धारण की त्रुटियां दूर कर दी गई हैं। इसके साथ ही त्रुटियों के लिए जिम्मेदार कार्यालय सहायक, प्रधान लिपिक, लेखाकार/अधिकारी के नाम का भी उल्लेख किया जाए। ताकि गलत वेतन पा रहे कार्मिकों के साथ इसके लिए जवाबदेह कार्मिकों से उसकी वसूली की जा सके। यदि इस प्रमाण पत्र के बाद भी कोई त्रुटि पाई जाती है तो इसके लिए संबंधित कर्मचारी या अधिकारी जिम्मेदार होंगे। उनके खिलाफ निगम प्रबंधन सख्त कार्यवाही अमल में लाएगा।
दिल्ली आइएसबीटी कर्मियों पर 25 लाख की रिकवरी: परिवहन निगम में की गई अनियमितताओं की ही बानगी है कि दिल्ली आइएसबीटी पर तैनात निगम के 11 कार्मिकों पर 25 लाख रुपये की रिकवरी बैठ रही है। वहीं, बस जलने संबंधी एक प्रकरण में बर्खास्त किए गए चालक को नियमों के विपरीत 50 फीसद वेतन भुगतान व इंक्रीमेंट के साथ बहाल कर दिया गया था। साथ ही वर्ष 2014 में तृतीय एसीपी का लाभ भी प्राप्त कर लिया, जबकि चालक से 3.5 लाख रुपये की रिकवरी की जानी थी और एसीपी के निर्धारण में भी नियमों का उचित पालन किया जाना था। ऐसे ही तमाम मामलों को दबा दिए जाने के चलते रोडवेज की हालत दिन प्रतिदिन खराब हो रही है।
यह भी पढ़ें: परिवहन निगम में बयानबाजी पर एमडी ने लगाया प्रतिबंध, जानिए वजह
बसों का अवैध संचालन, प्रवर्तन एजेंसियों पर सवाल
उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने आरोप लगाया है कि निजी बस ऑपरेटर लॉकडाउन के समय से ही बसों का अवैध संचालन कर रहे हैं। उन्होंने इसके पीछे परिवहन व पुलिस विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता बताई। इस संबंध में परिवहन सचिव को भेजे गए ज्ञापन में यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि परिवहन निगम, परिवहन विभाग की टीम बनाकर हल्द्वानी, रुद्रपुर, काशीपुर, टनकपुर, कोटद्वार, ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की व देहरादून क्षेत्र में एक माह तक 24 घंटे चेकिंग अभियान चलाया जाए। जिस रूट पर जो बस पकड़ी जाती है, उसे सीज कर बस ऑपरेटर को भी अपराध में शामिल किया जाए। संबंधित रूट का पूरा व्यय ऑपरेटर से वसूल किया जाए।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में कर्मचारी आंदोलनों के नाम पर गुजरा छह महीना