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    जानें क्‍या है बीज बम, एक शख्‍स ने की शुरुआत, सीएम ने दी मान्‍यता

    By Nirmala BohraEdited By:
    Updated: Tue, 19 Jul 2022 12:53 PM (IST)

    Beej Bomb बीज बम का अभियान द्वारिका सेमवाल ने वर्ष 2017 में शुरू किया। उत्तरकाशी के द्वारिका सेमवाल बीज बम अभियान में पिछले पांच वर्षों से जुटे हुए हैं। 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद बीज बम अभियान में दिलचस्पी दिखाई।

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    Beej Bomb : पिछले पांच वर्षों से बीज बम अभियान में जुटे हुए हैं द्वारिका सेमवाल

    शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : Beej Bomb : पारिस्थितकी तंत्र की पुनर्बहाली और मानव वन्यजीव संघर्ष से कम करने के लिए उत्तरकाशी के द्वारिका सेमवाल बीज बम अभियान में पिछले पांच वर्षों से जुटे हुए हैं। गांव से लेकर सत्ता के गलियारे तक बीज बम की महत्वता को बताने बाद अब द्वारिका सेमवाल का बीज बम अभियान गति पकड़ गया है। जापान और मिस्र जैसे देशों में यह तकनीकी सीड बाल के नाम से सदियों पहले से परंपरागत रूप से चलती रही है।

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    बीज बम से होगी पारिस्थितकी तंत्र की पुनर्बहाली

    उत्तराखंड सरकार ने भी इस अभियान को अपनी मान्यता दे दी है। गत 9 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद इस अभियान की शुरूआत की थी। जो सभी जनपदों में सरकारी स्तर पर इस अभियान का संचालन 15 जुलाई तक हुआ। उत्तरकाशी जनपद की डुंडा तहसील के अंतर्गत बागी गांव निवासी एवं हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान (जाड़ी) के अध्यक्ष द्वारिका सेमवाल पर्यावरण संरक्षण और पारंपरिक फसलों को लेकर लंबे समय से काम कर रहे हैं। बीज बम का अभियान द्वारिका सेमवाल ने वर्ष 2017 में शुरू किया।

    इस अभियान को शुरू करने का उद्ददेश्य पर द्वारिका सेमवाल बताते हैं कि उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों जंगल कम हो रहे हैं, साथ ही जंगलों और जंगलों के निकट मानवीय दखल हो गया है। जिसके कारण वन्यजीव आबादी क्षेत्र की ओर आ रहे हैं। इससे मानव वन्यजीव संर्घष की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही है। जिसमें प्रतिवर्ष हजारों व्यक्तियों की जान जा रही है। वन्यजीव भी इस संघर्ष में मारे जा रहे हैं। इस पर मंथन करते हुए उन्होंने बीज बम अभियान की शुरुआत की। जिससे वन्य जीवों को जंगलों में ही भोजन मिल सके।

    मुख्यमंत्री ने बीज बम अभियान में दिलचस्पी दिखाई

    द्वारिका सेमवाल कहते हैं कि शुरुआती दिनों में जब उन्होंने कई ग्रामीणों व अधिकारियों से बीज बम को लेकर चर्चा की तो अधिकांश ने खास दिललस्पी नहीं दिखाई है। लेकिन, कुछ स्कूलों में शिक्षकों ने बीज बम अभियान की महत्वता को समझा और स्कूली बच्चों के जरिये बीज बम अभियान को आगे बढ़ाया। वर्ष 2019 में तत्कालीन राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने द्वारिका सेमवाल के इस अभियान की जमकर तारीफ की।

    वर्ष 2021 में एक कार्यक्र के दौरान देश भर के 12 राज्यों के 95 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। जिसमें इस अभियान की सराहना की। साथ ही अपने क्षेत्रों में इस अभियान को चलाने का आश्वासन दिया गया। वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद बीज बम अभियान में दिलचस्पी दिखाई। सभी जनपदों में यह साप्ताहिक अभियान चलाया गया। इसके अलावा देश के अन्य राज्यों में भी यह अभियान चालया गया।

    अभियान की शुरुआत उत्तरकाशी जिले के कमद से हुई थी। पहला ही प्रयास सफल रहा। यहां कद्दू आदि बेल वाली सब्जियों के बीजों का इस्तेमाल किया गया था। द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि आप जो फल, सब्जी खाते हैं उनके बीज सुरक्षित रखें। जैसे ही बरसात का सीजन आए तो मिटटी, गोबर व पानी को मिला कर बीज बम बना दें। चार दिन सुखाने के बाद उन्हें कहीं भी जंगल या बंजर भूमि में डाल दें। इससे जंगली जानवरों काो भोजन मिल सकेगा।

    क्‍या होता है बीज बम

    • बीज बम अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि यह एक शून्य बजट अभियान है।
    • इसमें मिट्टी और गोबर को पानी के साथ मिलाकर एक गोला बना दिया है।
    • स्थानीय जलवायु और मौसम के अनुसार उस गोले में कुछ बीज डाल दिये जाते हैं।
    • इस बम को जंगल में कहीं भी अनुकूल स्थान पर छोड़ दिया जाता है।

    पर्यवरण संरक्षण के लिए द्वारिका सेमवाल की पद यात्रा व साइकिल यात्राएं

    • लाखामंडल से लंबगांव तक पद यात्रा वर्ष 2004
    • कन्याकुमारी से देहरादून तक साइकिल यात्रा 12 जनवरी 2008 से 16 मार्च 2008
    • न्यूजलपाईगुड़ी बंगाल से देहरादून तक साइकिल यात्रा 20 नवंबर 2013 से 24 दिसंबर 2013
    • जम्मू से देहरादून साइकिल यात्रा वर्ष 2007
    • जलवायु परिवर्तन जन संवाद यात्रा देहरादून से बुढ़ाकेदार 24 मार्च 2013 से 23 मार्च 2013
    • प्रिय जनों की याद में जंगलों में पानी के तालाब बनाने व फलदार बाग गलाने का अभियान

    जापान और मिश्र होता है सीड बाल का प्रयोग

    द्वारिका सेमवाल कहते है यह कोई नई खोज नहीं है। जापान और मिस्र जैसे देशों में यह तकनीकी सीड बाल के नाम से सदियों पहले से परंपरागत रूप से चलती रही है। इसे बीज बम नाम इसलिए दिया गया है ताकि इस तरह के अटपटे नाम से लोग आकर्षित हों और इस बारे में जानने का प्रयास करें। यह नामकरण अपने उद्देश्य में पूरी तरह से सफल रहा है।