जागरण संवाददाता, देहरादून: Dussehra 2022 महंगाई की मार केवल आमजन तक ही सीमित नहीं है। इस विजयदशमी पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद भी महंगाई की जद में हैं। बांस, रस्सी और कागज महंगा होने से रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों के दाम 25 से 55 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
मजदूरी में बढ़ोतरी से भी बढ़ी पुतलों की लागत
मजदूरी में बढ़ोतरी से भी पुतलों की लागत बढ़ी है। संतोषजनक बात यह है कि इसका असर पुतलों की ऊंचाई पर नहीं पड़ा है। दून में दशहरा मेले की प्रमुख आयोजक संस्थाओं ने लागत बढ़ने के बावजूद रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई पूर्ववत रखने का निर्णय लिया है।
पांच अक्टूबर मनाया जाएगा दशहरा
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पांच अक्टूबर यानी कल मनाया जाएगा। इस दिन दून में भी कई जगह बुराई के प्रतीक के रूप में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है। इसकी तैयारी अंतिम चरण में है। सभी जगह रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
बांस के साथ ही रस्सी और कागज हो गए महंगे
प्रेमनगर में पुतले बनाने का काम करने वाले गिरीश बताते हैं कि बढ़ती महंगाई का असर पुतलों की लागत पर भी पड़ा है। पुतलों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले बांस के साथ ही रस्सी और कागज महंगे हो गए हैं। मजदूरी भी पहले से अधिक देनी पड़ रही है। ऐसे में पुतलों का दाम 25 से 55 प्रतिशत तक बढ़ाना पड़ा है।
45 फीट का पुतला 55 हजार रुपये का
45 फीट का जो पुतला पहले 35 हजार में तैयार हो जाता था, अब उसकी कीमत 55 हजार तक पहुंच गई है। इस कीमत में आतिशबाजी शामिल नहीं है। बावजूद इसके इस बार पुतलों की अच्छी मांग रही। इसके लिए बिजनौर, मुरादाबाद और नजीबाबाद से कारीगर बुलाए। प्रेमनगर के बरातघर में पुतलों को तैयार किया जा रहा है।
पुतलों पर महंगाई का असर
- पुतले की ऊंचाई -2021 की कीमत-- वर्तमान कीमत
- 45----------------------35000-----------55000
- 50----------------------40000-----------60000
- 55---------------------45000------------65000
- 60----------------------50000-----------70000
- 65-------------------60000--------------80000
- (नोट: ऊंचाई फीट में और कीमत रुपये में है)
दून में प्रमुख रूप से यहां होता है दशहरा मेले का आयोजन
परेड ग्राउंड, हिंदू नेशनल स्कूल परिसर, राजपुर, झंडा बाजार, प्रेमनगर में विभिन्न समितियों की ओर से रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों और लंका का दहन किया जाता है।
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50 फीट के पुतले में लगता आठ कुंतल बांस
गिरीश बताते हैं कि बीते वर्षों की तरह इस बार पुतले पर हल्के कागज वाली ड्रेस नहीं, बल्कि रंगीन और चमकदार पेंट वाले मोटे कागज की ड्रेस इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पुतला बनाने के लिए बांस सहारनपुर और मुजफ्फरनगर से मंगाते हैं। 50 फीट के पुतले के निर्माण में तकरीबन आठ कुंतल बांस लगता है।
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