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    उत्‍तराखंड के 1148 ग्रामीण और शहरी बस्तियों को पेयजल संकट से राहत

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    Updated: Sat, 09 May 2020 03:46 PM (IST)

    प्रदेश की 1148 ग्रामीण और शहरी बस्तियों को गर्मियों में पेयजल संकट से जूझने नहीं दिया जाएगा। सरकार ने टैंकरों के माध्यम से पानी मुहैया कराने की वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है।

    उत्‍तराखंड के 1148 ग्रामीण और शहरी बस्तियों को पेयजल संकट से राहत

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोरोना महामारी से बचने की जंग के बीच प्रदेश की 1148 ग्रामीण और शहरी बस्तियों को गर्मियों में पेयजल संकट से जूझने नहीं दिया जाएगा। सरकार ने एक्शन प्लान बनाकर टैंकरों के माध्यम से पानी मुहैया कराने की वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है। वहीं आम जनता को राहत देते हुए 31 मई तक जलमूल्य व सीवर मूल्य की वसूली स्थगित की जा चुकी है। इस अवधि का सरचार्ज भी नहीं लिया जाएगा।

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    मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि गर्मियों के सीजन में पानी के संभावित संकट को देखते हुए विभागीय स्तर पर तैयारी की गई है। 801 ग्रामीण व 347 शहरी बस्तियों में पेयजल संकट चिह्न्ति किया गया है। इन क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति के लिए 70 विभागीय टैंकर और 177 किराए के टैंकरों को इस्तेमाल किया जाएगा। पेयजल आपूर्ति में बिजली की बाधा को देखते हुए 98 जेनरेटर की व्यवस्था की गई है।

    स्वरोजगार योजना से प्रवासियों को राहत

    मुख्य सचिव ने बताया कि उत्तराखंड वापसी कर रहे प्रवासियों के रोजगार के लिए प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को मंजूरी दी गई है। इसमें निर्माण और सेवा क्षेत्र में अपना काम करने के लिए ऋण व अनुदान की व्यवस्था की गई है। युवाओं को काम देने के बारे में और भी अनेक योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना का दायरा बढ़ाया जाएगा।

    रोजगार के अवसर बहाल

    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में जिलों से 307 कार्यो को अनुमति दी गई है। इसमें 16600 कार्मिकों व श्रमिकों का नियोजन होगा। मुख्य सचिव ने कहा 4747 उद्योगों को संचालन की अनुमति दी है। 1.75 लाख श्रमिकों को काम मिलेगा। बहुत सी इकाइयों ने काम शुरू कर दिया है।

    पेयजल के लिए बढ़ाया जा रहा टैंकरों का बेड़ा

    गर्मियों में जल संस्थान के सामने शहरभर में पेयजल आपूर्ति सुचारू रखने की चुनौती होती है। ऐसे में कई जगह टैंकरों के माध्यम से भी आपूर्ति की नौबत आती है। विभाग के पास टैंकरों की संख्या कम होने के कारण अक्सर दिक्कतें पेश आती हैं। इस बार अभी तक तो स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में रही है, लेकिन आने वाले दिनों में दिक्कतें बढ़ सकती हैं। इसे देखते हुए जल संस्थान भी टैंकरों की संख्या बढ़ाने में जुट गया है।

    वर्तमान में जल संस्थान के पास 12 टैंकर हैं, जिनसे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जरूरत के अनुसार आपूर्ति की जाती है। हालांकि, अधिक समस्या आने पर निजी टैंकरों को भी किराये पर लिया जाता है। पर यह महंगा पड़ता है। ऐसे में जल संस्थान विभाग का टैंकर बेड़ा बढ़ाने की तैयारी में है। प्रभावित क्षेत्रों में समय पर टैंकर के जरिये आपूर्ति करने के इरादे से जल संस्थान अब नए टैंकर जुटाने में लगा हुआ है। इस बाबत शासन को भी पत्र लिखा गया है। जबकि, निजी टैंकरों को भी शामिल कर दिया है। ताकि किसी क्षेत्र में समस्या आने पर तत्काल पेयजल पहुंचाया जा सके।

    नीलिमा गर्ग (प्रबंध निदेशक, जल संस्थान) का कहना है कि फिलहाल शहर में पेयजल किल्लत की शिकायतें कम हैं। लेकिन गर्मी बढ़ने से आने वाले दिनों में खपत बढ़ सकती है। इसके अलावा लाइन क्षतिग्रस्त होने से भी आपूर्ति प्रभावित हो जाती है। ऐसे में कई बार टैंकरों के माध्यम आपूर्ति करनी पड़ती है। इसी को ध्यान में रखते हुए टैंकरों की संख्या बढ़ाने की तैयारी है। उम्मीद है जल्द विभाग के पास टैंकरों की संख्या में इजाफा हो जाएगा।

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    महिला स्वयं सहायता समूहों में उत्साह

    ग्रामीण अंचलों में विशेष तौर पर महिला स्वयं सहायता समूहों ने विषम परिस्थितियों में भी अच्छा काम किया गया है। 3580 स्वयं सहायता समूहों जिनके 12 हजार से अधिक सदस्यों ने 11 लाख मास्क तैयार कर संस्थाओं को उपलब्ध कराए हैं। कोविड-19 में जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाने में बहुत से स्वयं सहायता समूह सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। बहुत से स्वयं सहायता समूह, आर्थिक गतिविधियां कर रहे हैं। ऊधमसिंहनगर जिले के पहानिया में 600 से अधिक महिलाएं मूंज घास से हस्तशिल्प में काम कर रही हैं। इससे जाहिर होता है कि हमारे ग्रामीण अंचल ऊर्जा से परिपूर्ण हैं।

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