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    आठ साल पहले देखा था कॉमनवेल्थ में खेलने का सपना

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 13 Mar 2018 12:49 PM (IST)

    आठ साल पहले मनीष रावत ने जो कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेने का जो सपना देखा था, वो अब पूरा हुआ है। मनीष कहते हैं कि वे इस मौके को भुनाने के पूरे प्रयास करेंगे।

    आठ साल पहले देखा था कॉमनवेल्थ में खेलने का सपना

    देहरादून, [जेएनएन]: आठ साल पहले मनीष रावत ने जो कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेने का जो सपना देखा था, वो अब पूरा हुआ है। मनीष कहते हैं कि वे इस मौके को भुनाने के पूरे प्रयास करेंगे और देश के लिए पदक जीतेंगे। उत्तराखंड बनने के बाद मनीष पहले खिलाड़ी हैं जिनका चयन कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए हुआ है। यदि वे कॉमनवेल्थ में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उनके लिए एशियन गेम्स के दरवाजे भी खुल जाएंगे। 

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    दिल्ली में आयोजित 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स की क्वींस बैटन जब श्रीनगर गढ़वाल पहुंची तो मनीष को बैटन थामने का मौका मिला था। उस समय को याद करते हुए मनीष ने बताया कि उस दौरान कोच अनूप बिष्ट ने प्रेरित करते हुए कहा कि तुम्हें इस ऊंचाई पर पहुंचना है। उस समय स्कूल नेशनल गेम्स में पहला पदक जीता था। आठ साल पहले देखा सपना अब पूरा नजर होता आ रहा है। मूलरूप रूप से चमोली जिले के सगर गांव निवासी उत्तराखंड पुलिस में इंस्पेक्टर मनीष रावत को एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स की 20 किमी वॉक रेस के लिए चुना है। दिल्ली में आयोजित छठी नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में मनीष ने 20 किमी वॉक रेस एक घंटा 21 मिनट 31 सेकेंड में पूरी करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था।

    वर्ष 2011 में पुलिस में भर्ती होने के बाद लगातार राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर मुकाम हासिल किया, लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स खेलने का मौका नहीं मिला। वल्र्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्टैंडर्ड टाइमिंग के साथ रेस पूरी की तो रियो ओलंपिक खेलने का मौका मिल गया। ओलंपिक में 13वां स्थान रहा और पदोन्नति भी मिली। मनीष के कोच अनूप बिष्ट ने बताया कि ओलंपिक के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनीष का यह पहला बड़ा इवेंट है। मनीष की टाइमिंग में काफी सुधार आया है, यदि वे अपनी स्पीड बरकरार रखे तो देश के लिए पदक जरूर जीत सकते हैं। 

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