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दहेज हत्या मामले में पति, सास और देवर को 14 वर्ष का कठोर कारावास

सात साल पुराने दहेज हत्या के मामले में न्यायालय ने महिला के पति सास व देवर को 14 वर्ष के कठोर कारावास व 90 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। रामनगर नैनीताल निवासी बबीता का विवाह एक अक्टूबर 2006 को राजेश तनेजा के साथ हुआ था।

By Sumit KumarEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 04:09 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 04:37 PM (IST)
सात साल पुराने दहेज हत्या के एक मामले में न्यायालय ने अर्थदंड की सजा सुनाई है।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। सात साल पुराने दहेज हत्या के एक मामले में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने महिला के पति, सास व देवर को 14 वर्ष के कठोर कारावास व 60 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। न्यायालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक रामनगर नैनीताल निवासी बबीता का विवाह एक अक्टूबर 2006 को तुलसी विहार गुमानीवाला ऋषिकेश निवासी राजेश तनेजा के साथ हुआ था। शादी के बाद से ही ससुराल पक्ष द्वारा बबीता को दहेज के लिए प्रताड़ित कर उसके साथ मारपीट की जाती थी।

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17 जून 2013 को बबीता की तबीयत खराब होने पर ससुराल पक्ष की ओर से उसे पहले देहरादून मार्ग स्थित एक निजी अस्पताल में लाया गया और फिर राजकीय चिकित्सालय लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले में 18 जून को बबीता के पिता की ओर से ऋषिकेश कोतवाली में बबीता के पति राजेश तनेजा, सास आशा तनेजा व देवर वरुण तनेजा के खिलाफ दहेज के लिए प्रताड़ित करने, दहेज के लिए हत्या करने संबंधी धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। कोतवाली पुलिस ने जब विधि विज्ञान विश्लेषण प्रयोगशाला में मृतका की बिसरा जांच कराई तो जांच रिपोर्ट में महिला के खाने में जहर मिला होने से मौत की पुष्टि हुई थी। यह मामला लंबे समय से न्यायालय में विचाराधीन था।

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शुक्रवार को इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनीष मिश्रा ने आरोपित राजेश तनेजा, आशा तनेजा व वरुण तनेजा को दहेज हत्या का दोषी पाते हुए सजा पर फैसला 21 दिसंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को सजा के पक्ष पर दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनीष मिश्रा ने तीनों आरोपितों को आइपीसी की धारा 304 बी में 14 साल कारावास तथा धारा 498 ए एक साल का कठोर कारावास तथा दस-दस हजार रुपये अर्थदंड तथा धारा- 4 घरेलु प्रतिषेध अधिनियम में एक वर्ष की कठोर कारावास व दस-दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

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