Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सैटेलाइट से खींची तस्वीर, अब जमीन पर होगा मिलान; पढ़िए पूरी खबर

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Mon, 17 Feb 2020 08:44 PM (IST)

    देहरादून के वर्तमान के मास्टर प्लान (वर्ष 2005 से 2025) को डिजिटल मास्टर प्लान में तब्दील करने के लिए एक-दो दिन में एक और अहम काम शुरू कर दिया जाएगा। ...और पढ़ें

    Hero Image
    सैटेलाइट से खींची तस्वीर, अब जमीन पर होगा मिलान; पढ़िए पूरी खबर

    देहरादून, सुमन सेमवाल। दून के वर्तमान के मास्टर प्लान (वर्ष 2005 से 2025) को डिजिटल मास्टर प्लान में तब्दील करने के लिए एक-दो दिन में एक और अहम काम शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) से जो सैटेलाइट तस्वीरें मंगाई गई हैं, उन पर अब धरातल पर मिलान और उसकी विस्तृत जानकारी जुटाने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए डिजिटल मास्टर प्लान तैयार कर रही मास कंपनी की एक टीम सोमवार को दून पहुंच रही है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जीआइएस आधारित मास्टर प्लान पहले चरण में दून और मसूरी के 55 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के लिए तैयार किया जा रहा है। प्लान के तहत एनआरएससी से 1999 सेटेलाइट तस्वीरें मंगाई गई हैं। अब तक करीब 1500 तस्वीरों की डाटा वैटिंग की जा चुकी है। इसके साथ-साथ सोमवार या मंगलवार से मास कंपनी की टीम धरातल पर आगे का काम शुरू कर देगी। एमडीडीए के ट्रांसपोर्ट प्लानर जगमोहन सिंह ने बताया कि सेटेलाइट से क्षेत्र के ऊपर की तस्वीर मिली हैं और इससे क्षेत्रफल आदि का अंदाजा लगाया जा सकता है। जमीनी सर्वे में अब बताया जाएगा कि तस्वीर जिस भवन की है, उसकी प्रकृति आदि क्या है। इस काम के पूरा होते ही मास्टर प्लान तैयार करने का काम अंतिम चरण में पहुंच जाएगा। क्योंकि शुरुआती स्तर के लगभग सभी काम पूरे कर लिए गए हैं। 

    मास्टर प्लान में अब तक हो चुके काम     

    शुरुआती रिपोर्ट: रिपोर्ट तैयार है, जिसमें मास्टर प्लान की सभी अहम बातों का जिक्र है। 

    मोबाइल एप्लीकेशन: इस मोबाइल एप से कोई भी व्यक्ति कहीं पर से भी अपने शहर के मास्टर प्लान की जानकारी जैसे-लैंडयूज, सीमा आदि की जानकारी प्राप्त कर सकता है। 

    पोर्टल/डैशबोर्ड: इसके माध्यम से मास्टर प्लान से संबंधित सभी सेवाओं के बारे में पता चलेगा। 

    सजरा प्लान: राजस्व विभाग से जमीनों के खसरा नंबर और सजरा मानचित्र प्राप्त कर उन्हें स्कैन कर दिया गया है। इस रिपोर्ट को मास्टर प्लान पर सुपर इंपोज (मर्ज) किया जाएगा। 

    ट्रैफिक सर्वे: इस बिंदु में सड़कों और ट्रैफिक आदि के आंकड़े संकलित हैं। 

    सामाजिक-आर्थिक सर्वे: दून में निवास कर रहे लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के आंकड़े शामिल हैं। 

    मास्टर प्लान के साथ जोनल प्लान भी बन रहा 

    वर्तमान में जो मास्टर प्लान लागू है, उसका जोनल प्लान करीब 15 साल बाद अब जाकर लागू होता दिख रहा है। जोनल प्लान मास्टर प्लान का बड़ा रूप होता है। एक मास्टर प्लान में कई जोन होते हैं, जिनकी सूक्ष्म जानकारी पूरे प्लान में नहीं मिल पाती। हालांकि, जोनल प्लान लागू होगा तो उसे एक छोटे क्षेत्र का विस्तृत मास्टर प्लान माना जा सकता है। समझा जा सकता है कि इसके अभाव में भूपयोग की स्पष्ट पहचान कितनी मुश्किल होती है। डिजिटल मास्टर प्लान की अच्छी बात यह है कि इसके साथ-साथ जोनल प्लान भी तैयार हो रहा है। 

    रुकेगा भूपयोग का खेल 

    जोनल प्लान लागू न होने की दशा में भूपयोग में खेल करने की गुंजाइश रहती है। किसी भी भूखंड पर नक्शा पास कराने से पहले उसका स्पष्ट भूपयोग पता करना जरूरी होता है। क्योंकि अभी खसरा नंबर के हिसाब से भूपयोग की जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती। ऐसी स्थिति में की-प्लान मंगाया जाता है और मिलीगत कर भूखंड की दूरी कम-ज्यादा की जा सकती है। उदाहरण के लिए किसी विशेष सड़क से भूखंड 100 मीटर पर है और 90 मीटर तक उसका उपयोग कमर्शियल और फिर आवासीय है तो घर बनाने के लिए यह दूरी 90 मीटर से अधिक की जा सकती है। हालांकि, नए मास्टर प्लान में खसरा नंबर के सात भूपयोग दर्ज हो जाने के बाद यह खेल बंद हो जाएगा। 

    यह भी पढ़ें: 12 साल बंद रही शहर के 'दिल' घंटाघर की धड़कन, चार माह चली और फिर ठप

    इतने क्षेत्रफल पर लागू होगा जीआइएस मास्टर प्लान 

    देहरादून, 37432.96 हेक्टेयर 

    मसूरी, 17891.00 हेक्टेयर 

    कुल क्षेत्रफल, 55323.96 हेक्टेयर 

    यह भी पढ़ें: दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज की तरह जगमगाएगा डोबरा-चांठी पुल, पढ़िए पूरी खबर

    एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि वर्ष 2021 तक नए मास्टर प्लान को लागू करने की तैयारी है। इस मास्टर प्लान के बाद अवैध निर्माण, भूपयोग स्पष्ट करने जैसी तमाम बातों का स्वत: हल निकल आएगा। राजस्व रिकॉर्ड और सैटेलाइट की वास्तविक स्थिति को बिना छेड़छाड़ दर्ज किया जाएगा। इससे यह भी पता लगेगा कि राजस्व रिकॉर्ड के हिसाब से धरातल पर कितना अतिक्रमण या परिवर्तन हो गया है। 

    यह भी पढ़ें: पर्यटकों की पसंद बनी चौरासी कुटी, भर रही राजाजी राष्ट्रीय पार्क का खजाना