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    ब‍िलकुल भी नजरअंदाज न करें सीने का दर्द, Heart Disease का हो सकता है खतरा, डॉक्‍टर से जानें बचाव के ट‍िप्‍स

    Updated: Sun, 29 Dec 2024 03:03 PM (IST)

    दिल शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है लेकिन वर्तमान जीवनशैली एवं रहन-सहन में आया बदलाव हमारे हृदय के लिए खतरनाक होता जा रहा है। बचाव के लिए हृदय का ध्यान ...और पढ़ें

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    चेस्‍ट पेन को भूल से भी न करें इग्‍नोर।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। हृदय यानी दिल शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन वर्तमान जीवनशैली एवं रहन-सहन में आया बदलाव हमारे हृदय के लिए खतरनाक होता जा रहा है। बचाव के लिए हृदय का ध्यान व उसे निरोग रखना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही जीवनशैली में बदलाव लाने की भी जरूरत है। कई बार लोग छाती में दर्द को हल्के में ले लेते हैं। अकसर इसे पेट में गैस होने से जुड़ा दर्द मान लिया जाता है लेकिन कई बार छाती का यह दर्द गैस आदि के कारण नहीं बल्कि हृदय से संबंधित बीमारी हो सकती है।

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    हृदय रोग के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानना जरूरी है। शुरुआती लक्षण जान लेने से हृदय की गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। इस संदर्भ में दैनिक जागरण के सिटी रिपोर्टिंग प्रभारी अंकुर अग्रवाल ने शहर के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डा. योगेंद्र सिंह से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश।

    प्रश्न: हृदय रोग क्या-क्या हैं। इसे कैसे पहचाना जा सकता है?

    उत्तर: हृदय रोगों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज, एंजाइना व हृदयाघात प्रमुख हैं। इन बीमारियों या परेशानियों का हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जब हृदय के किसी भाग में धमनियों और नसों के जरिये फ्लो होने वाले रक्त में परेशानी पेश आए तो वह आर्टरी डिजीज बन जाता है। इसके अलावा एंजाइना को लोग कई बार छाती दर्द मान लेते हैं। यह रोग खून के थक्के जम जाने से होता है। इसमें धमनियां रक्त के थक्के जम जाने के कारण संकीर्ण हो जाती हैं। इसके अलावा अत्यधिक बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल से हृदय की नसों में खून का फ्लो रुक जाना हृदयघात को अंजाम देता है।

    प्रश्न: हृदय रोगों से बचने के लिए क्या करें?

    उत्तर: बीमारी हो जाने के बाद डाक्टर केवल इलाज कर सकते हैं। बीमारी की रोकथाम काफी हद तक लोगों के हाथ में होती है। आधुनिक जीवनशैली का बिगड़ा खानपान और रहन-सहन अधिकतर बीमारियों की जड़ माना जाता है। इसलिए लोगों को चाहिए कि जहां तक संभव हो सके पौष्टिक भोजन खाएं और शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयास करें। घर पर बने भोजन को प्राथमिकता दें। तंबाकू और धूम्रपान का सेवन भी न करें।

    प्रश्न: हृदय रोगों के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

    उत्तर: बिगड़े खानपान से ब्लड प्रैशर, शुगर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां आम हो रही हैं। लंबे समय तक चलते हुए ये बीमारियां हृदय रोगों को बुलावा देती हैं। इसके अलावा शरीर का मोटापा भी हृदय रोगों का कारण बनता है। कई बार लोगों को अचानक छाती में दर्द होने लगता है और लोग इसे गैस्ट्रिक समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में समस्या अधिक बढ़ जाने का खतरा रहता है।

    प्रश्न: जीवनशैली में क्या बदलाव करें?

    उत्तर: कच्ची सब्जियां हृदय रोगों से बचाती हैं। रोजाना गाजर, मूली, शलजम और खीरा भरपूर मात्रा में खाना चाहिए। मौसमी फलों को भोजन में शामिल करें। साथ ही पत्तेदार सब्जियां और अन्य सभी सब्जियों व दालों का सेवन भी जरूरी है। चोकरयुक्त आटा इस्तेमाल कर सकते हैं। दिन में कम से कम एक घंटा सैर व व्यायाम करें।

    प्रश्न: आजकल हृदय की बीमारी एक सामान्य बीमारी बन चुकी है, ना अब उम्र का इससे कोई वास्ता रहा, जैसा पहले कहा जाता था कि यह सिर्फ बुजुर्गों को ही होती है, ऐसा क्यों?

    उत्तर: हां यह सही है अब हृदय की बीमारी पहले की तरह नहीं रही। पहले वृद्धावस्था में शारीरिक क्षमता के कमजोर होने पर हृदयरोग का खतरा बनता था, लेकिन आज की किशोरावस्था व युवाओं में खानपान की गलत आदत व खराब दिनचर्या के कारण यह रोग किसी भी उम्र में इंसान को जकड़ रहा है। इसकी एक वजह युवा वर्ग में बढ़ती चिंता और इसके कारण तंबाकू व धूमपान का सेवन करना भी है। सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, तंबाकू का सेवन करने से हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो होने लगता है और हृदयघात का खतरा बढ़ जाता है।

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    प्रश्न: कहा जाता है कि हृदय रोगियों के लिए सर्दी का मौसम ज्यादा खतरनाक होता है, ऐसा किस वजह से होता है?

    उत्तर: सर्दी का मौसम हृदय रोगियों के लिए चिंताजनक तो होता ही है। सर्द मौसम में पहनावे को लेकर कोई दिखावा न करें, बल्कि शरीर को ढककर रखें। सर्द मौसम में धमनियां सिकुड़ती हैं और ब्लड-प्रेशर बढ़ जाता है। धूप निकलने पर गर्म कपड़े पहनकर ही बाहर निकलें। ब्लड-प्रेशर अवश्य चेक कराते रहें।

    प्रश्न: सर्दियों में क्या-क्या ख्याल रखना चहिए, जिससे ह्रदयघात जैसी बीमारी से बचा जा सके?

    उत्तर: हृदयघात से बचने के लिए सर्दियों में ब्लड-प्रेशर व शुगर को नियंत्रण में रखना सबसे अधिक जरूरी है। इसके अलावा बाहरी ठंड से बचाव भी करें। सिर भी ढककर रखें और छाती को सर्द हवा से बचाने के लिए ऊनी व गर्म कपड़े पहनकर रखें।

    प्रश्न: अगर किसी बच्चे को खेलने-कूदने की उम्र या किशोरावस्था में ह्रदयरोग हो जाए, तो कैसे पहचाना जा सकता है?

    उत्तर: अगर ऐसी उम्र में सांस फूलने की समस्या हो रही है तो चिकित्सक से परामर्श लें। ईसीजी व ईको टेस्ट अवश्य कराएं।

    प्रश्न: आज के आधुनिक युग में ह्रदयरोग के उपचार में किस तरह की क्रांति आई है और किस-किस तरह से उपचार दिया जा रहा है?

    उत्तर: आधुनिक युग में अगर रोगी को समय से अस्पताल ले आया जाए तो तत्काल उसका उपचार हो जाता है। स्टेंट (छल्ले) के माध्यम से हृदय की ब्लाक नस को आपात स्थिति में खोलकर हृदयघात से बचाया जा सकता है।

    इन लक्षणों को हल्के में न लें

    • सीने में तेज दर्द
    • बिना कारण पसीना आना
    • बेचैनी अनुभव होना
    • जबड़े-गर्दन और पीठ में दर्द होना
    • सांस लेने में कठिनाई होना
    • सांस छोटी होना
    • जल्दी-जल्दी सांस लेना व चक्कर आना
    • पल्स का धीरे-धीरे कम होना

    इन बातों का रखें ध्यान

    • अपना लोअर बीपी 80 से कम रखें। ब्लड प्रेशर ज्यादा हो तो दिल के लिए काफी खतरा है।
    • फास्टिंग शुगर 100 से कम रखें। डायबीटीज और दिल की बीमारी आपस में जुड़ी हुई हैं।
    • काेलेस्ट्राल 200 या इससे कम रखें। इसमें भी बैड काेलेस्ट्राल 130 से कम रहना चाहिए।
    • जिनको हृदय की बीमारी हो, उनका कोलेस्ट्राल 80 से कम हो तो बेहतर है।

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