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जनरल-ओबीसी कर्मियों की हड़ताल में सात दिन में फंसे एक हजार डीएल

उत्‍तराखंड में चल रही जनरल-ओबीसी कर्मियों की हड़ताल में सात कार्य-दिवस में अकेले दून में एक हजार स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस फंस गए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 02:45 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 02:45 PM (IST)
जनरल-ओबीसी कर्मियों की हड़ताल में सात दिन में फंसे एक हजार डीएल

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। सूबे में चल रही जनरल-ओबीसी कर्मियों की हड़ताल में सात कार्य-दिवस में अकेले दून में एक हजार स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस फंस गए। दरअसल, हड़ताल तो दो मार्च से चल रही, लेकिन इसमें बुधवार को शामिल कर कार्य-दिवस महज सात दिन ही पड़े। इनमें परिवहन विभाग में सभी कार्य ठप पड़े रहे। आइडीटीआर झाझरा में भी सभी काम ठप रहने से स्थायी लाइसेंस नहीं बनें। ऐसे में उन आवेदकों को अब प्रशिक्षु लाइसेंस के लिए दोबारा आवेदन करने होंगे, जिनकी छह माह की लाइसेंस वैधता खत्म हो चुकी है। ऐसे कईं आवेदक बुधवार को आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई से भी मिले, पर आरटीओ ने प्रशिक्षु लाइसेंस की वैधता खत्म होने की सूरत में स्थायी लाइसेंस के लिए नई तारीख देने में असमर्थता जताई।

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जनरल-ओबीसी की हड़ताल का व्यापक असर आरटीओ आफिस में देखने को मिल रहा है। हड़ताल में सूबे के सभी आरटीओ, एआरटीओ कार्यालयों समेत चेकपोस्टों पर कोई काम नहीं हो रहे। सुबह से शाम तक भीड़ से गुलजार रहने वाले दून आरटीओ में आजकल सन्नाटा दिख रहा है। बुधवार से आरटीओ में तीन आवश्यक काउंटर जरूर खोल दिए गए, जिससे प्रशिक्षु लाइसेंस के साथ ही कैश जमा करने व चालान जुर्माना जमा होना शुरू हो गया, लेकिन बाकी काम अब भी ठप पड़े हैं। खासकर फिटनेस का काम। वहीं, आरटीओ के आइडीटीआर में स्थायी लाइसेंस का काम एकदम ठप पड़ा है। वहां रोजाना दुपहिया और चौपहिया के 150 स्थायी लाइसेंस बनते हैं। दो मार्च से अब तक 1050 लाइसेंस नहीं बन पाए हैं। इनमें 350 लाइसेंस चौपहिया के व बाकी दुपहिया के लिए हैं।

वहीं, आरटीओ में काम ठप होने से नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन और सभी वाहनों की फिटनेस का काम ठप है। करीब तीन हजार नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन फंसा हुआ है व करीब एक हजार वाहनों की फिटनेस फंसी हुई।

करीब 28 करोड़ की लगी चपत

आरटीओ कार्यालय में विभिन्न मदों में सरकार को रोजाना 40 से 50 लाख रुपये का राजस्व मिलता है। जबकि, प्रदेशभर के राजस्व पर गौर करें तो रोजाना करीब चार करोड़ रुपये राजकीय कोष में जमा कराए जाते हैं। ऐसे में सात कार्य दिवसों में राज्य सरकार को 28 करोड़ की चपत लगी है।

डीएल आवेदकों की बढ़ी चिंता

हड़ताल के कारण सबसे ज्यादा परेशानी लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बना रहे आवेदकों को हुई। दरअसल, ऑनलाइन आवेदन के कारण आवेदकों को परीक्षा व बायोमैट्रिक के लिए जो तिथि मिली हुई थी, हड़ताल के कारण उनका काम नहीं हुआ। इसी तरह से आगे के दिनों में भी आवेदकों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने बताया कि प्रशिक्षु लाइसेंस के लिए जिनकी परीक्षा नहीं हो पाई, उनकी परीक्षा हड़ताल खुलने पर आने वाले दिनों में नए स्लाट में करा दी जाएगी। जिन आवेदकों के प्रशिक्षु लाइसेंस से स्थायी लाइसेंस बनने हैं और उनके प्रशिक्षु लाइसेंस की वैधता अभी बाकी है तो उन्हें चिंता करने की कोई बात नहीं। लेकिन, जिनकी वैधता खत्म हो चुकी है, उन्हें फिर से प्रशिक्षु लाइसेंस बनाने का आवेदन करना होगा।

एससी-एसटी कर्मियों ने खोले तीन काउंटर

आरटीओ में एससी-एसटी संवर्ग के कर्मियों के जरिए तीन काउंटर पर काम शुरू किया गया। प्रशिक्षु लाइसेंस की कंप्यूटर पर परीक्षा व फोटो खींचने का काम शुरू किया गया। इसके अलावा कैश जमा करने और चालान के भुगतान से संबंधित काउंटर पर भी काम शुरू कर दिया गया है। आरटीओ ने बताया कि वर्तमान में आफिस में केवल सात कार्मिक कार्य कर रहे, ऐसे में अति आवश्यक काउंटर खोले गए हैं।

हड़ताल से सात दिन में प्रभावित कार्य

  • कार्य-संख्या
  • वाहन फिटनेस-1000
  • नए वाहन पंजीयन-3000
  • टैक्स-1800
  • परमिट नवीनीकरण-500 से 600
  • स्थायी लाइसेंस- 1050
  • (नोट: यह दून आरटीओ में सात दिन में ठप कार्यों की तस्वीर है।)

हड़ताल के चलते नहीं हो रही आरटीए बैठक

दून से सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र को सीधे परिवहन सेवा से जोड़ने की कसरत जनरल-ओबीसी कर्मचारियों की हड़ताल में फंस गई है। इस मामले समेत अन्य परिवहन सेवा बढ़ाने को लेकर मार्च के दूसरे हफ्ते में बुलाई जा रही संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक पर हड़ताल का साया मंडरा रहा। बैठक पिछले तीन माह में पांच बार स्थगित हो चुकी है। वहीं, आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने बताया कि अब हड़ताल खत्म होने के बाद ही यह बैठक हो पाएगी।

देहरादून शहर का दायरा बढ़ने के साथ ही इससे सटे क्षेत्रों से सीधी परिवहन सेवा को जोड़ने की कसरत सरकार कर रही है। चूंकि, सेलाकुई वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी विस्तार ले चुका है, ऐसे में शहर से सेलाकुई के लिए सीधी परिवहन सेवा की मांग लंबे समय से उठ रही है। देहरादून-सेलाकुई मार्ग पर हर रोज तीन से चार हजार दैनिक यात्री सफर करते हैं। इनमें छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ ही फैक्ट्री कर्मचारियों की संख्या काफी अधिक है। शहर से सिटी बसें अब तक केवल झाझरा तक ही जाती हैं। इस मार्ग पर दून-डाकपत्थर निजी बसों का ही सहारा रहता है।

आमजन की समस्या को देखते हुए क्षेत्र के विधायक सहदेव सिंह पुंडीर ने सीएम व परिवहन विभाग से सेलाकुई तक सिटी बस सेवा देने की मांग की थी। परिवहन आयुक्त ने इसे स्वीकृति दे दी है। आरटीए बैठक के जरिए परमिटों की संख्या निर्धारित करने के बाद इस मार्ग पर सिटी बसें चलाए जाने की तैयारी चल रही है। वहीं, आरटीए बैठक में शहर में भी कई मार्गों पर टाटा मैजिक और अन्य सवारी वाहनों के परमिट जारी करने पर विचार होना है, लेकिन फिलहाल बैठक जल्द होती नजर नहीं आ रही।

81 सिटी बसों के परमिट सरेंडर

वर्तमान में दून शहर में 16 मार्गों पर सिटी बसों का संचालन होता है। परिवहन विभाग ने 262 सिटी बसों के परमिट जारी किए हैं, लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि मार्गों पर घाटे की वजह से इसमें 81 बसों के परमिट सरेंडर हैं। सिटी बसों के लिए मुनाफे वाला रूट राजपुर-क्लेमनटाउन मार्ग माना जाता है लेकिन यहां भी एक बस का परमिट सरेंडर है। सर्वाधिक घाटा एमडीडीए-डाट मंदिर के साथ ही परेड ग्राउंड-प्रेमनर-परवल समेत सीमाद्वार-नालापानी रूट पर है। तीनों मार्गों पर 44 बसों के परमिट सरेंडर हैं।

सिटी बसों में मिलेगा टिकट

सिटी बसों में मनमाना किराया वसूलने की शिकायत पर आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई की ओर से सिटी बस संचालकों को टिकट देने की हिदायत दी है। मौजूदा समय में किसी सिटी बस में टिकट नहीं दिया जा रहा। अब चूंकि किराया किमी के स्लैब में तय हुआ है तो परिचालक यात्रियों से ज्यादा किमी के स्लैब का किराया ले रहे। टिकट न देने पर यात्रियों से विवाद भी हो रहे। इसे गंभीरता से लेते हुए आरटीओ ने सभी सिटी बसों में टिकट देने के निर्देश दिए हैं।

हड़ताल से कार्यालयों में सन्नाटा, लोग परेशान

होली के बाद सरकारी कार्यालय तो खुले, लेकिन सभी जगह-जगह सन्नाटा पसरा रहा। कुछ में लोगों की भीड़ दिखी, लेकिन कार्मिकों की हड़ताल के चलते कामकाज ठप रहा। केवल एससी-एसटी वर्ग के कार्मिक ही दफ्तरों में नजर आए।

बुधवार को दून में अधिकांश दफ्तर हड़ताल के कारण खाली रहे। कलक्‍ट्रेट, विकास भवन, तहसील, खाद्य आपूर्ति, समाज कल्याण, शिक्षा निदेशालय आदि विभागों में कामकाज ठप रहा। कुछ विभागों में लोग पहुंचे, लेकिन वहां कार्मिक नदारद रहे और मायूस होकर लोग बैरंग लौटे। अधिकांश विभागों में महज एससी-एसटी वर्ग के कार्मिक या संविदा कर्मी ही नजर आए। हालांकि, कुछ कार्य हुए भी पर जन सामान्य के अधिकांश कार्यों पर हड़ताल हावी दिखी। एससीआरटी की बात करें तो यहां हड़ताल के चलते कार्यालय के ताले भी नहीं खोले गए। तमाम कार्मिक सुबह ही हड़ताल में शामिल होने निकल गए।

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तहसील में छह दिन से सर्वर ठप

डिस्पेंसरी रोड स्थित राजीव गांधी कॉम्प्लेक्स में स्थित तहसील भवन में प्रवेश करते ही भारी भीड़ नजर आई, पूछने पर पता चला कि सभी लोग आय समेत अन्य प्रमाण पत्र बनवाने पहुंचे हैं, लेकिन उन्हें लौटाया जा रहा है। यहां बैठे गिनती के कार्मिकों ने बताया कि पिछले करीब छह दिन से ई-डिस्ट्रक्ट का सर्वर ठप है, जिससे कई कार्य बाधित हैं। हालांकि, तहसील के भी अधिकांश कार्मिकों के हड़ताल में शामिल होने के कारण वैसे भी कई कार्य पहले से ही बाधित हैं।

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