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स्कूलों के विलय के विरोध में शिक्षक, एचआरडी मंत्री निशंक को सौंपा ज्ञापन, पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड में स्कूलों के विलय के विरोध में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ज्ञापन सौंपा

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2020 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 11 Mar 2020 04:37 PM (IST)
स्कूलों के विलय के विरोध में शिक्षक, एचआरडी मंत्री निशंक को सौंपा ज्ञापन, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। स्कूलों के विलय के विरोध में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों के विलय से पहले शिक्षकों की सेवा नियमावली तय होना जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो विलय के विरोध में प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। 

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प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की प्रदेश कार्यकारिणी सोमवार को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल के डालनवाला स्थित दफ्तर में आयोजित होली मिलन समारोह में शामिल होने पहुंचे। यहां उन्होंने केंद्रीय मंत्री निशंक को अपना मांगपत्र सौंपा। संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल कहा कि सरकार स्कूलों के विलय का फैसला तो ले लेती है, लेकिन उच्चीकृत हो रहे स्कूलों के शिक्षकों के लिए अब तक कोई नियमावली सरकार ने तय नहीं की है। 

प्रदेश के कई जूनियर हाईस्कूल प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत संचालित हो रहे हैं तो कई माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत। दोहरी व्यवस्था के चलते शिक्षकों के हित और पढ़ाई का ढांचा भी प्रभावित हो रहे हैं। संघ ने शिक्षा विभाग और सरकार से विलय से पहले शिक्षकों की नियमावली तय करने की मांग की। प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा, प्रांतीय महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा समेत अन्य लोग मौजूद रहे। निशंक ने प्रतिनिधिमंडल को उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। 

कार्यकाल में तीन दफा वेतनमान का लाभ मिले 

अखिल भारतीय केंद्रीय विद्यालय शिक्षक संगठन ने भी मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल के समक्ष अपनी मांगी रखी। संगठन के अध्यक्ष डीएम लखेड़ा ने केवि शिक्षकों को पूरे कार्यकाल में तीन बार विशेष वेतनमान लाभ, शिक्षक व कर्मचारियों को केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना का लाभ देने की मांग प्रमुखता से उठाई। लखेड़ा ने कहा कि सालों से शिक्षक इन मांगों के लिए संघर्षरत हैं।

डीएम लखेड़ा ने उत्तराखंड में नए प्रस्तावित केवि इसी सत्र में खोलने की पैरवी करते हुए क्लेमेनटाउन और मोथरोवाला में बंद हुए केवि को भी जल्द दोबारा खोलने की मांग भी रखी। उन्होंने इस सत्र से मसूरी और अल्मोड़ा केवि को हार्ड स्टेशन की सूचि से हटाए जाने का विरोध जताया। कहा कि दोनों ही केवि सुगम नहीं हैं ऐसे में इन्हें हार्ड स्टेशन ही रहना चाहिए। निशंक ने सभी मांगों पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी राकेश गोयल, राजेंद्र भंडारी समेत अन्य लोग मौजूद रहे। 

अन्य मांगे 

- रिक्त शिक्षक और कर्मचारी पदों को भरा जाए 

- शिक्षकों को जरूरत से ज्यादा गतिविधियां का भार न दिया जाए 

- संविदा पदों के वेतन का भुगतान मुख्यालय स्तर से किया जाए 

स्कूलों के विलय से पूर्व  सीएम को सौंपे सुझाव 

प्रदेश में होने जा रहे स्कूलों के विलय के लिए शासन स्तर से सुझाव मांगे गए थे। जूनियर हाईस्कूल संघ की जिला इकाई ने सोमवार को मुख्यमंत्री को अपने सुझाव सौंपे। सोमवार को जिला अध्यक्ष रघुवीर सिंह पुंडीर के नेतृत्व में संघ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से भेंट करने पहुंचा। पुंडीर ने कहा कि स्कूलों के विलय से पहले शिक्षकों की सेवा नियमावली तय होना जरूरी है। उन्होंने उच्चीकृत हो रहे स्कूलों में जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों से ही शिक्षण कराने और विद्यालयों को एक किलोमीटर की दूरी में ही समायोजित करने की मांग की। 

अतिथि शिक्षकों के समायोजन की मांग 

दूसरी तरफ राजकीय माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को ज्ञापन सौंपकर अतिथि शिक्षकों के समायोजन की मांग की। संघ ने नियमित शिक्षकों की नियुक्ति पर अतिथि शिक्षकों को नौकरी से नहीं हटाने समेत अन्य मांगें भी उनके समक्ष रखीं। संघ के पूर्व महामंत्री गोविंद सिंह दानू ने बताया कि नियमित शिक्षकों की नियुक्ति पर अतिथि शिक्षकों को नौकरी से बाहर कर दिया जाता है।

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उन्होंने इस व्यवस्था को बदलकर अतिथि शिक्षकों के समायोजन की मांग की। साथ ही अतिथि शिक्षकों का न्यूनतम वेतनमान 25 हजार करने और साल 2015 से 2017 के बीच सेवा दे चुके शिक्षकों को नियमित भर्ती में छूट देने की मांग की। संघ ने पूर्व में अतिथि शिक्षक के तौर पर सेवा देने वाले शिक्षकों को नियमित नियुक्ति में वेटेज देने की मांग भी की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने मांगों को सरकार के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया। 

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