डिजिलॉकर उत्तराखंड में है मान्य, बेफिक्र हो गाड़ी चलाएं, पढ़िए पूरी खबर
आरसी डीएल व प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र की मूल कॉपी साथ रखने से बचना चाहते हैं तो केंद्र सरकार के ट्रांसपोर्ट डिजिटल लॉकर यानी डिजिलॉकर में रख सकते हैं।
देहरादून, जेएनएन। आप वाहन चलाते वक्त रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) व प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र की मूल कॉपी साथ रखने से बचना चाहते हैं तो केंद्र सरकार के ट्रांसपोर्ट डिजिटल लॉकर यानी डिजिलॉकर में रख सकते हैं। मोबाइल एप डिजिलॉकर व एम. परिवहन प्रदेश में पूरी तरह मान्य है और शासन ने इसका शासनादेश तक जारी किया हुआ है।
दरअसल, ऐसी शिकायतें हैं कि जगह-जगह पुलिसकर्मी वाहन चेकिंग के दौरान डिजिलॉकर में रखे दस्तावेजों को प्रमाणित नहीं मान रहे और वाहन को सीज करने या चालान की कार्रवाई कर रहे। ऐसी शिकायतें परिवहन विभाग व पुलिस विभाग को मिली हैं। परिवहन विभाग से आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई, जबकि पुलिस से यातायात निदेशक केवल खुराना ने बताया कि आरसी और डीएल समेत वाहन के तमाम दस्तावेज डिजिलॉकर में हैं तो वाहन का चालान नहीं काटा जा सकता, ना ही उसे सीज किया जा सकता। अगर कोई पुलिसकर्मी डिजिलॉकर को अमान्य कहता है तो परिवहन व पुलिस विभाग में उसकी शिकायत करें।
कुछ साल पहले तक परिवहन विभाग वाहन चालकों को आरसी व डीएल साथ रखने की छूट देने के लिए ग्रीन-कार्ड की सुविधा देता था, लेकिन बाद में सुविधा पर रोक लग गई। ऐसे में चालकों को आरसी व डीएल साथ लेकर चलने पड़ते हैं। यदि पुलिस या परिवहन विभाग का दस्ता मिल जाए तो मौके पर दस्तावेज दिखाने जरूरी हैं। चौपहिया सवारों को तो दस्तावेजों को साथ लेकर चलने में दिक्कत नहीं, लेकिन दुपहिया सवारों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। खासतौर से बाइक पर। डिग्गी या कोई सुरक्षित स्थान नहीं होने की वजह से बाइक में दस्तावेजों के भीगने का खतरा बना रहता है। डिजिटल लॉकर को आधार कार्ड से लिंक कर आप खुद अपने वाहन की आरसी और डीएल इसमें अपलोड कर सकते हैं। इसके लिए स्मार्ट फोन यूजर को गूगल-प्ले स्टोर से डिजिटल लॉकर एप को डाउनलोड करना होगा और सुविधा आपके मोबाइल पर शुरू हो जाएगी।
डिजिटल या डिजिलॉकर को मान्यता देते हुए सरकार ने परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिया कि वेरिफिकेशन के लिए असली दस्तावेज न देखे जाएं। आइटी एक्ट-2000 के तहत सरकार ने डिजिलॉकर या एमपरिवहन एप पर मौजूद दस्तावेज की ई-कॉपी को वैध माना है। पुलिस भी अपने मोबाइल में मौजूद दोनों एप से ड्राइवर और वाहन की जानकारी डेटाबेस से मिलान कर सकती है।
क्या है डिजिटल लॉकर
डिजिटल लॉकर या डिजिलॉकर एक तरह का वर्चुअल लॉकर है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 2015 में लांच किया था, मगर इससे जुड़े नियमों को केंद्र सरकार ने 2017 में नोटिफाई किया था। सरकार का दावा है कि एक बार डिजिलॉकर में अपने दस्तावेज अपलोड करने के बाद उन्हें फिजिकली खुद के साथ रखने की जरूरत नहीं है। संबंधित अधिकारी द्वारा वाहन के कागज मांगे जाने पर आप डिजिलॉकर दिखाकर अपना काम चला सकते हैं।
आधार होना बेहद जरूरी
अगर आपके पास आधार कार्ड है तो ही डिजिटल लॉकर में अपने जरूरी दस्तावेज रख सकते हैं। लॉकर आपके आधार कार्ड की जानकारी के जरिए ही आपका एकाउंट खोलता है। डिजिलॉकर में एकाउंट खुलने के बाद आप अपने वाहन के दस्तावेज या शैक्षिक दस्तावेज इसमें अपलोड कर सकते हैं। डिजिटल लॉकर की खासियत ये है कि आप कहीं भी और कभी भी अपने तमाम दस्तावेज जरिए जमा कर सकते हैं। लॉकर स्कीम में हर भारतीय नागरिक वाहन और शैक्षिक समेत मेडिकल, पासपोर्ट और पैन कार्ड आदि की डिटेल को डिजिटल फॉर्म में रख सकता है।
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बोले अधिकारी
- दिनेश चंद्र पठोई (आरटीओ) का कहना है कि डिजिलॉकर या डिजिटल लॉकर के साथ एमपरिवहन मोबाइल एप पूरी तरह सरकारी तंत्र के अधीन है। इसमें दस्तावेज रखे होने पर आप चेकिंग के दौरान डिजिलॉकर दिखा सकते हैं। आपको मूल दस्तावेज रखने की जरूरत नहीं।
- केवल खुराना (यातायात निदेशक) का कहना है कि प्रदेश में डिजिलॉकर सेवा पिछले साल से लागू हो चुकी है। कोई पुलिसकर्मी चेकिंग के दौरान डिजिलॉकर में दस्तावेज होने पर वाहन का चालान नहीं किया जा सकता है। अगर कोई पुलिसकर्मी ऐसा करता है तो उसकी शिकायत यातायात निदेशालय और पुलिस आफिस में की जा सकती है।
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