72 घंटे में किसानों को खाते में मिलेगा खरीदे गए धान का भुगतान, MSP से बदलेगी किस्मत
उत्तराखंड में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए धान की खरीद 1 अक्टूबर से शुरू हो गई है। किसान केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेच सकेंगे जिसका भुगतान 48-72 घंटे में सीधे उनके खाते में होगा। सामान्य धान का मूल्य 2369 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है। मंडुवा की खरीद 31 दिसंबर तक होगी जिसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए धान खरीद नीति जारी होने के बाद धान की खरीद एक अक्टूबर से शुरू कर दी गई। अब किसान केंद्र सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेच सकेंगे। खरीदे गए धान का भुगतान 48 से 72 घंटे के भीतर सीधे किसानों के बैंक खाते में जाएगा।
सामान्य धान का समर्थन मूल्य 2369 रुपये प्रति क्विंटल व ग्रेड ए धान का मूल्य 2389 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। राज्य ने लगभग 350 खरीद केंद्रों पर कुल खरीद का अनुमान 2.25 लाख मीट्रिक टन रखा है।
वहीं मंडुवा (रागी) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4886 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। मंडुवा की खरीद 31 दिसंबर, 2025 तक होगी। इसके लिए राज्य सहकारी संघ को नामित एजेंसी बनाया गया है। राज्यभर में 275 मंडुवा खरीद केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिनमें 120 गढ़वाल और 155 कुमाऊं मंडल में होंगे।
खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के अपर आयुक्त पीएस पांगती के मुताबिक धान बेचने के लिए किसानों का पंजीकरण अनिवार्य होगा, जिसके लिए विभागीय पोर्टल सहित कॉमन सर्विस सेंटर और सहकारी समितियों के माध्यम से व्यवस्था की गई है।
ग्राम पंचायत स्तर पर भी शिविर लगाकर पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। बिना पंजीकरण कोई किसान धान नहीं बेच पाएगा। सभी जिलों में सरकारी खरीद केंद्र बनाए जाएंगे और इसकी निगरानी जिला खाद्य अधिकारी, सहायक खाद्य आयुक्त तथा मंडी समितियां करेंगी।
महिला व दिव्यांग किसानों के लिए खेत पर ही गुणवत्ता परीक्षण की सुविधा रहेगी तथा पिछले वर्ष से पंजीकृत किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
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उधर किसानों को मंडुवा बेचने के लिए आनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा और आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड या अन्य पहचान पत्र व बैंक पासबुक प्रस्तुत करनी होगी। बगैर पंजीकरण किसान मंडुवा विक्रय नहीं कर सकेगा।
खरीद केंद्रों पर किसानों के लिए सफाई, छंटाई, तौल, बोरियों की व्यवस्था, पेयजल, बैठने, शेड, प्राथमिक उपचार और तौल मशीन जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। खरीदे गए मंडुवा का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में एक सप्ताह के भीतर किया जाएगा।
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