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उत्तराखंड में नहीं थम रहा डेंगू, मच्छर के दम से स्वास्थ्य महकमा हुआ बेदम

डेंगू के मरीज बढऩे के साथ ही दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अस्पताल के बरामदे में बेड लगाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 09:38 AM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 06:00 AM (IST)
उत्तराखंड में नहीं थम रहा डेंगू, मच्छर के दम से स्वास्थ्य महकमा हुआ बेदम

देहरादून, जेएनएन। डेंगू के मरीज बढऩे के साथ ही दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अस्पताल के बरामदे में बेड लगाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इसमें एक तीन माह का बच्चा भी शामिल है। इधर स्टाफ की कमी के चलते अस्पताल की व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई हैं। अस्पताल में डेंगू के पांच वार्ड बनाए गए हैं, जिनमें 55 बेड हैं। यहां मरीजों की देखभाल के लिए एक शिफ्ट में 5-6 कर्मी ही तैनात हैं। 

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मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 610

समय के साथ-साथ डेंगू अब विकराल होता जा रहा है। ताजा मामलों में दून में 11 नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है, इनमें आठ पुरुष और तीन महिला शामिल हैं। इसके बाद दून में डेंगू के मरीजों का अब तक का आंकड़ा 610 पहुंच गया है। प्रदेश में यह संख्या 635 पहुंच गई है। इसमें 406 पुरुष और 229 महिला हैं। 

डेंगू के चलते सबसे ज्यादा दून अस्पताल में हालात बेकाबू हैं। यहां डेंगू के मरीजों के लिए बरामदे में भी 10 बेड लगाए गए हैं। जहां मरीजों को समुचित सुविधा नहीं दी जा रही है। डेंगू के मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में मच्छरदानी लगाकर इलाज किया जा रहा है। 

तीन माह के मासूम को भी डेंगू

दून अस्पताल में जिन मरीजों का इलाज किया जा रहा है, इनमें एक तीन माह का मासूम भी शामिल है। भगत सिंह कॉलोनी निवासी परिजनों ने बताया कि बच्चे को डेंगू की पुष्टि होने के बाद भर्ती कराया गया है, लेकिन उन्हें बरामदे में जगह दी गई है। बच्चे को न तो मच्छरदानी दी गई और नहीं कोई दूसरी एहतियात बरती जा रही है। एक तरह से मासूम की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। वहां तैनात कर्मचारियों ने बताया कि स्टाफ की कमी की वजह से पीडिया वार्ड चालू नहीं किया जा सका है। 

स्टाफ की कमी से हालात खराब

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वॉय की भारी कमी की वजह से मरीजों की देखभाल सही ढंग से नहीं हो पा रही है। बच्चों के लिए डेंगू वार्ड को शुरू करने लिए वार्ड ब्वॉय की जरूरत है। अस्पताल को 126 वार्ड ब्वॉय और 185 स्टाफ नर्स की आवश्यकता है। कहा कि बीएससी और एमएससी नर्सिंग कर रही छह नर्सों को अस्पताल में तैनात किया गया है। इसके अलावा निजी कॉलेजों से भी कई छात्र-छात्राओं की ड्यूटी लगाई गई है। पर ये इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। 

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अन्य मरीजों पर भी असर 

डेंगू के बढ़ते प्रकोप का असर अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर भी पड़ रहा है। क्योंकि जिन वार्डों में न्यूरो या अन्य बीमारियों के मरीजों को भर्ती किया जाना था वहां अब डेंगू के मरीज भर्ती हैं। ऐसे में इन मरीजों को अन्य अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हाल ये है कि बरामदे से लेकर वार्डों में लगे सभी बेड फुल हैं। क्षमता से अधिक मरीज भर्ती होने के चलते अस्पताल प्रशासन की भी सांसें फूल रही हैं। 

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कोरोनेशन व गांधी अस्पताल में भी मरीजों का दबाव

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अलावा कोरोनेशन अस्पताल व गांधी शताब्दी चिकित्सालय में भी एक दिन पहले एलाइजा रीडर मशीन लग चुकी है। इस मशीन में डेंगू से संबंधित ब्लड सैंपल की एलाइजा जांच की जाती है। एलाइजा जांच से ही यह बात साफ होती है कि संबंधित मरीज डेंगू की बीमारी से पीडि़त है अथवा नहीं। शहर में डेंगू के बढ़ते कहर को देखते हुए सामान्य बुखार से पीडि़त मरीज भी अस्पतालों का रूख कर रहे हैं। इससे कोरोनेशन व गांधी नेत्र चिकित्सालय में भी मरीजों का दबाव बना हुआ है।  

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