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उत्तराखंड में डेंगू के आगे सिस्टम हारा, अब बस मौसम का सहारा

उत्तराखंड में डेंगू के आगे सिस्टम भी हार गया है। अब बस मौसम ठंडा होने का इंतजार है। वहीं प्रदेश में डेंगू पीड़ितों की संख्या बढ़कर 618 तक पहुंच गई है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 09:54 AM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 08:06 PM (IST)
उत्तराखंड में डेंगू के आगे सिस्टम हारा, अब बस मौसम का सहारा

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में डेंगू का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। डेंगू के लिहाज से यह महीना शहर पर भारी गुजरा है। इस वजह से दून में डेगू पीड़ितों की अब तक की संख्या 599 हो चुकी है। वहीं प्रदेश में डेंगू पीड़ितों की संख्या बढ़कर 618 तक पहुंच गई है। 

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दून में कभी मेघ बरस रहे हैं और कभी चटख धूप खिल रही है। ये मौसम मच्छर के पनपने में मददगार बना है। विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई से सितम्बर तक का वक्त मच्छर के लिए अनुकूल रहता है। अक्टूबर में ठंड शुरू होने के कारण डेंगू का प्रकोप भी कम होने लगेगा। पर सितम्बर अंत तक खास सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। 

दून में डेंगू का डंक बहुत गहरा है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि डेंगू अनियंत्रित हो चुका है। शहर में डेंगू का आंकड़ा 600 के करीब पहुंच गया है। तीन साल के भीतर यह मरीजों की सर्वाधिक संख्या है। बस्तियां हों, वीआइपी या वीवीआइपी इलाका। हर तरफ डेंगू का खौफ बना हुआ है। अस्पतालों में भी मरीजों का तांता लगा हुआ है। 

स्थिति ये है कि मरीजों को बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं। रोजाना बड़ी संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं। सरकारी तंत्र भी डेंगू के आगे बौना साबित हुआ है। जानकारों की मानें तो डेंगू का डंक सितम्बर तक यूं ही कहर बरपाता रहेगा।

जुलाई से सितम्बर तक बारिश व धूप का क्रम लगातार बना रहता है, जिससे सड़कों, गड्ढों आदि में पानी भरा रहता है। इस वजह से डेंगू के मच्छर का लार्वा तेजी से पनपता है। साथ ही इस समय तापमान में अचानक बदलाव भी होता है। इसलिए भी यह तीन महीने डेंगू के लिहाज से काफी खतरनाक होते हैं।

अक्टूबर शुरू होते ही तापमान में कमी आने से ठंड शुरू हो जाती है, इसलिए डेंगू का प्रकोप कम होने लगता है। जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी सुभाष जोशी का कहना है कि बारिश होने, तापमान में लगातार बदलाव के कारण इस वक्त मच्छरों का प्रकोप ज्यादा रहता है। सर्दी डेंगू के मच्छर को निस्तेज कर देगी। 

37 और लोगों को लगा डेंगू का डंक

डेंगू के विकराल होते रूप से सरकारी तंत्र में भी हड़कंप मचा हुआ है। बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन व नगर निगम भले कई दावे कर रहे हैं, लेकिन इंतजाम नाकाफी साबित हुए हैं। शायद यही वजह है कि विभागीय दावों केविपरीत डेंगू का मच्छर और तेजी से पांव पसार रहा है। 

ताजा रिपोर्ट में राजधानी देहरादून में 37 और लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई। इनमें 21 पुरुष व 16 महिलाएं हैं। सभी मरीज अलग-अलग क्षेत्रों के रहने वाले हैं। इस तरह दून में डेगू पीड़ितों की अब तक की संख्या 599 हो चुकी है। वहीं प्रदेश में डेंगू पीड़ितों की संख्या बढ़कर 618 तक पहुंच गई है। 

पहले जहां डेगू की चपेट में पुरुष अधिक आ रहे थे, वहीं अब महिलाओं पर डेगू का मच्छर ज्यादा डंक मारने लगा है। अब तक जितने मरीजों में डेगू की पुष्टि हुई है उनमें पुरुषों की संख्या 396 और महिलाओं की 222 है। 

इधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दावा करते नहीं थक रहे हैं कि बीमारी से बचाव के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों में नगर निगम के सहयोग से फॉगिंग व दवा का छिड़काव किया जा रहा है। अलग-अलग टीमें घर-घर पहुंचकर मच्छर के लार्वा का सर्वे कर रही हैं। स्थानीय लोगों को भी मच्छर का लार्वा पहचानने के बारे में जानकारी दी जा रही है। हेल्थ कैंप लगाकर सामान्य बुखार से पीड़ित मरीजों को दवा दी जा रही है और संदिग्ध मरीजों के ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। 

घरों व सरकारी दफ्तरों में डेगू का लार्वा मिलने पर चालान करने की बात भी शासन-प्रशासन उच्चाधिकारियों ने कही थी। अब तक ऐसी कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।

पैथोलॉजी लैब में लंबी कतार

डेंगू से ज्यादा तेज उसका खौफ फैल रहा है। इस स्थिति में सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ दिख रही है। सबसे ज्यादा मारामारी पैथोलॉजी लैब में है। जांच कराने के लिए लैब में सुबह से ही मरीजों की लंबी कतार लग जा रही है। कई घंटे इंतजार के बाद ही मरीज का नंबर आ रहा है।

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की पैथोलॉजी में भी स्थिति कमोबेश यही है। इससे पैथोलॉजी लैब में कार्यरत तकनीशियनों पर भी भारी दबाव है। कई मर्तबा तो हंगामे के आसार बन जा रहे हैं। मरीजों के संभालने में सुरक्षा कर्मियों के भी पसीने छूट रहे हैं। 

बता दें, दून अस्पताल की पैथोलॉजी में इन दिनों दोगुने सैंपल आ रहे हैं। मंगलवार को दून अस्पताल की पैथोलॉजी में 3686 जांच की गईं। इसमें 301 एलाइजा जांच थीं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए 22 बेड बढ़ा दिए गए हैं, इस तरह से अब 55 बेड डेंगू मरीजों के लिए आरक्षित हो गए हैं। मंगलवार तक अस्पताल में डेंगू के 34 मरीज भर्ती थे। 

दून अस्पताल ने खड़े किए हाथ 

दून अस्पताल में एक ही दिन में एलाइजा जांच के लिए 500 से ज्यादा सैंपल जांच केलिए पहुंच रहे हैं। इसमें निजी अस्पतालों से आने वाल सैंपल की संख्या भी बहुत ज्यादा है, ऐसे में दून अस्पताल में भर्ती या जांच करवाने वाले मरीजों की जांच पर असर पड़ रहा है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने निजी अस्पतालों की जांच कोरोनेशन अस्पताल में करवाने की मांग की है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने पैथोलॉजी विभाग को अस्पताल में भर्ती या सैंपल देने वाले मरीजों की ही जांच के निर्देश दिए हैं। 

एलाइजा जांच को किट भी पड़ने लगी कम 

डेंगू की जांच केलिए एलाइजा जांच करवाना जरूरी है, लेकिन हालात ये हैं कि पूरे शहर के सैंपल दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल ही पहुंच रहे हैं। एक दिन में औसतन 300 जांच की जा रही हैं। मरीज बढ़ने से अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। अस्पताल में मंगलवार तक एलाइला टेस्ट की सिर्फ 10 ही किट बची थीं। एक किट में 96 सैंपल की जांच हो सकती है। इस तरह से अगले तीन दिन तक का ही स्टॉक अस्पताल में बचा है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन अब अपने स्तर पर किट मंगवाने की बात कह रहा है। 

कोरोनेशन-गांधी शताब्दी में भी जांच शुरू

कोरोनेशन व गांधी शताब्दी अस्पताल में मंगलवार से एलाइजा जांच शुरू हो गई। यहां न केवल खुद की बल्कि विभिन्न निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की भी जांच होने लगी है। इससे दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल को राहत मिलेगी।

बता दें, डेंगू की एलाइजा जांच के लिए मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही थी। जिसे देखते हुए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तत्काल एलाइजा जांच मशीन खरीद की स्वीकृति देकर जांच शुरू करने के निर्देश दिए थे। सीएमएस डॉ. बीसी रमोला का कहना है कि जांच के विकल्प बढऩे से अब मरीजों को दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी।

एसएमआइ अस्पताल में 100 बेड आरक्षित

डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में 100 अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। अस्पताल में डेंगू से संबंधित मामलों पर नजर रखने के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है। मेडिसिन विभाग के डॉ. राजेंद्र कुमार को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इससे पूर्व अस्पताल में 20 बेड का एक वार्ड आरक्षित रखा गया था। 

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यह जानकारी पत्रकार वार्ता में अस्पताल केचिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनय राय ने दी। उन्होंने बताया कि आइसीयू में भी डेंगू के मरीजों के लिए पांच बेड आरक्षित किए गए हैं। कहा कि अस्पताल प्रबंधन का यह प्रयास है कि डेंगू के मरीज को उपचार के लिए भटकना न पड़े। उन्होंने कहा कि मेडिसिन विभाग व ब्लड बैंक के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मरीजों को बेड व प्लेटलेट्स उपलब्ध कराने के लिए पूरी तैयारी की जाए। 

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कहा कि बीमारी की रोकथाम व बचाव केलिए अस्पताल प्रबंधन स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर जागरूकता शिविर लगाए जाने व हर संभव मदद करने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि अस्पताल की एनएबीएल सर्टिफाइड सेंट्रल लैब में मरीजों में संभावित डेंगू के लक्षण पाए जाने पर 24 घंटे में सैंपल जांच की व्यवस्था उपलब्ध है। पत्रकार वार्ता में मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अमित वर्मा, डेंगू के नोडल अधिकारी राजेंद्र कुमार, ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. गौरव रतूड़ी आदि उपस्थित रहे।

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