प्रदूषण पर दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड की बसों पर किया दो लाख का जुर्माना, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड की बसें प्रदूषण फैला रही हैं। यह दावा दिल्ली पुलिस का है। इसी के चलते दिल्ली पुलिस ने रोडवेज की दो बसों का दो लाख का चालान किया।
देहरादून, जेएनएन। राज्य परिवहन निगम उत्तराखंड की बसें प्रदूषण फैला रही हैं। यह दावा दिल्ली पुलिस का है। इसी के चलते दिल्ली पुलिस ने रोडवेज की रुद्रपुर और ऋषिकेश डिपो की दो बसों का एक-एक लाख रुपये का चालान करते हुए दोनों बसें सीज कर दीं। ऐसे में आरोप लग रहे कि उत्तराखंड की बसें बिना प्रदूषण जांच दौड़ रहीं हैं। वो भी ऐसे वक्त पर जब केंद्र सरकार ने प्रदूषण प्रमाण पत्र को लेकर कड़े जुर्माने का प्रावधान कर दिया है। फिर भी प्रदूषण फैला रही बसों को दिल्ली भेजा जा रहा।
दिल्ली समेत एनसीआर में फैले प्रदूषण पर सर्वोच्च न्यायालय तक चिंतित है। इसे लेकर न्यायालय सरकारों को लगातार सचेत भी कर रहा है। इसके बावजूद दिल्ली की हवा में घुला 'जहर' कम नहीं हो रहा। इस स्थिति को सुधारने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति बनाई गई है। बताया गया कि पुलिस के साथ इसी कमेटी ने बसों का चालान कर इन्हें प्रदूषण फैलाने के आरोप में सीज किया। बता दें कि, परिवहन निगम के लिए दिल्ली रूट सबसे फायदे का रूट माना जाता है। प्रदेश के सभी डिपो से रोज करीब 550 बसें दिल्ली लौट-फेर करती हैं।
इनमें पुरानी और आयु सीमा पूरी कर चुकी बसों को भी दौड़ाया जा रहा। यही वजह है कि ये बसें प्रदूषण फैलाने में भी पीछे नहीं हैं। इन्हीं में एक रुद्रपुर डिपो की साधारण बस (यूके07पीए-1488) का सोमवार को आनंद विहार में दिल्ली पुलिस ने एक लाख का चालान कर सीज किया। वहीं, इससे दो दिन पूर्व शनिवार को भी ऋषिकेश डिपो की बस (यूके07पीए-1952) का एक लाख का चालान कर सीज किया गया था।
उत्तराखंड परिवहन निगम के दीपक जैन ने बताया कि उत्तराखंड परिवहन निगम की सभी बसों की प्रदूषण जांच हो रखी है। जिन बसों को दिल्ली में सीज किया गया है, उन बसों में वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र थे, लेकिन यह पत्र दिल्ली पुलिस ने अस्वीकार कर दिए। यदि प्रदूषण पर चालान ही करना था तो सरकार के नियमानुसार पांच हजार रुपये का किया जाना चाहिए था। एक लाख रुपये चालान कर बसों को सीज करना गलत है। रोडवेज अफसरों की एक टीम मंगलवार को मामले में बातचीत के लिए दिल्ली जा रही है।
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प्रदूषण प्रमाण पत्रों पर संशय
जिन दो बसों को सीज किया गया, उनमें प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र थे या नहीं, इस पर संशय है। निगम मुख्यालय का दावा है कि दोनों बसों में वैध प्रमाण पत्र थे, मगर सूत्रों की मानें तो चेकिंग के दौरान बसों में ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं था। कर्मचारी संगठनों की मानें तो अगर बसों में प्रमाण पत्र मौजूद थे तो चालान कैसे कट गया।
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