उत्तराखंड में बीएड की उपयोगिता हुई सीमित, डीएलएड की नहीं बढ़ रही सीटें
उत्तराखंड में शिक्षा विभाग शिक्षक व्यवस्था के असंतुलन से जूझ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार डीएलएड अनिवार्य होने से इसकी मांग बढ़ी है, पर सीटें सीमित हैं। बीएड कालेजों में सीटें खाली रह रही हैं, जबकि डीएलएड की 650 सीटों के लिए 44 हजार से अधिक दावेदार हैं। हर साल 1,500 शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिससे भविष्य में शिक्षकों की कमी हो सकती है।

सांकेतिक तस्वीर।
अशोक केडियाल, जागरण, देहरादून : शिक्षा विभाग में शिक्षक व्यवस्था इस समय असंतुलन का सामना कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा भर्ती नियमों में हुए परिवर्तन से जहां प्राथमिक शिक्षक भर्ती में डीएलएड को अनिवार्य कर दिया गया है, वहीं डीएलएड सीटों में बढ़ोतरी की अभ्यर्थी उम्मीद पाले हैं।
शिक्षाविदों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए राज्य को शिक्षा क्षेत्र में त्वरित और व्यावहारिक निर्णय लेने होंगे।
यदि डीएलएड सीटें तुरंत नहीं बढ़ाईं गईं, तो भविष्य में प्राथमिक शिक्षकों की भारी कमी उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में शिक्षा गुणवत्ता और भर्ती संतुलन को ध्यान में रखते हुए शीघ्र फैसले लेने की जरूरत है।
बीएड कालेजों में 40 प्रतिशत सीट रह रहीं रिक्त
राज्य के 110 बीएड कालेजों में उपलब्ध लगभग 6400 सीटों में से लगभग 30 से 35 प्रतिशत सीटें पिछले चार वर्षों से रिक्त रह रही हैं।
यह गिरावट दर्शाती है कि बदल
ते नियमों के बाद बीएड की मांग में तेजी से कमी आई है। बीएड अब वही छात्र कर रहे हैं, जिन्होंने बेसिक शिक्षक से ऊपर के पदों के लिए आवेदन करना है।
डीएलएड की 650 सीटों पर 44 हजार से अधिक दावेदार
दूसरी तरफ, डीएलएड के लिए स्थिति उलट है। राज्य के 13 डायटों में प्रति डायट 50 सीटें हैं। इन 650 सीटों के लिए इस वर्ष 44 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी है।
सीटों के मुकाबले यह भारी मांग बताती है कि डीएलएड की उपलब्धता अत्यंत कम है, जिसकी तत्काल बढ़ोतरी की आवश्यकता है।
डेढ़ हजार शिक्षक हो रहे प्रतिवर्ष सेवानिवृत्त
निजी कालेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डा. सुनील अग्रवाल के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 1500 बेसिक शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जबकि केवल 650 नए प्रशिक्षित अभ्यर्थी ही दो वर्षीय डीएलएड के माध्यम से बेसिक शिक्षक के रूप में उपलब्ध हो पा रहे हैं।
ऐसे में न केवल शिक्षक उपलब्धता पर असर पड़ रहा है, बल्कि भविष्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने डायट में निर्धारित 50 सीटों के कोटे को भी नहीं बढ़ाया और न किसी निजी संस्थान को डीएलएड शुरू करने की अनुमति दी।
फिलहाल एससीईआरटी की ओर से डीएलएड सीटों में बढ़ोतरी को लेकर कोई प्रस्ताव परिषद को प्राप्त नहीं हुआ है। 22 नवंबर को आयोजित डीएलड प्रवेश परीक्षा में 44 हजार से अधिक युवा शामिल हुए थे।
विनोद सिमल्टी, सचिव उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा परिषद
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