Jagran Samvadi Dehradun:: समीर के साथ सादगी शृंगार हो गई और गले का हार हो गई... गीतकार समीर ने बांधा समां
Dehradun Samvadi 2025 गीतकार समीर अनजान के म्यूजिकल शो प्यार के राही ने देहरादून में श्रोताओं को नब्बे के दशक की याद दिला दी। उनके गीतों की मधुरता और सरलता ने सभी को मोहित किया। समीर ने गीतों के पीछे की कहानियाँ बताईं जिससे माहौल भावुक हो गया। कार्यक्रम में पुराने गानों की धूम रही और लोगों ने समीर के साथ मिलकर गाने गाए।

नवीन पपनै, जागरण, देहरादून। नब्बे के दशक के रोमांटिक गीत, कभी दर्द, कभी तन्हाई..संवेदनाओं और भावनाओं से जुड़ने वाले शब्द। जितनी मासूमियत उससे ज्यादा जिंदगी की सच्चाई..। मंच पर उसकी मौजूदगी जिसने इन गीतों की रचना की और भावनात्मक रूप से हर किसी के दिल में जगह बनाई। संवादी के पांचवें सत्र ''प्यार के राही'' में मंच पर गीतों के जादूगर समीर अनजान थे तो हाल में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
'समीर के म्यूजिकल शो' में समीर की उपस्थिति में उन्हीं के गीतों को सुनना अनूठी अनुभूति दिखी। पहली बार श्रोता उनके गीतों के बनने से लेकर राह में आई दुश्वारियों से भी रूबरू हुए, क्योंकि समीर ने अपने गीतों के पीछे की कहानियों का भावपूर्ण वर्णन भी किया। इससे माहौल भावुक हो गया।
हर कहानी का अलग-अलग पहलू था और उसकी सफलता की अलग पटकथा भी। हर शब्द के अपने मायने थे और उन्हें प्रमाणित करने के तर्क भी। समीर के गीतों की मधुरता और शब्दों की सरलता, सौम्यता ने हर किसी के दिल को छू लिया। एक के बाद एक गीतों की महफिल ने ऐसा रंग जमाया कि उम्र के बंधन और समय की सीमाएं टूट गईं। क्या बुजुर्ग, क्या युवा.. हर कोई उनके गीतों में डूब गया। जो कभी नहीं थिरका होगा, उसके भी कदम थिरकने लगे। निर्धारित से दो घंटे बाद तक चला यह कार्यक्रम यादों का शानदार उत्सव बन गया।
जागरण संवादी कार्यक्रम के पंचम सत्र में आयोजित म्यूजिकल शो प्यार के राही में गीत गाते कलाकार। जागरण
हर गीत की मधुरता और शब्दों की सरलता, सौम्यता ने हर किसी के दिल को छू लिया
हर दौर के नगमों ने अपना जादू बिखेरा। समीर के हर गीत के संगीत ने हृदय के तारों को झंकृत कर दिया तालियों की गड़गड़ाहट और गुनगुनाते होठों ने बताया कि समीर ने कैसे तीनों पीढ़ियों के दिलों में राज किया है, उन्हें प्यार करना सिखाया है। साथ ही लोगों ने गीतों को कैसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया है।
कार्यक्रम की शुरुआत में समीर ने अपने पिता अनजान को याद कर 1966 में आई फिल्म ''बहारें फिर भी आएंगी'' में अनजान के लिखे गीत ''आप के हसीं रुख पै आज नया नूर है, मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कुसूर है'' से की। इससे श्रोताओं ने साठ के दशक से खुद को जोड़ा। फिर सांसों की जरूरत है जैसे जिंदगी के लिए, देखा है पहली बार साजन की आंखों में प्यार, तू मेरी जिंदगी है, तू मेरी हर खुशी है, घूंघट की आड़ में दिलबर का, मेरा दिल भी कितना पागल है, परदेसी- परदेसी जाना नहीं जैसे गुजरे जमाने के गानों ने भी धूम मचा दी।
म्यूजिकल शो क्यों
समीर ने बेबाकी से कहा कि वह अकेले गीतकार हैं जो म्यूजिकल शो कर रहे हैं। जावेद अख्तर विदेशों में ऐसे शो कर रहे हैं। जब संगीतकार ऐसा कर सकता है तो तो गीतकार क्यों नहीं। मैंने सोचा लोग उन्हें कब सुनेंगे। कार्यक्रम का समापन भी समीर के पिता अनजान के 47 वर्ष पूर्व लिखे गीत ''खाइके पान बनारस वाला'' से हुआ। इसे दर्शकों ने भी खुद गाया। लेखक एवं संगीत अध्येता युनुस खान के संचालन में हुए इस कार्यक्रम में प्रियंका मित्रा, कुलदीप सिंह चौहान, जमाल खान दिव्यांशी मौर्या ने समीर के गीतों को स्वर दिया।
आशिकी फिल्म का ढका पोस्टर
चार हजार से अधिक गाने लिखने का वर्ल्ड रिकार्ड बनाने वाले समीर के गीतों का ही जादू था कि 1990 में आई आशिकी फिल्म सुपर हिट हो गई थी। गीतों के जरिये ही इस फिल्म की सफलता के लिए निर्देशक महेश भट्ट और फिल्म निर्माता गुलशन कुमार की मौजूदगी में फिल्म के पोस्टर में अभिनेता और अभिनेत्री का चेहरा ढकने की बात हुई।यह प्रयोग सफल रहा।
समीर के अनुसार पहले यह चाहत नाम से एलबल बन रही थी। इसके तीन गीत रिकार्ड हो गए थे। बाद में इसे फिल्म का स्वरूप दिया गया, लेकिन फिल्म निर्माता ने काम करने से मना कर दिया। लेकिन महेश भट्ट की जिद ने इस फिल्म का मार्ग प्रशस्त किया और इसके गीतों ने इस फिल्म को हर किसी की धड़कन बना दिया।
- इंटरनेट मीडिया और रेडियो पर समीर के गीत सुनने की चाहत रखने वाले उन्हें पहली बार अपने बीच पाकर गदगद नजर आए।
- नब्बे के दशक के दौर की यादें ताजा हो गईं जब टूटे दिल वाले प्यार का इजहार आशिकी और दिलवाले की कैसेट भेजकर करते थे।
- जो बात जहां से की जाती है, वहीं असर करती है, रूह से बात करेंगे तो रूह पर असर करेगी, इसी हिसाब से गाने तैयार किए जाने चाहिए।
- समीर ने जो लिखा, दिल से लिखा और जब शब्द निकलते हैं तो दिल से निकलते हैं और आत्मा तक पहुंचते हैं। समीर आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि वह वक्त के साथ खुद के गीतों को बदलते रहे।
शायरी से भी समा बांधा
समीर ने कार्यक्रम में शेरो-शायरी से भी श्रोताओं को बांधे रखा। देहरादून पर लिखी लाइनें कितनी खुशरंग फिजाएं हैं, कितनी बेफिक्र हवाएं हैं, कितना हसीन यह मौसम है, यह देहरादून है.. ने तालिया बटोरी। पास बैठी हो तो बात करो, चुप रहोगी तो लोग सुन लेंगे...। आग बुझते हुए चूल्हों से नहीं ली जाती, इश्क की राय बुजुर्गों से नहीं ली जाती..। आप मिलने को मुझसे आए हैं, बैठिए, मैं बुलाकर आता हूं.. को भी युवा श्रोताओं ने हाथों-हाथ लिया।
मेरे गीतों में पूरा योगदान श्रोताओं का है। उनकी मोहब्बत और ताकत ने मुझसे ये गीत लिखवाए। तीन फिल्म फेयर सहित यश भारती पुरस्कार तक मिला। 45 वर्ष हो गए हैं। तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है। अब चौथी पीढ़ी के लिए काम कर रहा हूं। जब तक आप चाहेंगे और प्यार मिलेगा यह सिलसिला जारी रहेगा। - समीर अंजान, गीतकार
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