Dehradun Samvadi 2025: कम नहीं हुआ हिंदी का पाठक, बढ़ रहा उत्साह
Dehradun Samvadi 2025 दैनिक जागरण के संवादी में लगे स्टॉलों पर लोगों ने उत्तराखंड की संस्कृति और कला को दर्शाते उत्पादों की खरीदारी की। बुक वर्ल्ड के स्टॉल पर पाठकों ने अपनी पसंदीदा पुस्तकें खरीदीं। ऐपण आर्ट के स्टॉल पर लोक कला की झलक दिखी जिसे लोगों ने खूब सराहा। कीवी किसान विंडो ने विभिन्न क्षेत्रों के उत्पादों का अनोखा स्वाद पेश किया।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Dehradun Samvadi 2025: दैनिक जागरण के संवादी में जहां विभिन्न सत्रों में लोगों ने आनंद लिया। वहीं, परिसर में लगे स्टाल पर जाकर उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाती ऐपण आर्ट, भावना मेड यूजिंग देवभूमि टेंपल फ्लावर्स, लाटी आर्ट बाय कंचन जदली, मृदाकृति बाय द मृदा आदि स्टाल पर जाकर खूब खरीदारी की।
पाठकों ने बुक स्टाल पर अपनी रुचि की पुस्तकें खरीदी, वहीं पुस्तक पर लेखकों के आटोग्राफ भी लिए। बुक वर्ल्ड के स्टाल स्टाल पर आए पाठकों का उत्साह बता रहा था कि हिंदी का पाठक कम नहीं हुआ बल्कि हिंदी के प्रति पाठकों में और भी रुझान बढ़ा है। युवा लेखक व साहित्यकारों की रचनाएं युवाओं को खासा प्रभावित कर रही है।
शनिवार को मौजा मालसी, मसूरी डायवर्जन रोड स्थित फेयरफील्ड बाय मैरियट में जहां हाल में संवादी में विभिन्न सत्र चलते रहे। वहीं, परिसर में ही शिक्षा, कला, संस्कृति को दर्शाते छह स्टाल लगाए गए।
बुक वर्ल्ड की ओर से लगाए गए स्टाल में लेखक चेतन भगत की ''''5 प्वाइंट समवन'''', ''''वन नाइट
इसके अलावा कई अंग्रेजी की बेस्टसेलर पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी बुक स्टाल पर उपलब्ध रहा। इसमें डेरेक बोस की ''''समीर लफ्जो के साथ एक सफरनामा'''', जिसका अनुवाद प्रभात मिलिंद ने किया। युनुस खान की ''''उम्मीदों के साथ गीतकार शैलेंद्र'''', जुगल किशोर पेटशाली का ''''उत्तरांचल के लोकवाद्य'''', भारती पांडे का ''''हिंदी-कुमाऊंनी-गढ़वाली- जौनसारी शब्दकोष'''' आदि खास है।
बुक वर्ल्ड के संचालक रणधीर अरोड़ा ने बताया कि कई लोग मानते हैं कि पाठकों में कमी आई लेकिन लेकिन हकीकत यह है कि पाठकों की रुचि पढ़ने में बढ़ी हैं। आज के इस दौर में पाठकों के पास पढ़ने के लिए कई विकल्प हो गए है। यदि कोई किताब खरीदना चाहता है तो जरूरी नहीं कि वह किताब की दुकान पर जाए। बल्कि आनलाइन और ई-पुस्तक से भी अपना ज्ञान बढ़ा सकता है। हिंदी की किताबों के साथ ही पब्लिकेशन में भी बढ़ोतरी हुई है।
ऐपण के स्टाल पर दिखी लोक संस्कृति की झलक
उत्तराखंडी लोक कला ऐपण पर बीते सात वर्षों से कार्य कर रही बंजरावाला निवासी ज्योति जोशी के हाथों की कला की मांग आज उत्तराखंड की नहीं विदेशों में भी है। उनके बनाए ऐपण आर्ट को लोग खूब पसंद करते हैं। किसी को उपहार देना हो अथवा घरों और कार्यालय की दीवारों को सजाने की बात हो उनके बनाए ऐपण आर्ट इसे और भी खास बना देती है।मौजा मालसी, मसूरी डायवर्जन रोड स्थित फेयरफील्ड बाय मैरियट में ''''ऐपण आर्ट बाय ज्योति'''' की संचालक ज्योति जोशी के स्टाल पर ऐपण वाली डायरी, शीशा, ट्रे व वाल, लैंप, केतली, कप सेट, बैग, थाली आदि खास रहे। जो भी यहां से गुजरा ज्योति के इस कला को सराहा और उनके बनाए विभिन्न ऐपण की खरीदारी भी की।
ज्योति ने हाल ही में राष्ट्रपति निकेतन में ऐपण की कैनवास पर पेंटिंग बनाई। इसके अलावा विधानसभा के गुंबद पर भी इस कला को दिखाया है। विभिन्न विभागों की ओर से उन्हें आर्डर मिल रहे हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम पर उनका ज्योति जोशी पांडे नाम से अकाउंट हैं। जहां अपनी बनी ऐपण कला को अपलोड करती हैं। इसके बाद विदेश से भी आर्डर मिलने शुरू हो गए हैं। लंदन, रूस और फ्रांस से भी आर्डर मिले हैं। वर्तमान में काम अच्छा चल रहा है और लोग ऐपण को काफी पसंद कर रहे हैं। आज छह लाख रुपये इस कला से वह कमाती हैं।
विभिन्न क्षेत्रों का अनोखा स्वाद दिला रहा कीवी किसान विंडो
देश के विभिन्न क्षेत्रों के अनोखे और स्वस्थ स्वाद को एक साथ लाने पर केंद्रित कीवी किसान विंडो ''''शार्क टैंक इंडिया सीजन- 4'''' में एक स्टार्टअप के रूप में दिखाई दिया। आज कीवी किसान विंडो के पास 250 से अधिक उत्पाद हैं। खास बात है कि इन उत्पादों को मशीनों की जगह हाथ से तैयार किए जाते हैं।
कीवी किसान विंडो के सेल्स एंड रिटनेंस हेड सिद्धांत ने बताया कि 2016 में इस पर कार्य किया और 2019 में इसे शुरू किया गया। किसान जो भी उत्पाद तैयार करता है उनसे खरीदकर इसे स्टोर पर रखकर पैकिंग कराई जाती है। सभी उत्पाद आर्गेनिक होते हैं। इसका उद्देश्य लोगों तक पहुंचने वाला उत्पाद में किसी तरह की मिलावट न हो। देहरादून के अलावा चंडीगढ़, मोहाली व गुड़गांव में स्टोर हैं।
देहरादून के विकासनगर में इन उत्पादों को लाकर छंटाई और पैकिंग की जाती है। यहां सिलबट्टे में पिसे हुए मसाले खास हैं। इसके अलावा बनाना चिप्स, रागी चिप्स, हिमालय कुलथ दाल, राजस्थानी मोठ दाल, हिमालय राजमा चकराता, हिमालयन रेड राइस, घी, टिमरू मसाला, चाट मसाला, अचार, चटनी खास हैं। कीवी किसान विंडो से उत्तराखंड के 1200 समेत देशभर के 30 हजार किसान जुड़े हैं। उत्तराखंड में पैकिंग और उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए 200 लोग जुड़े हैं। जल्द ही देहरादून के राजेंद्र नगर में भी स्टोर का संचालन शुरू किया जाएगा।
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