Dehradun Samvadi 2025: दून में सजा ''जागरण संवादी'' का मंच, प्रवाहित हुई विचारों की त्रिवेणी
Dehradun Samvadi 2025 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में हिंदी हैं हम अभियान के तहत दो दिवसीय जागरण संवादी का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि यह मंच समाज और राष्ट्र की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान पुस्तकों का विमोचन भी हुआ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Dehradun Samvadi 2025 : अभिव्यक्ति के उत्सव ''''जागरण संवादी'''' की शनिवार को दून में भव्य शुरुआत हो गई। यह लगातार दूसरा मौका है, जब दून में संवादी का आयोजन हो रहा है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ''''जागरण संवादी'''' हिंदी के सबसे बड़े समाचार पत्र दैनिक जागरण की अभिनव पहल है। संवादी के मंच पर विषय विशेषज्ञों से चर्चा कर जो सार निकलता है, वह समाज एवं राष्ट्र की दशा एवं दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
जागरण समाज में सकारात्मकता लाने के लिए तमाम चुनौतियों के बीच से निकलकर जिस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है, उसका संदेश बहुत व्यापक है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने जागरण की ''''काफी टेबल बुक'''' का विमाेचन और समान नागरिक संहिता की ड्राफ्ट कमेटी के सदस्य मनु गौड़ की समान नागरिक संहिता पर केंद्रित पुस्तक ''''एक संहिता नारी के लिए'''' का कवर भी लांच किया।
''''हिंदी हैं हम'''' अभियान के तहत मसूरी राेड स्थित फेयरफील्ड बाय मैरियट में दो दिवसीय जागरण संवादी का उद्घाटन मुख्यमंत्री धामी, पर्यावरणविद् पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी व गीतकार एवं कवि प्रसून जोशी ने दैनिक जागरण के संस्थापक स्व. पूर्णचंद गुप्त, पूर्व प्रधान संपादक स्व. नरेंद्र मोहन व मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप जलाकर किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बीते 11 साल में जिस तरह देश ने हर क्षेत्र में उन्नति का नए सोपान गढे हैं, उसी तरह उत्तराखंड भी एक माडल राज्य के रूप में उभरकर सामने आया है। प्रदेश सरकार ने यूसीसी समेत तमाम प्रभावशाली कदम उठाकर राज्य को नई दिशा देने का कार्य किया है।
पर्यटन व ऊर्जा के क्षेत्र में भी सरकार लगातार निर्णायक कदम उठा रही है। इससे आने वाले समय में उत्तराखंड एक आत्मनिर्भर राज्य बनकर देशभर में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार के विकास कार्यों पर जनता ने भरोसा जताया है और यही उनकी ताकत भी है।
पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में जीईपी लागू कर प्रदेश सरकार ने अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया है। यहां की हवा, मिट्टी व पानी को लेकर मुख्यमंत्री धामी का अपना अलग दृष्टिकोण है और यही सोच भविष्य में देश ही नहीं, संपूर्ण विश्व के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि संवादी ने साबित किया है कि सही मायने में हिंदी हमारी पहचान है।
हिंदी हमारे व्यवहार, संस्कार व संस्कृति में रची-बसी है। गीतकार एवं कवि प्रसून जोशी ने कहा कि प्रकृति छल नहीं, संघर्ष करना सिखाती है और यही एक सच्चे उत्तराखंडी की पहचान है। प्रकृति से स्पर्धा करना उत्तराखंड का स्वभाव नहीं, यहां के लोग तो प्रकृति से तालमेल बनाकर ही आगे बढ़ते हैं।
कहा कि हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि उत्तराखंड की बोली-भाषाओं का स्वर मंथर न हो, क्योंकि यही हमारी जड़ें हैं। उन्होंने अपनी कविता ''''यह भारत का उदय है, उदय में एक लय है, यहां हमको पता है सृष्टि क्या है, यहां हमको पता है दृष्टि क्या है'''' सुनाकर वाणी का विराम दिया।
पहला सत्र
पहले सत्र में ''''रचनात्मकता और एआइ'''' विषय पर विज्ञापन गुरु प्रह्लाद कक्कड़ और मकेन के चेयरमैन प्रसून जोशी ने तर्कपूर्ण ढंग से अपनी बातें रखीं। लेखिका अमृता त्रिपाठी के साथ संवाद में उन्होंने कहा कि सृजन मनुष्य की मूल प्रवृत्ति है, जबकि एआइ समूह के विचारों को साररूप में प्रस्तुत कर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करता है। उन्होंने कहा कि एआइ के विचार समय के साथ अपना अर्थ बदलते हैं, लेकिन मनुष्य अपने विवेक से राह तलाशता है और विचार गढ़ता है। एआइ की कुंजी उसी के हाथ में है। कहा कि रचनात्मकता और एआइ एक-दूसरे के सहयोगी तो हो सकते हैं, लेकिन एक-दूसरे के पर्याय नहीं।
दूसरा सत्र
''''जाति गणना और राजनीति'''' विषय पर विमर्श को आगे बढ़ाते हुए भाजपा नेता गुरु प्रकाश पासवान और कांग्रेस नेता रागिनी पासवान ने दैनिक जागरण के राज्य संपादक मनोज कुमार झा के साथ जाति गणना के हर पक्ष पर बेबाकी से चर्चा की। भाव यही था कि जाति गणना से देश की जो नई तस्वीर उभरकर सामने आएगी, वह विकास की नई परिभाषा को रेखांकित करेगी। इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में तो मदद मिलेगी ही, देश में समानता का भाव भी विकसित होगा और वंचित समाज को आगे आने का अवसर मिलेगा।
तीसरा सत्र
पार्श्व गायिका हेमलता के फिल्मी सफर पर केंद्रित था। हेमलता और उनकी जीवनी लिखने वाले पत्रकार अरविंद यादव से संवाद किया संगीत अध्येता युनुस खान ने। इस दौरान दूनवासियों को हेमलता के जीवन के उन अनछुए पहलुओं को जानने-समझने का मौका मिला, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। हेमलता ने बताया कि कैसे उन्होंने चुनौतियों से पार पाते हुए मुंबई में अपना अलग मुकाम बनाया। जीवनीकार अरविंद यादव ने बताया कि हेमलता एकमात्र गायिका हैं, जिन्होंने देश की 38 भाषा-बोलियों में पांच हजार से अधिक गीत गाए हैं। इनमें गढ़वाली-कुमाऊंनी गीत भी शामिल हैं। हेमलता ने अपनी बात गढ़वाल गीत ''''चल हिट दगड़्या'''' गाकर समाप्त की।
चौथा सत्र
संवादी के चौथे सत्र में एवरेस्ट विजेता मेघा परमार ने अपनी ''''एवरेस्टगाथा'''' सुनाकर दून के एडवेंचर प्रमियों में जोश भरने का काम किया। उन्होंने पर्वतारोहण की चुनौतियों से तो परिचय कराया ही, इस क्षेत्र में संवभावनाओं से भी परिचित कराया। कहा कि शारीरिक कष्टों बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में एवरेस्ट फतह कर लिया।
पांचवां सत्र
पहले दिन का अंतिम सत्र प्यार के राही गीतकार समीर के ''''म्यूजिकल शो'''' के नाम रहा। समीर सिने जगत के ऐसे गीतकार हैं, जिनके गीतों ने तीन पीढ़ियों को प्यार करना सिखाया। सचमुच समीर के गीत न होते तो नब्बे का दशक बेमजा हो जाता। समीर के गीतों पर संवादी के सभी सहयात्री थिरक उठे और इसी के साथ विदा हुई संवादी की यादगार पहली शाम।
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