सहस्त्रधारा रोड चौड़ीकरण के नाम पर 2200 पेड़ों को कटने से बचाने को उठाई आवाज, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने किया प्रदर्शन
Dehradun Sahastradhara Road Widening वक्ताओं ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में पर्यावरण को हुए नुकसान के मूल्यांकन व इसकी भरपाई की निगरानी को कमेटी बनाई गई है। कहा कि दून में भीषण गर्मी का मूल कारण तेजी से फैलते कंक्रीट के जंगल हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: सहस्रधारा रोड के चौड़ीकरण कार्य की जद में आ रहे पेड़ों को बचाने की मुहिम तेज हो गई है। पर्यावरण बचाओ अभियान के तहत सिटीजन फार ग्रीन दून के आह्वान पर खलंगा स्मारक के पास दून की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने रविवार को प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार से अपील की कि विकास कार्यों के नाम पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाया जाए।
वक्ताओं ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में पर्यावरण को हुए नुकसान के मूल्यांकन व इसकी भरपाई की निगरानी को कमेटी बनाई गई है। जिसमें नियुक्त हेस्को के संस्थापक पद्मभूषण डा. अनिल जोशी दून में प्रस्तावित एक्सप्रेस रोड के निर्माण में संभावित पर्यावरण क्षति को रोकने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएंगे। कहा कि दून में भीषण गर्मी का मूल कारण तेजी से फैलते कंक्रीट के जंगल हैं। जनसंख्या के दबाव और बढ़ते वाहनों की संख्या के कारण शहर की भीतरी सड़कों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। यातायात जाम का कारण सड़कों की बोटल नेक को न खोला जाना और चौराहों का चौड़ीकरण न होना है। इसके अलावा सड़कों पर अतिक्रमण भी जाम का कारण बनता है। शहर में एलिवेटेड रोड बनाकर यातायात जाम से निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मानसून में अधिकारियों को बड़े स्तर पर पौधारोपण की योजना बनानी चाहिए।
इस दौरान सिटीजन फार ग्रीन दून के हिमांशु अरोड़ा, संयुक्त नागरिक संगठन के ब्रिगेडियर केजी बहल, गवर्नमेंट पेंशनर संगठन से चौधरी ओमवीर सिंह, नेशनल एसोसिएशन फार पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स से आरिफ खान, द अर्थ एंड क्लाइमेट इनिशिएटिव की आंचल शर्मा, छोटी सी दुनिया के विजय राज, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, निर्मला बिष्ट, समानता मंच से जेपी कुकरेती आदि उपस्थित रहे।
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