Dehradun History : महाभारत, रामायण और मौर्य वंश से देहरादून का खास नाता... आइए जानते हैं कैसे पड़ा इसका नाम?
Dehradun History उत्तराखंड की राजधानी देहादून कई मायनों में खास है। देहरादून का महाभारत रामायण और मौर्य वंश काल से भी खास नाता रहा है। वहीं देहरादून को कई नामों से भी पुकारा जाता है। आइए जानते हैं

टीम जागरण, देहरादून : Dehradun History : उत्तराखंड की राजधानी देहादून कई मायनों में खास है। यहां बेहतरीन स्कूल, पर्यटन स्थल, फूड कॉर्नर हैं। इसलिए पूरे साल पर्यटकों का देहरादून आने का सिलसिला जारी रहता है।
यहां जो एक बार आता है, बस यहीं का होकर रह जाता है। इतना ही नहीं देहरादून को कई नामों से भी पुकारा जाता है। देहरादून का महाभारत, रामायण और मौर्य वंश काल से भी खास नाता रहा है। आइए जानते हैं देहरादून के नाम और इस शहर से जुड़े इतिहास के बारे में :
कैसे पड़ा देहरादून का नाम?
- देहरादून को दून, दून घाटी, द्रोणनगरी, केदारखंड कई नामों से भी पुकारा जाता है।
- कहा जाता है कि सिखों के साथ में गुरु हरि राय के बेटे गुरु राम राय 1675 ईसवी में देहरादून पहुंचे थे और यहां अपने शिष्यों के साथ डेरा डाला था।
- जिस वजह से इसे डेरा या देहरा कहा गया।
- जिसके बाद इसमें दून जोड़ दिया गया, तभी से इसे यह शहर देहरादून के नाम से पहचाना जाने लगा।
देश की कई दिग्गज हस्तियों ने देहरादून में की है पढ़ाई
- देहरादून में कई बड़े शैक्षणिक संस्थान है और ये एजुकेशन हब के नाम से प्रसिद्ध है।
- देहरादून के शैक्षणिक संस्थानों में देश की कई हस्तियों ने पढ़ाई की है।
- इनमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, उनके भाई संजय गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह, अली फजल, करीना कपूर के नाम शामिल हैं।
देहरादून में क्या है खास?
- देहरादून के वादियां और यहां का वातावरण दिल मोह लेने वाला है।
- देहरादून के पास पहाड़ों की रानी मसूरी, ऋषिकेश, कालसी, चकराता जैसे पर्यटन स्थल हैं।
- देहरादून में रॉबर्स केव, सहस्त्रधारा, जू, मालदेवता, बुद्धा टेंपल जैसे कई पर्यटन स्थल हैं।
- यहां एफआरआइ, आइएमए, दरबार साहित जैसे शानदान भवन भी हैं।
महाभारत काल से देहरादून का संबंध
देहरादून में महाभारत काल से जुड़ें निशान भी मिलते हैं। कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य ने देहरादून के टपकेश्वर मंदिर की गुफाओं में तपस्या की थी, जिसके बाद देहरादून को द्रोणनगरी भी कहा जाने लगा।
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वहीं लाखामंडल में आज भी खुदाई करने पर शिवलिंग निकल आते हैं। माना जाता है कि द्वापर युग में दुर्योधन ने पांचों पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जलाने के लिए यहां लाक्षागृह का निर्माण किया था। एएसआइ को खुदाई के दौरान यहां मिले सैकड़ों शिवलिंग व दुर्लभ मूर्तियां इसकी तस्दीक करती हैं।
रामायण काल से जुड़ा है देहरादून
देहरादून का संबंध रामायण काल से भी बताया जाता है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम ने रावण का अंत किया था, तो उसके बाद लक्ष्मण के साथ वह ऋषिकेश आए और गंगा में स्नान किया।
सम्राट अशोक की निशानी भी देहरादून में
देहरादून के कालसी में सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद शिलालेख स्थापित करवाए थे, जो आज भी राज्य के धरोहर हैं। चीनी यात्री ह्वेनसांग में इसका जिक्र अपनी यात्रा के विवरण में भी किया था।
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