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    Dehradun News: जिला आबकारी अधिकारी मुख्यालय अटैच, वीके जोशी को चार्ज; अवैध शराब की दुकानों से जुड़ा है मामला

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 03:37 PM (IST)

    देहरादून के जिला आबकारी अधिकारी केपी सिंह को मुख्यालय से अटैच किया गया है। आयुक्त अनुराधा पाल ने यह कार्रवाई की है। मसूरी क्षेत्र के इंस्पेक्टर वीके जोशी को अब देहरादून के जिला आबकारी अधिकारी का चार्ज सौंपा गया है। जिलाधिकारी ने मुख्य सचिव को केपी सिंह के निलंबन की सिफारिश भेजी थी। पल-पल की अपडेट के लिए दैनिक जागरण केस साथ जुड़े रहिए।

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    जिला आबकारी अधिकारी देहरादून केपी सिंह को मुख्यालय अटैच. Concept Photo

    जागरण संवाददाता, देहरादून। जिला आबकारी अधिकारी देहरादून केपी सिंह को मुख्यालय अटैच किया गया है। आयुक्त अनुराधा पाल ने यह कार्रवाई की है। मसूरी क्षेत्र के इंस्पेक्टर वीके जोशी को अब यह चार्ज सौंपा गया है। जिलाधिकारी ने मुख्य सचिव को जिला आबकारी अधिकारी देहरादून केपी सिंह के निलंबन की संस्तुति भेजी थी।

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    जिलाधिकारी देहरादून ने जिला आबकारी अधिकारी निलंबित किए जाने और उच्च स्तरीय जांच की संस्तुति मुख्य सचिव से की है। यह मामला यातायात में अवरोध बन रही शराब की छह दुकानों से जुड़ा है। जिन्हें अन्यत्र शिफ्ट किए जाने के जिलाधिकारी सविन बंसल ने दिए थे। आदेश के विरुद्ध दुकान संचालकों ने हाई कोर्ट से लेकर उच्चाधिकारियों का दरवाजा खटखटाया था।

    इस मामले में उच्चाधिकारियों के जवाब से इतर जिला आबकारी अधिकारी ने अलग ही तर्क कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दिए। मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने भी जिला आबकारी अधिकारी के जवाब पर कड़ी टिप्पणी की है। दरअसल, इस प्रकरण की शुरुआत तब हुई, जब जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति की बैठक ने यातायात में बाधा बन रहे शराब के छह ठेकों को अन्यत्र शिफ्ट करने की संस्तुति की। जिसके क्रम में जिलाधिकारी सविन बंसल ने 13 मई को शराब के ठेकों को शिफ्ट करने के लिए जिला आबकारी अधिकारी को एक सप्ताह का समय दिया था।

    जिला आबकारी अधिकारी ने 27 मई को जवाब दिया कि शराब की दुकानों के संचालकों ने हाई कोर्ट में अपील की है। हालांकि, कोर्ट ने सक्षम स्तर पर अपील करने और राहत प्राप्त करने का आदेश दिया। जिसके बाद जिलाधिकारी ने दुकान शिफ्ट किए जाने तक लाइसेंस निलंबित कर दिए।

    वहीं, संचालकों ने आबकारी आयुक्त के समक्ष भी अपील की। जिसमें आयुक्त ने जिलाधिकारी के आदेश को बरकरार रखते हुए सिर्फ सड़क सुरक्षा समिति से आग्रह किया कि राज्य हित में दुकानों को अतिरिक्त समय दिया जाए। आग्रह को स्वीकार करते हुए जिलाधिकारी ने दुकानों की शिफ्टिंग के लिए 30 जून तक का समय दिया। इस बीच एक दुकान संचालक प्रीति क्षेत्री ने हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट का रुख किया। लेकिन, कोर्ट ने इस निर्देश के साथ याचिका निस्तारित कर दी कि यदि वह शासन में सक्षम स्तर पर अपनी बात रखते हैं तो उसी दिन सुनवाई करते हुए मामले का निस्तारण कर दिया जाए।

    प्रीति क्षेत्री की ओर से प्रमुख सचिव आबकारी के समक्ष अर्जी लगाई गई, लेकिन उन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिली। सिर्फ दुकान को अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया गया। मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में जिलाधिकारी ने अवगत कराया है कि छह में से चार दुकानों को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया, जिसका संयुक्त निरीक्षण भी किया जा चुका है।

    यह भी अवगत कराया गया कि हाई कोर्ट से लेकर अन्य स्तर पर प्रशासन के निर्णय को लोकहित में सही पाया गया है। बावजूद इसके हाई कोर्ट में पक्ष रखने के लिए जिला आबकारी अधिकारी केपी सिंह ने जो नैरेटिव/तथ्य प्रस्तुत किए हैं, उन्हें प्रशासन, आयुक्त और शासन के अनुमोदन के बिना ही प्रेषित किया गया है। यह तथ्य प्रशासन, विभाग और शासन के निर्णय के विपरीत भी हैं। इस संबंध में मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने पत्र प्रेषित कर अवगत कराया है कि जिला आबकारी अधिकारी ने राज्य हित की जगह याचिकाकर्ताओं के हित में जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि ऐसी स्थिति में कोर्ट के समक्ष सरकारी पक्ष का बचाव किया जाना संभव नहीं हो पाएगा। लिहाजा, सरकार के हितों की रक्षा के लिए उचित दिशा निर्देश जारी किए जाएं। जिलाधिकारी ने मुख्य सचिव से आग्रह किया है कि मुख्य स्थाई अधिवक्ता की टिप्पणी का संज्ञान लिया जाए।