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    देहरादून में जमकर बेचे पटाखे, बिल के नाम पर सादा कागज थमाया; राज्य कर विभाग कसेगा शिकंजा

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 09:48 AM (IST)

    दीपावली से पहले राज्य कर विभाग ने पटाखा कारोबारियों पर सख्ती की थी, लेकिन देहरादून में कई व्यापारियों ने नियमों का उल्लंघन किया। ग्राहकों को बिना बिल के पटाखे बेचे गए, और भुगतान गलत खातों में लिया गया। डिस्काउंट के दावे झूठे निकले, और कई पटाखे घटिया क्वालिटी के थे। राज्य कर विभाग को अब सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

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    दीपावली पर हरिद्वार बायपास रोड के पास पटाखे जलाते बच्चे व उनके स्वजन। जागरण

    जागरण संवाददाता, देहरादून। दीपावली से पहले राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) ने देहरादून समेत विभिन्न शहरों में बड़े पटाखा कारोबारियों का शिकंजा कसा था। घोषित स्टाक से अधिक माल रखने और कर चोरी पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई गई थी। तब लग रहा था कि राज्य कर विभाग की सख्ती के बाद पटाखा कारोबारी अब साफ सुथरे ढंग से कारोबार करेंगे। लेकिन, देहरादून में ऐसा नजर नहीं आया। तमाम बड़े पटाखा कारोबारियों ने पटाखों की जमकर बिक्री तो की, लेकिन उसके अनुसार बिलिंग और रिकार्ड व्यवस्था में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं।

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    जिन बड़े पटाखा कारोबारियों ने 40 से 80 प्रतिशत तक छूट के बैनर लगाए थे, वहां पटाखे खरीदने के लिए सुबह से रात तक ग्राहकों की भीड़ लगी रही। जाहिर है एक दिन में ही लाखों का कारोबार किया गया। लेकिन, तमाम ग्राहकों को बिल ही नहीं दिए गए। जिन्होंने बिल मांगे भी उन्हें, साढ़े कागज पर बस मुहर लगा दी गई।

    गंभीर यह भी सादे कागज पर बेचे गए पटाखों का ढंग से विवरण तक दर्ज नहीं किया गया। ऐसे में बेचे गए पटाखों पर कर जमा कराने का दारोमदार एकतरफा कारोबारियों पर ही है। बिना बिल या फर्जी बिल के आधार पर बेचे गए पटाखों पर वास्तविक कर किस तरह जमा कराया जाएगा, यह बड़ा सवाल है।

    कारोबार पटाखे का और भुगतान किसी और खाते में

    कुछ बड़े पटाखा कारोबारी ऐसे भी थे, जिन्होंने विक्रय किए गए माल की रकम जिन खातों में आनलाइन ली, वह उनके कारोबार से मेल ही नहीं खा रहे थे। पता चला कि भुगतान किसी अन्य प्रतिष्ठान या कम टैक्स स्लैब वाली वस्तु/सेवा संबंधी प्रतिष्ठान के खाते में जा रहा है। ऐसे में राज्य कर विभाग को सघन जांच कर वास्तविक कर जमा करवाने के लिए प्रयास करने होंगे।

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    भारी डिस्काउंट की खुली पोल

    जिन कारोबारियों ने भारी डिस्काउंट के बैनर लगाए थे, वहां यह दावा हवा हवाई भी साबित हुआ। पटाखे खरीदने पहुंचे व्यक्तियों को कई ब्रांड में एमआरपी मिला ही नहीं, जहां एमआरपी था, उनमें खास फायदा नहीं हुआ। हालांकि, भराई भीड़ के बीच अपना नंबर आने पर लोग मनमर्जी के दाम वाले पटाखे खरीदने को विवश भी दिखे।

    पटाखों की गुणवत्ता भी दोयम दर्जे की मिली

    देहरादून में जो पटाखे कारोबारियों ने बेचे, उनमें से अधिकतर की गुणवत्ता दोयम दर्जे की पाई गई। बड़ी संख्या में पटाखों का स्टाक खराब पाया गया। इस बात का पता लोगों को तब लगा, जब दीपावली के दिन पटाखे जलाने की बारी आई। तमाम व्यक्तियों ने शिकायत की कि खरीदे गए पटाखों में से 25 प्रतिशत खराब पाए गए। टिहरी नगर निवासी अधिवक्ता अमित भट्ट के अनुसार उनके पटाखों के स्टाक में राकेट, अनार और मुर्गा छाप, सुतली बीम और अन्य कई पटाखे बड़ी संख्या में खराब थे।