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    RTI में सामने आया देहरादून के नशा मुक्ति केंद्रों का काला सच, लोगों से हो रहा भेड़-बकरियों सा सुलूक

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Mon, 31 Oct 2022 08:51 AM (IST)

    Dehradun De-Addiction Centers नशा छुड़ाने के नाम पर चल रहे दून के नशा मुक्ति केंद्र किसी यातना गृह से कम नहीं हैं। नशा मुक्ति केंद्रों की यह स्याह हकीकत सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आई।

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    Dehradun De-Addiction Centers : नशा मुक्ति केंद्र किसी यातना गृह से कम नहीं हैं।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: Dehradun De-Addiction Centers : नशा छुड़ाने के नाम पर चल रहे दून के नशा मुक्ति केंद्र किसी यातना गृह से कम नहीं हैं। यहां न तो पर्याप्त सुविधाएं हैं और न ही सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था।

    उस पर कई नशा मुक्ति केंद्र सिर्फ एक कमरे में चल रहे हैं और एक कमरे में 35 से 40 व्यक्तियों को भेड़-बकरियों की तरह रखा जा रहा है। नशा मुक्ति केंद्रों की यह स्याह हकीकत सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आई।

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    देहरादून जिले में इस समय 40 नशा मुक्ति केंद्र पंजीकृत

    दून के अधिवक्ता शिवा वर्मा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जिले में संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी।

    अधिवक्ता शिवा वर्मा ने रविवार को दर्शन लाल चौक स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता में बताया कि उक्त आरटीआइ आवेदन के जवाब में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से बताया गया है कि जिले में इस समय 40 नशा मुक्ति केंद्र पंजीकृत हैं।

    यह भी पढ़ें - Dehradun News : नशामुक्ति केंद्र से 15 दिन पहले फरार हुए युवक, अब लिखवाई गुमशुदगी

    इन केंद्रों में नशा छुड़वाने के लिए शुल्क के तौर पर तीन हजार रुपये से लेकर 31 हजार रुपये तक हर माह वसूले जा रहे हैं। लेकिन, किसी भी केंद्र में पर्याप्त स्टाफ तक नहीं है। कई केंद्र तो ऐसे हैं जहां सीसीटीवी कैमरे, दैनिक रजिस्टर, शिकायती रजिस्टर, विजिटिंग रजिस्टर, सक्षम अधिकारी की टिप्पणी और अन्य विवरण तक उपलब्ध नहीं हैं।

    अधिवक्ता वर्मा का कहना है कि नशा मुक्ति केंद्रों को कुछ लोगों ने कमाई का माध्यम बना लिया है। पिछले कुछ समय में इन केंद्रों में दुष्कर्म से लेकर भर्ती मरीजों को प्रताड़ित किए जाने और उनकी मौत तक के मामले सामने आ चुके हैं।

    बावजूद इसके जिले में नशा मुक्ति केंद्रों पर आज तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। इस कारण नशा मुक्ति केंद्र मनमाने ढंग से संचालित किए जा रहे हैं।

    उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर जिला प्रशासन ने नशा मुक्ति केंद्रों के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) तो बनाई, लेकिन यह अब तक अस्तित्व में नहीं आ पाई है।

    इससे भी संचालकों के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति केंद्रों को लेकर तंत्र की यह अनदेखी कभी भी भारी पड़ सकती है।

    नशा मुक्ति केंद्रों में अब तक हुई घटनाएं

    • 24 अक्टूबर 2021 को रिस्पना पुल के निकट लाइफ केयर फाउंडेशन रिहैब सेंटर में भर्ती युवक की तबीयत खराब होने के बाद मौत हो गई।
    • पांच अगस्त 2021 को क्लेमेनटाउन में प्रकृति विहार स्थित नशा मुक्ति केंद्र के संचालक पर केंद्र में भर्ती युवती के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा।
    • 23 अगस्त 2021 को वसंत विहार स्थित जीवन परिवर्तन नशा मुक्ति केंद्र से 12 युवक भाग गए।
    • सितंबर 2022 में राजपुर थाना क्षेत्र के बिष्ट गांव में जागृति फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र में एक मरीज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, उसका शव बाथरूम में फंदे पर लटका मिला।
    • 12 अक्टूबर 2022 को वसंत विहार क्षेत्र में संचालित नशा मुक्ति केंद्र से आठ से 10 लोग भाग गए।