Dehradun Crime: मयूर जैरथ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, जानिए क्या है पूरा मामला
न्यायालय सत्र न्यायाधीश प्रदीप पंत की अदालत ने आरोपित मयूर जैरथ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। नेहरू कालोनी थाने में दर्ज मामले में मयूर जैरथ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, देहरादून। जमीन धोखाधड़ी के मामले में न्यायालय सत्र न्यायाधीश प्रदीप पंत की अदालत ने आरोपित मयूर जैरथ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। नेहरू कालोनी थाने में दर्ज मामले में मयूर जैरथ ने अदालत में अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था।
आरोपित मयूर जैरथ व उनके अधिवक्ता का कहना था कि शिकायतकर्त्ता राजेश चौहान व सौरभ चौहान ने गलत भावना से मयूर जैरथ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता जीपी रतूड़ी ने विवेचक की लिखित रिपोर्ट पेश की। उन्होंने तर्क दिया कि मयूर जैरथ ने अपने एनआरआइ भाई अंशुल जैरथ के साथ मिलकर ठगी की है।
मयूर जैरथ और उसके भाई अंशुल के खिलाफ रायपुर में धोखाधड़ी के दो मुकदमे दर्ज हैं, जिनका आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। ऐसी परिस्थिति में यह देखते हुए कि आरोपित के खिलाफ इस प्रकृति के मामले पूर्व में चल रहे हैं और उन पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं। इसलिए आरोपित को अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने योग्य है।
यह है मामला
शिकायतकर्त्ता राजेश चौहान आमवाला नालापानी में रहते हैं। उन्होंने शिकायत में बताया कि वर्ष 2019 में उन्हें दून में निजी इस्तेमाल के लिए जमीन की जरूरत थी। उन्होंने हांगकांग में रह रहे अंशुल जैरथ से संपर्क किया। अंशुल ने अपने भाई मयूर जैरथ निवासी खुड़बुड़ा का मोबाइल नंबर देकर उससे मुलाकात करने को कहा।
राजेश को जमीन पसंद आ गई। उसका सौदा 90 लाख रुपये में तय हुआ। 14 मार्च 2019 को जमीन का अनुबंध तैयार कराया और अग्रिम धनराशि के तौर पर 30 लाख रुपये ले लिए। आठ सितंबर 2021 को राजेश जमीन देखने गए तो पता चला कि आरोपितों ने उन्हें किसी और की जमीन बेची है।

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