Cloudburst In Dehradun: देहरादून में बादल फटने के बाद सेटेलाइट चित्रों में दिखी नदी और नालों की विभीषिका
Cloudburst In Dehradun यूसैक ने आपदा से पहले और बाद में बांदल और सौंग घाटी में आए बदलाव के चित्र जारी किए। बादल फटने की घटना के बाद सौंग नदी की चौड़ाई करीब पांच गुना हो गई है। इससे बड़े स्तर पर भूकटाव हुआ है।

सुमन सेमवाल, देहरादून। Cloudburst In Dehradun: सरखेत और भैसवाड़ा क्षेत्र में बादल फटने के बाद नदी-नालों ने किस तरह विकराल रूप धारण किया, इसका अंदाजा सेटेलाइट चित्रों के माध्यम से लगाया जा सकता है। यह चित्र उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने जारी किए हैं, जिनमें स्पष्ट दिख रहा है कि बड़े स्तर पर तबाही का कारण बने बांदल व सौंग घाटी के नदी-नाले किस तरह उफान पर आ गए थे।
यूसैक के निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक, आपदा से पहले बांदल नदी, सौंग नदी व सरखेत की तरफ से आने वाला नाला सामान्य अवस्था मे दिख रहे हैं। वहीं, बादल फटने की घटना के बाद सौंग नदी की चौड़ाई करीब पांच गुना हो गई है, जबकि बांदल नदी चार गुना चौड़ी दिख रही है।
इसी तरह सरखेत की तरफ से आने वाला नाला भी सामान्य से कहीं अधिक चौड़ा दिख रहा है। इसके अलावा सेटेलाइट चित्रों में बड़े स्तर पर भूकटाव की स्थिति का भी पता चल रहा है। चित्र यह भी बताते हैं कि यह पूरा क्षेत्र एक ऐसी घाटी है, जो तीन तरफ से नदियों के बड़े कैचमेंट से घिरी है। इसका मतलब यह हुआ कि बादल फटने व भूस्खलन जैसी घटनाओं के चलते इन कैचमेंट में भारी मलबा डंप है। इसी मलबे के चलते आपदा विकराल रूप धारण कर लेती है।
बड़े कैचमेंट में भूगर्भीय हलचल खतरनाक
यूसैक के निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक, मालदेवता व इससे आगे न सिर्फ नदियों के बड़े कैचमेंट हैं, बल्कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक भूकंपीय फाल्ट मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) के अंतर्गत भी है। यह पहले से स्पष्ट है कि एमबीटी सक्रिय है और यहां भूगर्भीय हलचल होना आम बात है। सीधा मतलब यह है कि यहां के पहाड़ भूगर्भीय हलचल के चलते संवेदनशील हैं। इस पूरे क्षेत्र में निर्माण कार्यों में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।
वर्ष 2018 में श्रीपुर में बनी थी झील, इस बार भी भरा पानी
यूसैक ने वर्ष 2018 का सेटेलाइट चित्र जारी कर बताया कि बांदल घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्र के श्रीपुर में एक्टिव भूस्खलन जोन है। वर्ष 2018 में भूस्खलन के चलते मलबा जमा हुआ और यहां झील बन गई। तब तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट मनुज गोयल के नेतृत्व में एसडीआरएफ की टीम ने झील से पानी की निकासी कराई थी। वर्तमान की घटना के बाद झील में दोबारा पानी जमा होने की बात सामने आ रही है इस क्षेत्र में भारी मलबा भी जमा है। यदि कभी झील फटती है तो मलबे से निचले क्षेत्रों में भारी नुकसान हो सकता है।
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