उत्तराखंड में सुरक्षित होंगे पर्वतीय मार्ग, लगेंगे रोड साइन, रिफ्लेक्टर व क्रैश बैरियर
इस वर्ष वर्षाकाल में प्रदेश की सड़कों को भारी क्षति पहुँची है जिससे यात्रा असुरक्षित हो गई है। परिवहन विभाग सड़क सुरक्षा निधि का उपयोग करके सड़कों को सुरक्षित बनाने की तैयारी कर रहा है। मुख्यमंत्री ने 31 अक्टूबर तक सड़कों को दुरुस्त करने की समय सीमा तय की है और विभाग क्षतिग्रस्त संकेतकों को ठीक करने के लिए सर्वेक्षण करा रहा है ताकि मरम्मत कार्य किया जा सके।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। प्रदेश में इस बार वर्षाकाल ने सड़कों को गहरे जख्म दिए हैं। सड़कें जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो रखी हैं। यहां तक की सड़कों को सुरक्षित करने वाले संकेतक, रिफ्लेक्टर व क्रैश बैरियर भी टूट गए हैं। इससे सड़कों पर सफर खतरनाक हो गया है।
इसे देखते हुए अब परिवहन विभाग सड़कों को सुरक्षित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसके लिए सड़क सुरक्षा निधि का उपयोग से सड़कों को सुरक्षित बनाने की तैयारी चल रही है।
प्रदेश में इस वर्ष आपदा ने सड़कों को काफी नुकसान पहुंचाया है। सड़कें पर्वतीय क्षेत्रों की लाइफलाइन हैं। कारण यह कि सड़कें ही यहां आवागमन का प्रमुख साधन हैं। सड़कों के क्षतिग्रस्त होने से यहां का जनजीवन सीधा प्रभावित होता है। ऐसे में सड़कों को दुरुस्त रखना सरकार एवं संबंधित विभागों की प्राथमिकता है। अब मानसून समाप्त हो चुका है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी क्षतिग्रस्त सड़कों को दुरुस्त करने के लिए 31 अक्टूबर तक डेडलाइन तय कर चुके हैं। अब प्रदेश में सड़कों को दुरुस्त करने का कार्य तेजी से चल रहा है। इसे देखते हुए परिवहन विभाग अब सुरक्षित यातायात की तैयारी में जुट गया है।
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परिवहन विभाग ने सभी मार्गों को सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि सड़कों पर कहां-कहां सड़क संकेतक चिह्न, रिफ्लेक्टर, पैराफिट व क्रैश बैरियर टूटे हुए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे स्थानों को प्राथमिकता से लेते हुए इन्हें ठीक कराने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। साथ ही इनकी विस्तृत रिपोर्ट मिलने के बाद सड़क सुरक्षा निधि से इन्हें ठीक कराया जाएगा।
अपर आयुक्त परिवहन एसके सिंह का कहना है कि वर्षाकाल में सड़कों को काफी नुकसान हुआ है, इससे सड़क सुरक्षा संकेतक टूट गए हैं। इनका सर्वे कराकर संबंधित विभागों से इन्हें दुरुस्त करने को कहा जाएगा।
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