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ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बांध निर्माण की कवायद शुरू, पढ़िए पूरी खबर

प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में अगले 50 साल तक पानी की जरूरत पूरी करने के लिए राज्य सरकार ने जलाशय (बांध) के निर्माण की कवायद तेज कर दी है। इस क्रम में यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने गुरुवार को रामगंगा नदी पर बांध साइट का सर्वे किया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 02:15 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 02:15 PM (IST)
ग्रीष्मकालीन राजधानी  गैरसैंण में बांध निर्माण की कवायद शुरू, पढ़िए पूरी खबर
रामगंगा नदी में बांध निर्माण की साइट का सर्वे करते यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट।

सुमन सेमवाल देहरादून। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में अगले 50 साल तक पानी की जरूरत पूरी करने के लिए राज्य सरकार ने जलाशय (बांध) के निर्माण की कवायद तेज कर दी है। जलाशय का निर्माण रामगंगा नदी पर किया जाएगा। इस क्रम में उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने गुरुवार को रामगंगा नदी पर बांध साइट का सर्वे किया।

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सर्वे के दौरान डॉ. बिष्ट ने कई तकनीकी पहलुओं को शामिल किया और कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। डॉ. बिष्ट ने बताया कि बांध का डिजाइन 322 क्यूमेक्स (क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड) जल प्रवाह क्षमता के अनुरूप रहेगा, जिससे नदी में पानी का वेग अधिक होने पर भी बांध सुरक्षित रह सके। बांध निर्माण के लिए कुल 4.95 हेक्टेयर वन पंचायत भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इस भूमि के 0.50 हेक्टेयर भाग पर बांध का ढांचा निर्मित होगा। शेष भाग पर जलाशय, एप्रोच रोड व अन्य निर्माण किए जाएंगे।

जल शक्ति मंत्रलय दे चुका मंजूरी: परियोजना के लिए अच्छी बात यह है कि इसे जल शक्ति मंत्रलय से मंजूरी मिल चुकी है। वहीं, इससे पहले हाइड्रोलॉजी क्लीयरेंस के साथ ही राज्य स्तर की भी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी थीं।

प्रस्तावित बांध परियोजना पर एक नजर

  • कुल लागत: करीब 65 करोड़ रुपये
  • जल भंडारण क्षमता: 3.5 लाख घनमीटर
  • पेयजल आपूर्ति क्षमता: 70 लाख लीटर प्रतिदिन
  • बांध की ऊंचाई: 34.30 मीटर
  • कुल लंबाई: 850 मीटर
  • कुल चौड़ाई: 70 मीटर से अधिक

बढ़ रहा पानी, परियोजनाओं की जरूरत

यूसैक ने राज्य के तमाम जल स्रोतों का डाटाबेस तैयार किया है। जिसके तहत वर्ष 2005-06 से 2016-17 तक विभिन्न वेटलैंड (जलग्राही क्षेत्र) का अध्ययन किया गया। इसमें पता चला कि 10 वर्ष में वेटलैंड के क्षेत्रफल में एक लाख हेक्टेयर से अधिक का इजाफा हुआ है। स्पष्ट है कि प्रदेश में भविष्य में भी पानी की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी। जरूरत सिर्फ परियोजनाओं का निर्माण कर उसका प्रयोग बढ़ाने की है।

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