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    ढोल वादक नहीं बना पाए वर्ल्‍ड रिकॉर्ड तो संस्कृति विभाग ने भी नहीं दिए प्रमाण पत्र

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 24 Nov 2020 09:01 PM (IST)

    संस्कृति विभाग कलाकारों को प्रमाण पत्र तक मुहैया नहीं करा पाया। वह भी महज इसलिए कि ढोल वादक वर्ल्‍ड रिकॉर्ड नहीं बना पाए। ऐसा नहीं है कि रिकॉर्ड कलाका ...और पढ़ें

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    ओम नमोनाद कार्यशाला में ढोल वादक वर्ल्‍ड रिकॉर्ड नहीं बना पाए तो संस्कृति विभाग ने भी प्रमाण पत्र नहीं दिए।

    देहरादून, सुमन सेमवाल। ढोल वादन की पारंपरिक कला यूं ही लुप्त नहीं होती जा रही, सरकारी उपेक्षा भी इसका बड़ा कारण है। आधुनिक युग में जब इस कला को जीवित रखने के लिए कलाकारों को विभिन्न तरह से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, उस दौर में संस्कृति विभाग कलाकारों को प्रमाण पत्र तक मुहैया नहीं करा पाया। वह भी महज इसलिए कि ढोल वादक वर्ल्‍ड रिकॉर्ड नहीं बना पाए। ऐसा नहीं है कि रिकॉर्ड कलाकारों की खामी के चलते नहीं बन पाया, बल्कि इसके पीछे भी संस्कृति विभाग की ही नाकामी है। इस बात की स्वीकारोक्ति स्वयं संस्कृति विभाग ने सूचना आयोग के समक्ष की है।

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    संस्कृति विभाग ने वर्ष 2017 में हरिद्वार के प्रेमनगर आश्रम में 'ओम नमोनाद' (ढोल वादन) कार्यशाला का आयोजन किया था। तय किया गया था कि कार्यशाला में 1500 ढोल वादक जुटेंगे और इस कीर्तिमान को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉड्र्स में दर्ज कराया जाएगा। छह अगस्त से दस अगस्त तक हुई कार्यशाला में 1000 ढोल वादक ही जुट पाए थे। कार्यशाला के बाद सभी कलाकारों को प्रमाण पत्र दिया जाना था।

    लंबे समय बाद भी जब प्रमाण पत्र नहीं मिले तो डुंडा (उत्तरकाशी) के ढोल वादक भाग्यानदास ने सितंबर 2019 में संस्कृति निदेशालय से इस संबंध में सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत जानकारी मांगी। तय समय के भीतर उचित जानकारी नहीं मिल पाने पर उन्होंने सूचना आयोग में अपील की। आयोग से नोटिस भेजे जाने पर निदेशालय के लोक सूचनाधिकारी/सहायक निदेशक आशीष कुमार ने जवाब दिया कि 1500 की जगह 1000 ढोल वादकों के ही पहुंचने पर वर्ल्‍ड रिकॉर्ड नहीं बन पाया, इसलिए तय किया गया कि किसी भी कलाकार को प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। अब जनवरी 2021 में नमोनाद कार्यक्रम आयोजित किया जाना है। उस कार्यक्रम के बाद सभी को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।

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    इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी स्पष्ट हो चुकी है, लेकिन यह प्रश्न 1000 ढोल वादकों की भावना से जुड़ा है, इसलिए निदेशालय को इस बारे में सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।

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