Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देवभूमि के मंदिरों में सिंथेटिक की जगह अब चढ़ेगी सूती चुनरी, स्वच्छ रहेगी गंगा; जानिए कैसे

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Mon, 31 Aug 2020 03:29 PM (IST)

    गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए अब मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली सिंथेटिक चुनरी परेशानी का सबब नहीं बनेगी। आस्था की नई चुनरी सूती कपड़े से बनी होगी

    देवभूमि के मंदिरों में सिंथेटिक की जगह अब चढ़ेगी सूती चुनरी, स्वच्छ रहेगी गंगा; जानिए कैसे

    देहरादून, केदार दत्त। जीवनदायिनी गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए अब मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली सिंथेटिक चुनरी परेशानी का सबब नहीं बनेगी। आस्था की नई चुनरी सूती कपड़े से बनी होगी और मंदिरों की शोभा बनने के बाद इसका गंगा समेत अन्य नदियों में विसर्जन नहीं होगा। अलबत्ता, इन्हें वस्त्र बनाने के उपयोग में लाया जाएगा। इससे जहां नदियों का पर्यावरण स्वच्छ रहेगा, वहीं जरूरतमंदों को वस्त्र भी उपलब्ध हो सकेंगे। देहरादून की हिमवंत फाउंडेशन सोसायटी ने यह पहल की है, जिसे हरिद्वार के चंडी देवी और मंसा देवी मंदिरों के साथ गंगोत्री मंदिर समिति ने सराहा है। इसे देखते हुए सोसायटी ने अब बड़े पैमाने पर सूती कपड़े की चुनरी बनाना शुरू कर दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दुनिया में पॉलीथिन की थैलियां और प्लास्टिक की बोतलों के बाद सिंथेटिक कपड़े प्रदूषण का तीसरा बड़ा कारण हैं। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली चुनरी भी आमतौर पर सिंथेटिक से बनी होती है। बाद में इन्हें नदियों में विसर्जित कर दिया जाता है। इनसे रिसने वाले रंगों के कैमिकल, माइक्रो प्लास्टिक से नदियों के पारिस्थितिकीय तंत्र पर असर पड़ता है। इस सबको देखते हुए हिमवंत फाउंडेशन सोसायटी ने सूती कपड़े की चुनरी को प्रोत्साहन देने का निश्चय किया। 

    सोसायटी की अध्यक्ष संगीता थपलियाल बताती हैं कि पिछले साल हरिद्वार भ्रमण के दौरान उन्होंने पाया कि बड़े पैमाने पर सिंथेटिक चुनरियां गंगा को प्रदूषित कर रही हैं। लिहाजा, इसका विकल्प तलाशने पर मंथन शुरू किया। फिर तय किया कि यदि सूती कपड़े की चुनरियां बनाई जाएं तो सिंथेटिक से निजात पाने के साथ ही इनका उपयोग भी हो सकेगा। तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित थपलियाल बताती हैं कि सोसायटी ने पिछले साल अगस्त में राजस्थान से सूती कपड़ा और गुजरात से गोटा लेस मंगाकर चुनरियां तैयार कीं। 

    यह भी पढ़ें: Badrinath Dham Yatra 2020: बदरीनाथ धाम के दर्शन मात्र से पाप पुण्य में हो जाते परिवर्तित, अब तक 10578 यात्रियों ने किए दर्शन

    चंडी देवी मंदिर को पिछले साल दिसंबर तक सात सौ से ज्यादा चुनरियां तैयार कर दी गईं। थपलियाल के अनुसार इस चुनरी का इस्तेमाल बच्चों के लिए वस्त्र, थालपोश, पूजा की पुस्तकों के कवर, पर्दे आदि बनाने में किया जा सकता है। इस पहल को कुटीर उद्योग के तौर पर भी अपनाया जा सकता है।

    यह भी पढ़ें: Badrinath Yatra 2020: श्रद्धालुओं को अमेजन से मिलेगा पंच बदरी प्रसाद, ये सामग्री होगी उपलब्ध