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    coronavirus: उत्तराखंड के गांव भी बेहद संवेदनशील स्थिति में, लॉकडाउन के बाद काफी संख्या में लौटे गांव

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 25 Mar 2020 04:55 PM (IST)

    उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के गांवों में कोरोना से संबंधित कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन पहाड़ के गांव भी कम संवेदनशील नहीं है।

    coronavirus: उत्तराखंड के गांव भी बेहद संवेदनशील स्थिति में, लॉकडाउन के बाद काफी संख्या में लौटे गांव

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। शुक्र है कि विषम भूगोल वाले उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के गांवों में कोरोना से संबंधित कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन पहाड़ के गांव भी कम संवेदनशील नहीं है। असल में, पहाड़ से बड़ी संख्या में लोग देश के विभिन्न शहरों में रोजगार और शिक्षा अर्जन कर रहे हैं।

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    कोरोना के संक्रमण को रोकने के मद्देनजर चल रहे लॉकडाउन के बाद काफी संख्या में लोग गांव लौटे हैं। लिहाजा, पहाड़ के गांवों में भी शहरी क्षेत्रों की भांति विशेष सतर्कता बरतनी होगी। हालांकि, सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक कहते हैं कि कोरोना वायरस से बचाव को सरकार मुस्तैदी से जुटी है। सभी जिलों के जिलाधिकारियों को सभी एहतियाती कदम उठाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना को हराने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना है। इसके साथ ही गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में कोरोना से बचाव को चल रहे उपायों की मॉनीटरिंग के लिए दो मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

    यह किसी से छिपा नहीं है कि पहाड़ के गांव पलायन के दंश से जूझ रहे हैं। बड़ी संख्या में यहां के लोग दिल्ली समेत देश के तमाम शहरों में सेवारत हैं। कोरोना वायरस की दस्तक और लॉकडाउन के बाद महानगरों में रह रहे, रोजगार और पढ़ाई कर रहे काफी लोग वापस गांव आए हैं। लिहाजा, गांव भी संवेदनशील कम नहीं है। असल, सैनिटाइजेशन समेत अन्य मुहिम जिस तरह से शहरी क्षेत्रों में चल रही हैं, वैसी पहाड़ के गांवों में संभव नहीं है। फिर वहां की दुरूह परिस्थितियों किसी से छिपी नहीं है। 

    सामान्य बीमारी में भी सूदूरवर्ती क्षेत्र से मरीज को रोड हेड तक लाने में ही खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पर्वतीय क्षेत्र के गांवों में अधिक सतर्कता की जरूरत है। उधर, अपर सचिव और निदेशक पंचायतीराज विभाग एचसी सेमवाल बताते हैं कि सभी गांवों में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से स्वच्छता को जनजागरण चल रहा है। साथ ही कोरोना से बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन की ग्रामीणों से अपील की जा रही है। साथ ही ग्राम प्रधानों को पहले ही निर्देश जारी किए गए हैं कि यदि कोई संदिग्ध नजर आता है इसकी सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों को दी जाए। 

    तोक, गांव और कस्बों में भी चिह्नित होंगे कोरोना संदिग्ध  

    कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार ने अब इसमें और एहतियात बरतनी शुरू कर दी है। इसके तहत अब तोक, गांव और कस्बों तक कोराना संदिग्धों को चिह्न्ति किया जाएगा। बाहर से गांव और कस्बों में आने वालों की भी पूरी सूची बनाई जाएगी। इनमें से किसी पर भी कोरोना के लक्षण पाए जाने पर संदिग्ध और परिवार को घर पर नहीं बल्कि चिह्न्ति क्वारंटाइन स्थलों पर भेजा जाएगा ताकि क्षेत्र में यह किसी और को न फैले। इसके अलावा होम क्वारंटाइन पर रखे गए लोगों का भी प्रतिदिन दो बार सैंपल लिया जाएगा। 

    मंगलवार को सचिव स्वास्थ्य नितेश झा ने इस संबंध में विस्तृत गाइडलाइन जारी की। इसके अनुसार सभी जिलाधिकारियों को अपने जिले में अधिक से अधिक क्वारंटाइन सेंटर बनाने को कहा गया है। इसके मुताबिक बीते 14 दिनों में विदेश अथवा कोरोना मरीज के संपर्क में आए प्रत्येक व्यक्ति को क्वारंटाइन किया जाना है। इनके सैंपल लेकर पांच से 14 दिनों के भीतर जांच को भेजे जाएं। होम क्वारंटाइन में रखे गए लोगों का प्रतिदिन दो बार निरीक्षण किया जाएगा। 

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    यह निरीक्षण स्थानीय आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम या क्षेत्रीय कर्मी करेंगे। किसी भी तरह का लक्षण पाए जाने पर इनका तुरंत सैंपल लेकर जांच को भेजा जाएगा। जिन की जांच नेगेटिव भी आती है, उन्हें चिकित्सीय सलाह के अनुसार रहना होगा। गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि ऐसे लोगों की जांच कर रहे डॉक्टर और कार्मिकों को भी इसके इन्फेक्शन से मुक्त रखने के समुचित कदम उठाए जाएं।

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