Coronavirus: महामारी के दौर में बेशर्मी से फीस मांग रहे निजी स्कूल Dehradun News
दून के कुछ निजी स्कूल संकट की घड़ी में भी अभिभावकों से फीस का पैसा वसूलने की फिराक में है। स्कूलों ने अभिभावकों को नए सत्र के एडमिशन और अगले महीने की फीस के मैसेज भेज रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस का संक्रमण महामारी घोषित हो चुका है। 180 से भी ज्यादा देशों में फैला को रोना वायरस 15000 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। ऐसे मुश्किल दौर में दुनिया भर से लोग एक दूसरे की मदद को हाथ आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, दून के कुछ निजी स्कूल इस संकट की घड़ी में भी बेशर्मी से अभिभावकों से फीस का पैसा वसूलने की फिराक में है। स्कूलों ने अभिभावकों को नए सत्र के एडमिशन और अगले महीने की फीस के मैसेज भेजना शुरू कर दिया है।
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 4 मरीजों की पुष्टि होने के बाद 31 मार्च तक लॉक डाउन का निर्णय सरकार कर चुकी है। स्कूल- कॉलेज भी 31 मार्च तक बंद है। सीबीएसई, आईसीएसई, उत्तराखंड बोर्ड और एनआईओएस समेत एसएससी और एटीए भी अपनी तमाम परीक्षाएं स्थगित कर चुके हैं।
महामारी के इस दौर में लोग एक दूसरे की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं। कर्मचारी संगठन, शिक्षक संगठन समेत अन्य लोगों ने अपने वेतन और और दूसरे माध्यमों से इस महामारी की लड़ाई में अपनी आहुति दी है। दूसरी ओर दून के निजी स्कूल इस समय में भी अपनी जेब भरने पर आतुर हैं। कई निजी स्कूलों ने अभिभावकों को आने वाले महीने की फीस और नए सत्र के एडमिशन के लिए मैसेज भेजना शुरू कर दिया है।
बता दें कि अप्रैल के महीने में स्कूलों में नया सत्र शुरू होता है। ऐसे में निजी स्कूलों को यह चिंता सताने लगी है कि उनकी छात्र संख्या कम ना हो जाए। इस डर से निजी स्कूलों ने अभी से फीस के मैसेज भेजना शुरू कर दिया है। शिक्षा विभाग भी इन इन स्कूलों पर कार्रवाई के लिए शासन आदेश के इंतजार में है विभाग के अधिकारियों का मानना है की फीस लेना ना लेना स्कूल के अधिकार क्षेत्र में है।
मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून आशारानी पैन्यूली के मुताबिक, निजी स्कूलों को ऐसी मुश्किल घड़ी में अभिभावकों से फीस नहीं वसूली चाहिए। फीस लेना ना लेना उनका अधिकार क्षेत्र है। ऐसे स्कूलों पर शासन से आदेश मिलने पर ही कार्रवाई की जा सकती है।
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ऐसे वक्त में शिकायत मिलना दुर्भाग्यपूर्ण
सीबीएससी के क्षेत्रीय निदेशक रणबीर सिंह के अनुसार, फीस के मामलों में सीबीएसई का दखल नहीं होता इसका अधिकार राज्य शिक्षा विभाग को होता है। ऐसे समय में ऐसी शिकायत मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है।
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