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Coronavirus: उत्तराखंड में कोरोना टेस्ट के नए सिरे से रेट होंगे तय

प्रदेश में भी अब सरकारी व निजी लैब में कोरोना परीक्षण के लिए नए सिरे से रेट तय किए जा रहे हैं। रेट कितने रखे जाएं इनको लेकर शासन में मंथन चल रहा है।

By Edited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 08:41 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 11:56 AM (IST)
Coronavirus: उत्तराखंड में कोरोना टेस्ट के नए सिरे से रेट होंगे तय
Coronavirus: उत्तराखंड में कोरोना टेस्ट के नए सिरे से रेट होंगे तय

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में भी अब सरकारी व निजी लैब में कोरोना परीक्षण के लिए नए सिरे से रेट तय किए जा रहे हैं। रेट कितने रखे जाएं, इनको लेकर शासन में मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि यहां भी केंद्र के निर्देशानुसार टेस्ट रेट की अधिकतम सीमा ढाई हजार से तीन हजार रुपये तक तय की जा सकती है। 

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प्रदेश में अभी सरकारी व निजी लैब में कोरोना परीक्षण के लिए 4500 रुपये के रेट तय हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों से पैसा नहीं लिया जाता। यह पैसा सरकार अस्पतालों को देती है। वहीं, निजी लैब में मरीजों को स्वयं परीक्षण का खर्च उठाना पड़ता है। 

केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले आइसीएमआर की सिफारिश पर कोरोना के परीक्षण के रेट नए सिरे से तय करने का निर्णय लिया था। राज्यों को इसी लिहाज से अपने यहां की परिस्थितियों के हिसाब से टेस्ट के रेट कम करने को कहा था। इस कड़ी में दिल्ली में 2400 रुपये तो उत्तर प्रदेश ने पहली जांच के लिए 1500 रुपये और दूसरी जांच के लिए 3000 रुपये तय किए हैं। 

इसी कड़ी में अब प्रदेश सरकार भी यहां नए सिरे से रेट तय करने में जुट गई है। इसके लिए दूसरे राज्यों द्वारा तय की गई कीमतों का अध्ययन किया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश की मौजूदा कीमत और लोगों का ध्यान रखते हुए परीक्षण के रेट तय किए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार यहां ढाई हजार से लेकर तीन हजार रुपये तक के रेट तय कर सकती है। 

हालांकि, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी के अनुसार कोरोना टेस्ट के रेट तय करने पर काम चल रहा है। इसके लिए टेंडर भी आमंत्रित किए जा रहे हैं। जल्द ही इस पर निर्णय ले लिया जाएगा।

गंभीर बीमारी वालों की निगरानी को कंट्रोल रूम

देहरादून में गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों, गर्भवती महिलाओं और 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों को कोरोना से बचाने के लिए अलग कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसकी स्थापना सर्वे चौक स्थित क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय में की गई है। यहां से रोजाना ऐसे लोगों के स्वास्थ्य की खबर ली जाएगी।

जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कमोर्बिडिटी मॉनीटरिंग एंड सर्विलांस कंट्रोल रूम की स्थापना के साथ उसका निरीक्षण भी किया। जिलाधिकारी ने बताया कि कंट्रोल रूम से रोजाना 200 से 300 लोगों को फोन किया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों की स्थिति क्या है। वह कितने अंतराल में अस्पताल जा रहे हैं।

कंट्रोल रूम की स्थापना के बाद इस तरह के लोगों को त्वरित रूप से चिकित्सकीय मदद उपलब्ध कराई जा सकेगी। दून में इस तरह के आठ हजार से अधिक लोगों को चिह्नित किया जा चुका है।

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मरीज को बिना इलाज नहीं लौटाएंगे अस्पताल

कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद भी उपचार न मिलने के कारण हुई दून में प्रसूता की मौत के बाद अब सिस्टम हरकत में दिख रहा है। जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य चिकत्साधिकारी डॉ. बीसी रमोला ने सरकारी व निजी अस्पतालों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए डॉ. दिनेश चौहान को नोडल अधिकारी नामित किया है। डॉ. चौहान कोरोनेशन एवं गांधी नेत्र चिकित्सालय, दून अस्पताल व अन्य निजी चिकित्सालयों के बीच सामंजस्य स्थापित करेंगे।

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