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Coronavirus: उत्तराखंड में हफ्तेभर में चार दिन से कम हो गई कोरोना डबलिंग की दर

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में हफ्तेभर में कोरोना का डबलिंग रेट महज 3.84 दिन हो गया है। इससे पहले यहां कोरोना संक्रमण के डबल होने की दर 35 दिन थी।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:10 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 08:10 AM (IST)
Coronavirus: उत्तराखंड में हफ्तेभर में चार दिन से कम हो गई कोरोना डबलिंग की दर
Coronavirus: उत्तराखंड में हफ्तेभर में चार दिन से कम हो गई कोरोना डबलिंग की दर

देहरादून, सुमन सेमवाल। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ उत्तराखंड के लिए ग्रीन जोन की राह भी लंबी होती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में हफ्तेभर में ही कोरोना का डबलिंग रेट महज 3.84 दिन हो गया है। इससे पहले 13 मई को यहां कोरोना संक्रमण के डबल होने की दर 35 दिन थी, जबकि प्रवासियों की आमद शुरू होने से पहले 40 दिन। 

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ग्रीन जोन के लिए तय छह मानकों में से एक यह है कि कोरोना संक्रमण के डबल होने की दर 28 दिन से अधिक होनी चाहिए। प्रदेश में 14 मई को जब यह दर गिरकर 23 दिन पर आ गई, तभी लगने लगा था कि इस मानक में हम अब पिछड़ते चले जाएंगे। 

अभी प्रदेश के सभी जिले ऑरेंज जोन में हैं। यदि किसी को भी ग्रीन जोन में आना है तो कम से कम तीन मानक ग्रीन जोन के अनुरूप होने चाहिएं। संक्रमण के नए मामले अभी थमते नहीं दिख रहे और सैंपलिंग की रफ्तार भी कई जिलों में प्रति लाख जनसंख्या पर 200 पार नहीं है। डबलिंग रेट निरंतर कम होने से भी मंजिल दूर दिख रही है। इसके अलावा ग्रीन जोन का एक मानक यह भी है कि 28 दिन में संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आना चाहिए। 

ग्रीन जोन के मानक

एक्टिव केस: 21 दिन में संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आना चाहिए।

डबलिंग रेट: 28 दिन से अधिक होना चाहिए।

मृत्यु दर: 01 फीसद से कम होना जरूरी।

प्रति लाख जनसंख्या पर सैंपलिंग: 200 से अधिक होना जरूरी।

सैंपल पॉजिटिव होने की दर: 02 फीसद से कम

नोट: तीन या अधिक मानक ग्रीन जोन के होने पर ही किसी क्षेत्र या जिले को ग्रीन जोन माना जाएगा।

41 फीसद लोग सिर्फ दिल्ली व महाराष्ट्र से आ रहे

दूसरे राज्यों में फंसे 2.49 लाख लोग अब तक वापसी के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। इसमें 41 फीसद से अधिक लोग अकेले दिल्ली और महाराष्ट्र से हैं। बड़ी संख्या में इन राज्यों से लोग उत्तराखंड आ चुके हैं और संक्रमण के मामले भी सबसे अधिक यहीं से आ रहे हैं। ऐसे में चिंता के साथ सुरक्षा की चुनौती भी बढ़ गई है। 

कोरोना के वार से मुसीबतों के शिखर पर पहाड़

लॉकडाउन के तीसरे चरण में मिली छूट के बाद प्रवासियों की आमद क्या बढ़ी, यह वायरस पर्वतीय जनपदों को भी एक-एक कर अपनी जद में लेता चला गया। एक अर्से पहले तक उत्तराखंड के नौ पर्वतीय जिले जहां सुकून महसूस कर रहे थे, वहां अब कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा सैकड़ा पार कर चुका है। संक्रमितों का ग्राफ बढ़ने के साथ ही क्वारंटाइन सेंटरों में बदइंतजामी से भी चिंता बढ़ती जा रही है।

प्रदेश के सभी जिले अब कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। पर्वतीय क्षेत्र के जिले कुछ दिन पहले तक वायरस के संक्रमण से अछूते थे। लेकिन, प्रवासियों की वापसी के बाद पहाड़ में भी इसकी दस्तक हो चुकी है। मंगलवार तक प्रदेश में कोरोना संक्रमण के जो चार सौ से अधिक मामले सामने आए हैं, उनमें 28 फीसद यानी 120 पॉजिटिव मरीज नौ पर्वतीय जिलों से हैं।

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टिहरी में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 38 तक पहुंच गई है। वहीं पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी, उत्तरकाशी, बागेश्वर, चंपावत व रुद्रप्रयाग में भी हर अंतराल के बाद कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। कोरोना पॉजिटिव मरीजों में बाहर से लौटे प्रवासियों की संख्या अधिक है।

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