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बच्ची की हत्या के बाद शव से दुष्कर्म करने वाले दरिंदे को मिली सजा-ए-मौत

विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडेय की अदालत ने बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी और उम्रकैद की सजा सुनाई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 07:15 AM (IST)
बच्ची की हत्या के बाद शव से दुष्कर्म करने वाले दरिंदे को मिली सजा-ए-मौत
बच्ची की हत्या के बाद शव से दुष्कर्म करने वाले दरिंदे को मिली सजा-ए-मौत

देहरादून, जेएनएन। दस साल की मासूम के साथ हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए बच्ची के चीखने-चिल्लाने पर गला दबाकर हत्या करने और फिर बच्ची के शव से दुष्कर्म करने के दोषी को विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडेय की अदालत ने फांसी और उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोषी मूलरूप से कुमारगंज अयोध्या (फैजाबाद) का रहने वाला है। अदालत ने उस पर 55 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है, जिसमें से दस हजार रुपये और अपराध पीड़ित सहायता योजना के तहत एक लाख रुपये पीड़ित परिवार को देने का आदेश डीएम को दिया है। हाल ही में हुए संशोधन के बाद पोक्सो एक्ट के तहत उत्तराखंड में फांसी की यह पहली सजा है। 

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विशेष लोक अभियोजक भरत सिंह नेगी ने अदालत को बताया कि घटना 28 जुलाई 2018 की है। घटनाक्रम के अनुसार दस साल की बच्ची पांच और सात साल के चचेरे भाई-बहन के साथ खेल रही थी। दोपहर में खाने के वक्त वह घर नहीं लौटी तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। शाम तक बच्ची नहीं मिली तो पुलिस को सूचना दी गई। इसी दिन देर शाम सिंघनीवाला स्थित एक इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माणाधीन भवन में मजदूरों के लिए बनी एक झोपड़ी से बच्ची का शव बरामद हुआ। शव को सीमेंट की बोरियों के नीचे दबाकर रखा गया था। बच्ची के माता-पिता भी उसी बिल्डिंग में मजदूरी करते थे। 

दोपहर को वहां मौजूद लोगों के बयान लिए गए तो पता चला कि बच्ची को जय प्रकाश तिवारी पुत्र रामजस तिवारी निवासी ग्राम निमकपुरा थाना कुमारगंज, अयोध्या, उत्तर प्रदेश के साथ देखा गया था। अगले दिन जयप्रकाश को तिमली के जंगल से गिरफ्तार कर लिया गया। विवेचना में पाया गया कि जय प्रकाश ने बच्ची से दुष्कर्म करने की कोशिश की तो उसने चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया। इस पर जय प्रकाश ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और फिर उसके शव के साथ दुष्कर्म किया। अदालत में चार्जशीट आने के बाद शुरू हुई सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल 17 गवाह पेश किए, जबकि बचाव पक्ष से कोई गवाह पेश नहीं हुआ। वैज्ञानिक साक्ष्यों और बयानों के आधार पर अदालत ने जय प्रकाश तिवारी को दोषी पाया। 

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दस रुपये का लालच देकर किया दुष्कर्म

पुलिस की विवेचना में सामने आया था कि जय प्रकाश ने बच्ची को दस रुपये का लालच देकर अपनी झोपड़ी में बुलाया। यहां उसने दस रुपये दिए, जिसके बाद वह उसके साथ दुष्कर्म करने लगा। जिस पर बच्ची चीखने लगी, इस पर जय प्रकाश ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को छिपाकर बाहर आ गया। जिस समय परिजन और पुलिस बच्ची की तलाश कर रहे थे, जय प्रकाश वहीं मौजूद रहा। शव बरामद होने के बाद बच्ची के हाथ में दस रुपये का नोट मिला और कुछ बाल भी मिले। यह बाल फोरेंसिक रिपोर्ट में जय प्रकाश के बताए गए।

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