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    गैरसैंण में सत्र आयोजित करने को लेकर सरकार और भाजपा आमने सामने

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 27 Nov 2018 08:17 AM (IST)

    गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने को लेकर सरकार और भाजपा संगठन आमने सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री ने आज कहा कि सत्र सरकार आयोजित करती है।

    गैरसैंण में सत्र आयोजित करने को लेकर सरकार और भाजपा आमने सामने

    देहरादून, जेएनएन। गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने को लेकर सरकार और भाजपा संगठन आमने सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज कहा कि सत्र सरकार आयोजित करती है। पहले भी हमारी सरकार गैरसैंण में दो सत्र आयोजित कर चुकी है। सत्र आयोजित कराना सरकार का काम। वहीं, दो दिन पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने गैरसैण में विधानसभा सत्र के आयोजन का विरोध किया था। उन्‍होंने अव्यवस्था के नाम पर विरोध किया था।

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    गौरतलब है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के गैरसैंण पर दिए गए बयान ने सियासत में उबाल ला दिया है। गैरसैंण में अव्यवस्था के नाम पर विधानसभा सत्र आयोजित किए जाने का विरोध करते हुए भट्ट ने कहा कि ऐसा किसी राज्य में नहीं होता कि सरकार सत्र के नाम पर सबको खाना खिलाए। कांग्रेस ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के इस बयान को लपकते हुए उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि इससे भाजपा का दोहरा चरित्र सामने आ गया है। उसकी कथनी व करनी में भारी अंतर है और अब वह गैरसैंण को लेकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।

    उत्तराखंड आंदोलन की भावनाओं का केंद्र रहे गैरसैंण को लेकर दोनों ही राष्ट्रीय दल अब तक सियासी रोटियां सेंकते आए हैं। यही कारण है कि गैरसैंण राजधानी के सवाल पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कन्नी काटते आए हैं। किसी ने भी गैरसैंण पर अपना स्पष्ट नजरिया नहीं रखा। यह बात अलग है कि गैरसैंण में अब तक दोनों दलों की सरकारों ने विधानसभा सत्र जरूर कराए हैं, मगर इनके जरिये भी सियासी नफा-नुकसान अधिक देखा गया। हालांकि, विस चुनाव के दौरान भाजपा ने गैरसैंण को शीतकालीन राजधानी बनाने का प्रयास करने का वादा जरूर किया।

    अब जबकि निकाय चुनाव निबट चुके हैं और चार दिसंबर से देहरादून में विस सत्र का ऐलान हो चुका है, इससे ठीक पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के गैरसैंण को लेकर दिए गए बयान ने सियासी गलियारों में उबाल ला दिया है। सोशल मीडिया पर भी उनका वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह यह कह रहे हैं कि अच्छा किया कि सरकार ने इस बार गैरसैंण में सत्र नहीं बुलाया। पुख्ता व्यवस्थाएं होने के बाद ही वहां जाना उचित रहेगा।

    प्रदेश अध्यक्ष भट्ट यही नहीं रुके और बोले, 'ये ठीक नहीं कि सबको सरकार खाना खिलाए, बेवजह का खर्च हो। अनावश्यक तरीके से लोग परेशान हों। कर्मचारी परेशानी में रहें।' उन्होंने कहा कि हमने यही कहा है कि गैरसैंण को हम उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का प्रयास करेंगे। इस कड़ी में व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं। पानी की व्यवस्था को झील बन रही है। रहने को इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा है। हम चाहते हैं कि सभी व्यवस्थाएं होने के बाद गैरसैंण में सत्र अच्छे ढंग से चले।

    दूसरी तरफ, अचानक मिले इस मुद्दे को लपकने में कांग्रेस ने कोई देरी नहीं की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा की कथनी व करनी में अंतर है। हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और हैं। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को लेकर कांग्रेस का सदैव सकारात्मक रुख रहा है। आंदोलनकारियों व जनभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस ने वहां दो बार विस सत्र आहूत किए और इन्फ्रा खड़ा किया।

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा के पास भारी जनादेश है। इसके बावजूद गैरसैंण के मामले में सरकार मौन है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष रहते हुए वह गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने पर जोर देते रहे। अब वे जनता को गुमराह कर रहे हैं।

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