बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के मौके पर उत्तराखंड कांग्रेस में दिखी गुटबाजी
प्रदेश में कार्यक्रम भले ही भारत-चीन सीमा पर बलिदान हुए सैनिकों को श्रद्धाजलि देने का रहा लेकिन काग्रेस के नेता इस मौके पर भी अलग-अलग राजनीति चमकाने का मोह नहीं छोड़ पाए।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में कार्यक्रम भले ही भारत-चीन सीमा पर बलिदान हुए सैनिकों को श्रद्धाजलि देने का रहा, लेकिन कांग्रेस के नेता इस मौके पर भी अलग-अलग राजनीति चमकाने का मोह नहीं छोड़ पाए। प्रदेश काग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रीतम समेत पार्टी संगठन ने शौर्य स्थल पर जाकर बलिदान देने वाले सैनिकों का स्मरण किया तो पूर्व मुख्यमंत्री व काग्रेस महासचिव हरीश रावत अपने अलहदा अंदाज में आवास पर ही बलिदानियों के सम्मान में धरने पर बैठ गए।
प्रदेश में कांग्रेस को सत्तारूढ़ भाजपा से मजबूत चुनौती मिल रही है। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के बाद से अभी तक इस चुनौती को कड़ी टक्कर देना तो दूर, कांग्रेस अंदरूनी खींचतान से ही पार नहीं पा सकी है। हालत ये है कि पार्टी के सामने गुटबाजी से निजात पाना ही चुनौती बन चुका है।
कांग्रेस हाईकमान ने भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में बलिदान हुए सैनिकों के लिए श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए। इस मौके पर भी पार्टी की एकजुटता पर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा हावी नजर आई। प्रदेश कांग्रेस संगठन और पार्टी के दिग्गज नेता हरीश रावत ने अलग-अलग कार्यक्रम किए।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीते रोज भी जिला प्रशासन को पत्र लिखकर अकेले ही श्रद्धांजलि कार्यक्रम की अनुमति मांगी थी। दिल्ली से लौटे पूर्व मुख्यमंत्री रावत की क्वारंटाइन अवधि 28 जून को पूरी होनी है। इस वजह से जिला प्रशासन ने उन्हें शहीद स्थल या गांधी प्रतिमा के नीचे श्रद्धांजलि कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी।
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हालांकि उन्होंने अपने नागरिक अधिकार का हवाला देते हुए प्रशासन के इस कदम पर आपत्ति भी जताई थी। शुक्रवार को हरीश रावत अपने राजपुर क्षेत्र स्थित आवास पर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने को धरने पर बैठ गए। इससे पहले उन्होंने बलिदान होने वाले सैनिकों के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। अपने संबोधन में उन्होंने चीन की सीमा पर आक्रामक नीति के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान भी किया। उधर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने शौर्य स्थल पर बलिदान हुए सैनिकों के प्रति सम्मान जताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
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