Uttarakhand Nikay Chunav: लगातार चौथी बार कांग्रेस को मिली हार, 2008 से जीत की आस देख रही पार्टी
Uttarakhand Nikay Chunav में कांग्रेस प्रत्याशी विरेंद्र पोखरियाल की ओर से भाजपा उम्मीदवार सौरभ थपलियाल को कड़ी टक्कर देने का दावा न केवल कांग्रेस की ओर से बल्कि सत्ताधारी भाजपा नेता भी कर रहे थे। लेकिन सभी 100 वार्डों के मतदान रुझान से दिखा कि भाजपा के कैडर वोट पर सेंधमारी लगाने में कांग्रेस कामयाब होती नहीं दिखी। लगातार चौथी बार पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। तमाम दावों के बावजूद कांग्रेस इस बार भी दून शहर में भाजपा के किले में सेंध लगाने में कामयाब नहीं हो सकी। लगातार चाैथी बार कांग्रेस को महापौर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
इस बार के निकाय चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विरेंद्र पोखरियाल की ओर से भाजपा उम्मीदवार सौरभ थपलियाल को कड़ी टक्कर देने का दावा न केवल कांग्रेस की ओर से बल्कि सत्ताधारी भाजपा नेता भी कर रहे थे। लेकिन सभी 100 वार्डों के मतदान रुझान से दिखा कि भाजपा के कैडर वोट पर सेंधमारी लगाने में कांग्रेस कामयाब होती नहीं दिखी।
कांग्रेस के एकता का दावा भी फेल
महापौर के दोनों प्रत्याशी पहाड़ से ताल्लुक रखने के बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी को पहाड़ी बाहुल कॉलोनियों में ज्यादा पसंद नहीं किया गया। कांग्रेस में इस बार एकता के दावे तो किए गए लेकिन अंदरखाने टिकट नहीं मिलने से कुछ बड़े नेताओं ने विरेंद्र पोखरियाल के लिए काम नहीं किया और ज्यादातर प्रचार अभियान से नदारद दिखे।
2008 में शुरू हुआ था कांग्रेस की हार का सिलसिला
वर्ष 2008 में कांग्रेस की हार का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी बदस्तूर जारी है। सबसे पहले वर्ष 2008 में भाजपा के महापौर प्रत्याशी विनोद चमोली ने निर्दलीय प्रत्याशी रजनी रावत को 160639 मतों से पराजित किया था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सूरत सिंह नेगी को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था।
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वर्ष 2013 की बात करें तो एक बार फिर विनोद चमोली भाजपा से मैदान में उतारे गए। इस बार उनके समक्ष कांग्रेस से सूर्यकांत धस्माना को मैदान में उतारा गया, लेकिन धस्माना भी चुनौती नहीं दे पाए और 22, 912 मतों के अंतर से पराजित हुए। 2018 में भाजपा ने महापौर पद पर नया चेहरा सुनील उनियाल गामा को मैदान में उतरा।
कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल पर दांव
दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल पर दांव खेला। हालांकि दिनेश अग्रवाल भी 35,652 मतों से पराजित हुए और भाजपा ने महापौर पर जीत की हैट्रिक पूरी कर दी। इस बार चुनाव में कांग्रेस से राज्य आंदोलनकारी विरेंद्र पोखरियाल को मैदान में उतार कर कांग्रेस ने पहाड़ बनाम मैदान कार्ड का तोड़ तो निकाल लिया, लेकिन भाजपा के युवा नेता सौरभ थपलियाल से मुकाबले के लिए मैदान तैयार नहीं कर पाई।
रात दो बजे तक चल रही मतगणना के छठवें राउंड तक सौरभ थपलियाल की बढ़त 49 हजार पार होने बाद मतदान स्थल से कई कांग्रेसी नेताओं ने घर की ओर रुख करना शुरू कर दिया। मौके पर सिर्फ विजयी कांग्रेस पार्षद और उनके समर्थक दिखाई दिए।

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