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    उत्तराखंड: पदोन्नति में आरक्षण पर सरकार और कर्मचारी आमने-सामने, बजट सत्र पर पड़ सकता है असर

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Fri, 28 Feb 2020 08:46 PM (IST)

    सरकार और जनरल-ओबीसी कर्मचारियों के बीच टकराव खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। इससे आगामी बजट सत्र पर असर पड़ सकता है।

    उत्तराखंड: पदोन्नति में आरक्षण पर सरकार और कर्मचारी आमने-सामने, बजट सत्र पर पड़ सकता है असर

    देहरादून, जेएनएन। बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली को लेकर सरकार और जनरल-ओबीसी कर्मचारियों के बीच टकराव खत्म होता नजर नहीं आ रहा। शुक्रवार दोपहर में मुख्य सचिव ने बजट सत्र का हवाला देते हुए उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन से दो मार्च से प्रस्तावित हड़ताल वापस लेने की अपील की है। जिसे एसोसिएशन ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि पहले पदोन्नति में लगी रोक हटाने का शासनादेश जारी किया जाए। इस पर देर शाम मुख्य सचिव ने सख्त तेवर दिखाते हुए सत्र के दौरान सभी कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी। इस एसोसिएशन ने कहा कि शासन कुछ भी कर ले, हड़ताल बिना शासनादेश के हड़ताल वापस नहीं होगी।

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    सात फरवरी को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी उत्तराखंड सरकार की ओर से बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया बहाल करने में की जा रही देरी के चलते जनरल-ओबीसी कार्मिक कई दिन से सड़कों पर हैं। दो मार्च से कार्मिकों ने प्रदेशव्यापी हड़ताल का एलान किया है। साथ ही तीन मार्च से गैरसैंण में शुरू होने जा रहे बजट सत्र के बहिष्कार का भी फैसला सुना दिया है। इस बाबत एसोसिएशन ने शुक्रवार को मुख्य सचिव समेत सभी प्रमुख सचिवों को पत्र लिखकर कहा कि जनरल-ओबीसी अधिकारियों और कर्मचारियों की सत्र में ड्यूटी न लगाई जाए। इससे सरकार के हाथ-पांव फूल गए। 

    क्योंकि, बजट सत्र में सचिवालय और विधानसभा से लेकर तमाम राजकीय विभागों के अधिकारियों की मौजूदगी आवश्यक है और उनमें से अधिकांश जनरल-ओबीसी हैं, जिनके सत्र में न आने से कामकाज बाधित हो सकता है। इसको लेकर शुक्रवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने एसोसिएशन को पत्र भेजकर हड़ताल वापस लेने की अपील की और आश्वासन दिया कि सरकार उनकी मांगों पर विचार करेगी, लेकिन एसोसिएशन की ओर पहले शासनादेश जारी करने फिर हड़ताल वापस लेने का दो टूक जवाब देने के बाद भी मुख्य सचिव ने भी सख्त तेवर अख्तियार कर लिया।

    उनकी ओर से सभी विभागों के आला अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि सत्र के दौरान किसी भी अधिकारी-कर्मचारी का अवकाश स्वीकृत न किया जाए। अधिकारियों और कर्मचारियों की दफ्तरों में मौजूदगी सुनिश्चित की जाए। इतना ही नहीं मुख्य सचिव ने यह फरमान जारी किया है कि कार्यालय अवधि के बाद भी सभी अधिकारी व कर्मचारी मुख्यालय पर मौजूद रहते हुए फोन पर उपलब्ध रहेंगे। 

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    इस पर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि हमने हड़ताल की घोषणा की है। अवकाश तो मांगा ही नहीं है। हड़ताल तो तभी वापस होगी, जब बिना आरक्षण पदोन्नति का शासनादेश जारी हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा सत्र या विकास योजनाओं को बाधित करना उद्देश्य नहीं है। हम अपने अधिकारों को पाने के लिए संघर्षरत हैैं। 

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    बोर्ड परीक्षा का नहीं किया बहिष्कार

    उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा, सरकार यह न कहे कि वह प्रदेश का विकास नहीं चाहते या बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं। हमें भी इसकी चिंता है। बच्चों के भविष्य को देखते हुए ही अभी तक बोर्ड परीक्षा का बहिष्कार नहीं किया गया है। 

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