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    उत्तराखंड में अब वन्यजीवों से वाहन क्षति पर भी मिलेगा मुआवजा, जानें- किस नुकसान पर पहले से ही है प्रविधान

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sat, 05 Sep 2020 10:35 PM (IST)

    वन्यजीवों द्वारा वाहनों को पहुंचाई जाने वाली क्षति पर भी निकट भविष्य में मुआवजा मिल सकेगा। सरकार मानव-वन्यजीव राहत वितरण निधि नियमावली में संशोधन कर इ ...और पढ़ें

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    उत्तराखंड में अब वन्यजीवों से वाहन क्षति पर भी मिलेगा मुआवजा, जानें- किस नुकसान पर पहले से ही है प्रविधान

    देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में वन्यजीवों द्वारा वाहनों को पहुंचाई जाने वाली क्षति पर भी निकट भविष्य में मुआवजा मिल सकेगा। सरकार मानव-वन्यजीव राहत वितरण निधि नियमावली में संशोधन कर इसका प्रविधान करने जा रही है। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने इस सिलसिले में अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

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    यह किसी से छिपा नहीं है कि उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुका है। खुद विभागीय आकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। पिछले नौ सालों की तस्वीर देखें तो इस अवधि में वन्यजीवों के हमलों में 416 व्यक्तियों की जान गई, जबकि 2186 घायल हुए। 36 हजार से ज्यादा मवेशियों को वन्यजीवों ने निवाला बनाया। 2329 हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसलों को जंगली जानवरों ने तबाह कर डाला, जबकि वन सीमा से सटे क्षेत्रों में 461 घरों को भारी क्षति पहुंचाई। यही नहीं, कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के अलावा विभिन्न वन प्रभागों से गुजरने वाले मार्गों पर वाहनों को भी वन्यजीव निरंतर नुकसान पहुंचाते आ रहे हैं।

    हालांकि, राज्य में मानव-वन्यजीव राहत वितरण निधि नियमावली के तहत वन्यजीवों के हमले में मानव, पशु, फसल और भवन क्षति के मामलों में आपदा मद से मुआवजा देने का प्रविधान है, लेकिन वाहन क्षति के मामले में विभाग हाथ खड़े कर देता है। इस बीच पिछले दिनों कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के धनगढ़ी समेत दूसरे क्षेत्रों में हाथियों ने कई वाहनों को क्षति पहुंचाई तो क्षतिपूर्ति की मांग ने जोर पकड़ा। इस बारे में पड़ताल हुई तो बात सामने आई कि नियमावली में इसका प्रविधान ही नहीं है।

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    अब महकमे से लेकर सरकार तक इस संबंध में गंभीर हुए हैं। वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार वन्यजीवों द्वारा वाहनों को क्षति पहुंचाए जाने पर प्रभावितों को मुआवजा मिलना चाहिए। नियमावली में प्रविधान करने के मद्देनजर यह विषय कैबिनेट में लाया जाएगा। प्रयास ये है कि इसी वित्तीय वर्ष से यह व्यवस्था अमल में आ जाए।

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