सरहद की निगहबानी को तैयार युवा अधिकारी, आइएमए में कमांडेंट परेड का किया गया आयोजन
देश के भावी सैन्य अफसर सरहद की निगहबानी को तैयार हैं। आइएमए गीत की धुन पर उन्होंने शानदार परेड का प्रदर्शन किया। परेड में सधे हुए कदम और शानदार ड्रिल ने जेंटलमैन कैडेट के आइएमए में लिए प्रशिक्षण को सार्थक साबित किया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। देश के भावी सैन्य अफसर सरहद की निगहबानी को तैयार हैं। आइएमए गीत की धुन पर उन्होंने शानदार परेड का प्रदर्शन किया। परेड में सधे हुए कदम और शानदार ड्रिल ने जेंटलमैन कैडेट के आइएमए में लिए प्रशिक्षण को सार्थक साबित किया। आइएमए कमांडेंट ले. जनरल हरिंदर सिंह ने परेड की सलामी ली।
भारतीय सेना को इस शनिवार 341 युवा अफसरों की टोली मिल जाएगी। इसके अलावा मित्र देशों के 84 कैडेट भी आइएमए से कड़ा प्रशिक्षण लेकर अपनी-अपनी सेना का हिस्सा बनेंगे। मुख्य परेड से पहले अकादमी में कमांडेंट परेड का आयोजन किया गया। इसे पासिंग आउट परेड की अंतिम रिहर्सल के रूप में देखा जाता है। कमांडेंट ने कैडेटों में जोश भरते कहा कि सेना की प्रतिष्ठा अब उनके कंधों पर है। सैन्य अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेटों ने कड़ी मेहनत के बूते यह सम्मान हासिल किया है।
वह सेना के मूल सिद्धांत चरित्र, सामर्थय, प्रतिबद्धता और करुणा के जरिये इसे बनाए रखें। उच्च आदर्श व उत्कृष्टता उनके कार्यो में प्रतिबिंबित होने चाहिए। सैन्य जीवन में आने वाली चुनौतियों को पार करने की सीख भी उन्होंने दी। कमांडेंट ने कहा कि अंतिम पग भरते ही कैडेट भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन जाएंगे। देश की उम्मीदें उन पर टिकी हैं। ऐसे में देश के मान-सम्मान को आंच न आए, यह उनकी पहली जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि एक सैन्य अफसर की अपने हरेक जवान के प्रति भी जिम्मेदारी बनती है। उसके भरोसे पर खरा उतरने की कोशिश करें। यह विश्वास पेशेवर क्षमता, साहस, दृढ़ता, आचरण और सरोकार के जरिये आएगा। अपने जवानों को समझना और उनकी ताकत व कमजोरियों को पहचानना एक सतत प्रक्रिया है। मानव संसाधन का यह प्रबंधकीय कौशल अनुभव से ही आएगा। यह समग्र विकास आपको आने वाले समय में बड़े सैन्य दस्ते को समझने और कमान करने में सक्षम करेगा।
विदेशी कैडेटों को उन्होंने प्रशिक्षण में सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए बधाई दी। कमांडेंट ने कहा कि यहां न केवल उन्होंने जीवनभर के लिए दोस्त बनाए हैं, बल्कि अपने देश का भी बहुत अच्छे ढंग से प्रतिनिधित्व किया। कड़े प्रशिक्षण से गुजरकर अब वह अपने देश की सेना का हिस्सा बनने को तैयार हैं। आइएमए में विकसित एकजुटता का यह भाव दुनिया के सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और उनसे निपटने में कारगर सिद्ध होगा।
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