Bird watching के हैं शौकीन तो चले आइए यहां, परिंदों के 'सतरंगी संसार' के होंगे दीदार
पर्यटन और तीर्थाटन के रूप में उत्तराखंड विश्वभर में विख्यात है अब बर्ड टूरिज्म हब के रूप में भी राज्य को पहचान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग ने इसके लिए धरातल पर कार्य शुरू कर दिया है।
विजय जोशी, देहरादून। प्रकृति की गोद में पक्षियों की चहचहाट और सुकूनभरा वातावरण। वैसे तो उत्तराखंड में यह आम बात है, लेकिन सैलानियों को इस ओर आकर्षित करने के लिए अब ठोस योजना बनाई जा रही है। पर्यटन और तीर्थाटन के रूप में उत्तराखंड विश्वभर में विख्यात है, अब बर्ड टूरिज्म हब के रूप में भी राज्य को पहचान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग ने इसके लिए धरातल पर कार्य शुरू कर दिया है। जल्द ही प्रदेश में बड़े स्तर पर बर्ड वाचिंग कैंप और बर्ड फेस्टिवल जैसे आयोजन किए जाएंगे।
जैव विविधता के लिहाज से समृद्ध उत्तराखंड को बर्ड टूरिज्म हब के रूप में भी जाना जाएगा। स्थानीय और प्रवासी परिंदों की वृहद प्रजातियों के पक्षी प्रेमियों को दीदार कराने के लिए वन विभाग बर्ड वाचिंग कैंप और बर्ड फेस्टिवल जैसे आयोजनों पर फोकस कर रहा है। पक्षी प्रेमियों के लिए उत्तराखंड को स्वर्ग के रूप में विकसित किया जाएगा। वन विभाग की ओर से सभी पक्षी बाहुल्य क्षेत्रों के संरक्षण और संवर्धन की योजना बनाई है। इसमें वन संरक्षित क्षेत्रों के साथ ही नमभूमि क्षेत्र भी शामिल हैं। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी ने इस बाबत सभी प्रभागीय अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
मंदाल घाटी में बर्ड टूरिज्म की अपार संभावना
रामनगर वन प्रभाग के तहत आने वाली मंदाल घाटी बर्ड टूरिज्म के लिहाज से उपयुक्त है। यहां बर्ड टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पीसीसीएफ राजीव भरतरी ने प्रभागीय वन अधिकारी को निर्देशित किया है। उन्होंने ग्राम और वन पंचायतों के नाम निर्धारित कर उनका सोशियल-इकोनॉमिक डाटा मांगा है। वन पंचायत ढिकोलिया, कर्तिया, धुरा झर्त, झुईपापड़ी, धामदार, गड्यू व चपड़ैत ग्रामों में खुली बैठक आयोजित करने को कहा गया है, जिसके तहत वन्यजीव संरक्षण, आजीविका व ईको टूरिज्म के लिए कार्य चिह्नित किए जाएं। पंचायतों-ईको विकास समितियों के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, टाइगर कंसर्वेशन फाउंडेशन, ईको डेवलपमेंट कमेटी, वन पंचायत और जायका परियोजना की ओर से उपलब्ध कराई गई धनराशि का भी विवरण मांगा है। इसके बाद संरक्षित क्षेत्रों में सुविधा बढ़ाने और बर्ड टूरिज्म के कॉन्सेप्ट के अनुरूप कार्य शुरू किए जाएं।
19 फरवरी से बर्ड वाचिंग कैंप
कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के रथुवाढाय व मैदावन रेंजों और इससे लगे ढिकोलिया में आगामी 19 से 21 फरवरी तक बर्ड वाचिंग कैंप का आयोजन किया जाएगा। मुख्य वन संरक्षक ईको टूरिज्म एवं प्रचार-प्रसार को इस आयोजन का व्यापक प्रचार करने को कहा गया है।
प्रवासी परिंदों से गुलजार आसन झील
उत्तराखंड में करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि में फैले छोटे-बड़े 994 वेटलैंड हैं। इसमें आसन वेटलैंड इन दिनों प्रवासी पङ्क्षरदों से गुलजार है। इस बार अभी यहां पांच हजार के करीब विभिन्न प्रजाति के परिंदें हैं। वर्तमान में आसन वेटलैंड में रुडी शेलडक यानि सुर्खाब, कामन पोचार्ड, कामन कूट, ग्रे लेग गीज, नार्दन शावलर, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, वूली नेक्टड स्ट्राक, स्पाट बिल्ड डक, कामन कारमोरेंट, लिटिल इ ग्रेट, किंगफिशर, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हेन, कामन मोरहेन, इंडियन कारमोरेंट, रेड नेप्ड आइबीज, काम्ब डक, गेडवाल, कामन टील, स्पाट बिल्ड डक, लिटिल इग्रेट, कामन टील, पाइड किंगफिशर, रेड शंक, ग्रीन शंक, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट प्रवास पर हैं।
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